जयपुर डंपर हादसे में14 की मौत, ड्राइवर पर गैर-इरादतन हत्या का मुकदमा

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लोक टुडे न्युज़ नेटवर्क
3 पुलिसकर्मी निलंबित
जयपुर डंपर हादसा: — ड्राइवर कल्याण मीणा पर गैर-इरादतन हत्या का मुकदमा, पर उठ रहे हैं सवाल – “क्या यह सिर्फ लापरवाही थी?”
जयपुर। सीकर रोड स्थित हरमाड़ा इलाके में 3 नवंबर को हुआ डंपर हादसा अब पूरे प्रदेश को झकझोर रहा है। बेकाबू डंपर ने महज 400 मीटर के फासले में 17 वाहनों को कुचल डाला, जिसमें 14 लोगों की मौके पर मौत हो गई और 12 लोग घायल हुए, जिनमें 7 की हालत अभी भी गंभीर बताई जा रही है। सभी घायलों का इलाज एसएमएस हॉस्पिटल के ट्रॉमा सेंटर में चल रहा है। 
हादसा इतना भयावह था कि सड़क पर लाशें बिछ गईं, शवों के टुकड़े दूर-दूर तक बिखर गए। किसी का पैर कट गया, तो किसी का हाथ। 2 शवों की अब तक पहचान नहीं हो सकी है।
चालक कल्याण मीणा के खिलाफ मामला दर्ज
पुलिस ने डंपर चालक कल्याण मीणा के खिलाफ गैर-इरादतन हत्या (धारा 304) का मामला दर्ज किया है। प्रारंभिक जांच में सामने आया कि चालक ने पहले एक बाइक को टक्कर मारी, जिसके बाद एक कार चालक ने उसका पीछा किया। इसी दौरान डंपर चालक ने नाराज होकर पहले कार को रौंदा, फिर रॉन्ग साइड में करीब 120 किमी की रफ्तार से गाड़ी भगाई, और जो सामने आया — उसे कुचलता चला गया।
कार्रवाई – 3 पुलिसकर्मी निलंबित
नो-एंट्री क्षेत्र में डंपर के प्रवेश पर लापरवाही के चलते डीसीपी ट्रैफिक सुमित मेहरड़ा ने सोमवार देर रात सीआई राजकिरण, एएसआई राजपाल सिंह और कॉन्स्टेबल महेश कुमार को सस्पेंड कर दिया है।
पीड़ितों का दर्द – “इलाज के नाम पर भी वसूली”
घटना के बाद परिजनों ने आरोप लगाया कि एंबुलेंस चालकों और कुछ अस्पताल कर्मियों ने भी पैसा वसूला। उनका कहना है कि “कहा गया था इलाज फ्री होगा, लेकिन हर जगह पैसे मांगे गए।” यह आरोप प्रशासनिक व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़ा करता है।
सवाल उठता है – क्या यह सिर्फ लापरवाही थी?
कानूनी जानकारों का कहना है कि इतनी तेज रफ्तार में रॉन्ग साइड पर वाहन दौड़ाना, जानबूझकर टक्कर मारना और लगातार कई लोगों की जान लेना सिर्फ लापरवाही नहीं, बल्कि हत्या जैसी मंशा को दर्शाता है।
ऐसे में सवाल उठता है कि क्या आरोपी पर गैर-इरादतन हत्या (IPC 304) ही पर्याप्त है, या इरादतन हत्या (IPC 302) के तहत मामला दर्ज होना चाहिए?
प्रशासन और सरकार से उम्मीद
प्रदेशभर में इस हादसे को लेकर आक्रोश है। लोग मांग कर रहे हैं कि दोषी चालक को सख्त सजा दी जाए और जिन पुलिसकर्मियों की लापरवाही से नो-एंट्री में डंपर घुसा, उन पर भी मुकदमा दर्ज कर जांच हो। साथ ही पीड़ित परिवारों को यथोचित मुआवजा और मुफ्त इलाज मिले।
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