लोक टुडे न्यूज नेटवर्क
इस बार नीट में हाई स्कोरिंग के चलते बहुत सारे बच्चों का देश के मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस के लिए दाखिला होना बड़ा मुश्किल है । बच्चों के अभिभावक देश की निजी मेडिकल कॉलेज में प्रवेश के लिए थोड़ा-जोड़ करते हैं तो उनका कोर्स 70 लाख से 1 करोड रुपए फीस और डोनेशन अलग से देना पड़ता है, जो एक सामान्य आदमी के लिए संभव नहीं है। लेकिन पिछले कुछ सालों से विदेश से एमबीबीएस करना काफी सस्ता और आसान हो गया है लेकिन उनको भारत में एक टेस्ट पास करना पड़ता है। इस मामले में विशेषज्ञ डॉ शिव शंकर जाट का मानना है कि यदि सही कॉलेज का चयन किया जाए तो विदेश में एमबीबीएस करना बुरा नहीं है।
कजाकिस्तान में एमबीबीएस कर प्रदेश में फोरेसिंक विशेषज्ञ में डिग्री हासिल आर यू एच एस जयपुर में सेवाएं दे रहे डॉ. शिवशंकर जाट ने बताया कि देश में कठिनाइयों को देखते हुए कजास्कितान मेडिकल शिक्षा का नया ठिकाना बना है। कजास्कितान इस मामले में सबसे अच्छा माना जा रहा है।
वहां की जलवायु भारत की जलवायु से काफी मिलती
कजाकिस्तान एक एशियाई देश है, जहां की मुख्य भाषा वैसे तो कजाख है लेकिन वहां रसीयन और हिंदी भाषी लोग भी काफी है। भारत की तरह वहां भी शिक्षा के सभी स्तरों में अंग्रेजी भाषा का भी प्रयोग होता है। वहां की जलवायु भारत की जलवायु से काफी मिलती है, जिससे वहां गए छात्रों सामान्य महसूस करते हैं। वहां रोगों का स्वरूप या पैटर्न भी भारत जैसे जलवायु के समान है। जलवायु और रोग पैटर्न छात्रों को एक व्यावहारिक अनुभव देता है। पिछले कुछ वर्षों में कजाकिस्तान में मेडिकल की शिक्षा ग्रहण करने की इच्छा रखने वाले भारतीय की संख्या में इजाफा हुआ है। मुख्यत राजस्थान और गुजरात से काफी संख्या में लोग कजास्कितान में मेडिकल की पढ़ाई करना पसंद कर रहे हैं।
आसान है एडमिशन…
गौरतलब है कि भारत में एमबीबीएस में एडमिशन के लिए जहां नीट में 650 नंबर पर मेरिट छूटी ऐसे में कई बच्चे मेडिकल की पढ़ाई के लिए प्रवेश से वंचित रह गए। कजास्कितान मेडिकल कॉलेज में 10 प्रतिशत सीटे भारतीय छात्रों के लिए आरक्षित रखी जाती है।
भारत में एमबीबीएस का निजी कॉलेज में खर्चा 70 लाख से 1 करोड़,कजाकिस्तान में 18 से 20 लाख
भारत सरकार द्वारा इस वर्ष वहा प्रवेश लेने के लिए आरक्षित वर्ग के लिए लगभग 113 अंक अौर सामान्य वर्ग के लिए लगभग 147 अंक पर मैरिट गई है। भारत में निजी स्तर पर एमबीबीएस करने पर जहां 50 से 70 लाख रुपए का खर्च आता है तो वहीं कजाकिस्तान में 18 से 20 लाख के बीच ही पूरा कोर्स किया जा सकता है।
सपने को साकार करने में जुटे मगरे के 35 से ज्यादा युवक...
मेडिकल की पढ़ाई के लिए बाहर के देशों में मुख्य रूप से रूस, चीन, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, इंग्लैंड, उक्रेन, आर्मेनिया, कजाकिस्तान, जॉर्जिया, आदि हैं। भारत से मेडिकल की शिक्षा के लिए लोग कई वर्षों से इन देशों में जा रहे हैं और कई लोग वापस आकर भारत में प्रैक्टिस भी कर रहे हैं।
पारंपरिक तौर पर हमारे यहां से लोग रूस और इंग्लैंड काफी संख्या में मेडिकल की शिक्षा प्राप्त किए। करीब एक दशक पहले जब भारत में नामांकन पाना काफी कठिन हो गया तो मेडिकल स्टूडेंट्स ने कई दूसरे देशों की तरफ भी रुख किया है। अब इनमें कजास्कितान पहली पसंद है। ब्यावर, भीम, रायपुर और आसींद क्षेत्र के करीब 35 से ज्यादा युवक कजाकिस्तान में अपने डॉक्टर बनने का सपना पूरा करने में जुटे हुए हैं।
इनका कहना है…
“मैने खुद कजाकिस्तान से मेडिकल की पढाई पूरी की है भारत से बाहर भारत जैसी परिस्थितियों और आसानी से अपने डॉक्टर बनने का सपना पूरा कर सकते है। आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों के लिए एज्यूकेशन लोन की भी सुविधा दी जाती है।” यदि कोई स्टूडेंट या अभिभावक चाहे तो डॉक्टर शिव शंकर जाट से मोबाइल नंबर पर बात की जा सकती है। काउंसलिंग के सीन बात की जा सकती है और कहीं कजाकिस्तान या जॉर्जिया से एमबीबीएस करना है तो भी उनसे सलाह भी जा सकती है उनके Mo.no. +919001115182 इस नंबर पर संपर्क किया जा सकता है।डॉ. शिवशंकर जाट, फोरेंसिक मेडिसिन स्पेशलिस्ट आरयूएचएस अस्पताल जयपुर