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लोक टुडे न्युज़ नेटवर्क
रितु मेहरा
भगवान कृष्ण ने दिलाई थी ब्रजवासियों को राहत, जानें क्यों और कैसे मनाई जाती है यह पूजा
दीपावली के अगले दिन मनाया जाने वाले गोवर्धन पूजा का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। इस बार यह पर्व तीसरे दिन मनाया जा रहा है। यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण के उस अद्भुत चमत्कार की याद में मनाया जाता है जब उन्होंने ब्रजवासियों को इंद्र देव के प्रकोप से बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठा लिया था। इस वर्ष गोवर्धन पूजा 22 अक्टूबर 2025 (बुधवार) को मनाया जाएगा।
गोवर्धन पूजा क्यों मनाई जाती है?
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, एक बार इंद्र देव के अहंकार से ब्रजभूमि में लगातार वर्षा होने लगी। उस समय भगवान श्रीकृष्ण ने गोकुलवासियों से कहा कि हमें इंद्र की पूजा नहीं करनी चाहिए, बल्कि उस गोवर्धन पर्वत की करनी चाहिए जो हमें अन्न, चारा और जीवन देता है।
जब इंद्र ने क्रोध में भयंकर वर्षा शुरू की, तब श्रीकृष्ण ने अपनी छोटी उंगली पर पूरे गोवर्धन पर्वत को उठा लिया और सात दिन तक ब्रजवासियों और गायों को सुरक्षित रखा।
इसी घटना की स्मृति में हर वर्ष दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जाता है।
आध्यात्मिक और सामाजिक महत्व
यह पर्व अहंकार पर विनम्रता की विजय का प्रतीक है।
प्रकृति, गौ, अन्न और जल के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का दिन है।
गोवर्धन पूजा से मनुष्य में सेवा, समर्पण और समाज के प्रति संवेदनशीलता का भाव जागृत होता है।
इस दिन गौसेवा और अन्नदान का भी विशेष महत्व माना गया है।
गोवर्धन पूजा में किसकी पूजा की जाती है?
इस दिन मुख्य रूप से भगवान श्रीकृष्ण (गोवर्धनधारी स्वरूप), गोवर्धन पर्वत, गौमाता और अन्नकूट की पूजा की जाती है।
गौमाता को तिलक लगाकर, फूल, जल और मिठाई अर्पित की जाती है।
गोबर या मिट्टी से गोवर्धन पर्वत का प्रतीक बनाकर उसे फूल, अक्षत, दीपक और नैवेद्य से सजाया जाता है।
पूजा विधि (कैसे करें गोवर्धन पूजा)
1. सबसे पहले घर या आंगन को साफ कर रंगोली बनाएं।
2. गोबर या मिट्टी से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाएं।
3. उसके चारों ओर दीपक जलाएं और पुष्प सजाएं।
4. श्रीकृष्ण, बलराम, नंद-यशोदा, गायों और गोप-गोपियों की पूजा करें।
5. विभिन्न प्रकार के व्यंजनों से बना ‘अन्नकूट भोग’ भगवान को अर्पित करें।
6. पूजा के बाद गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करें और प्रसाद बांटें।
गोवर्धन पूजा 2025 का शुभ मुहूर्त
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस बार गोवर्धन पूजा 22 अक्टूबर (बुधवार) को की जाएगी।प्रतिपदा तिथि आरंभ: 21 अक्टूबर, शाम 5:57 बजे ।प्रतिपदा तिथि समाप्त: 22 अक्टूबर, शाम 8:18 बजे
पूजन का शुभ मुहूर्त:
सुबह – 06:26 बजे से 08:42 बजे तक
सायंकाल – 03:29 बजे से 05:44 बजे तक
इन दोनों में से कोई भी समय पूजा के लिए उत्तम रहेगा। विशेष रूप से प्रातःकाल का मुहूर्त अत्यंत शुभ माना गया है।
️ अन्नकूट पर्व का महत्व
गोवर्धन पूजा के दिन मंदिरों और घरों में अन्नकूट का आयोजन किया जाता है। इसमें कई प्रकार के पकवान, मिठाइयाँ, फल और प्रसाद तैयार किए जाते हैं। भगवान को यह भोग लगाकर फिर भक्तों में बांटा जाता है।
अन्नकूट का अर्थ ही है — “अन्न का पर्वत”, जो समृद्धि, कृतज्ञता और साझा भाव का प्रतीक है।
निष्कर्ष
गोवर्धन पूजा केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि प्रकृति और गौधन के प्रति आभार व्यक्त करने का पर्व है।
यह दिन हमें सिखाता है कि अहंकार नहीं, सेवा और श्रद्धा ही सच्ची पूजा है।
इस वर्ष 22 अक्टूबर को जब आप दीप जलाएं और गोवर्धन पर्वत का पूजन करें, तो साथ ही यह संकल्प लें कि प्रकृति और गौमाता की रक्षा करेंगे।
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