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लोक टुडे न्यूज नेटवर्क
जयपुर। दीपावली से पहले राजस्थान की राजनीति में एक नया विवाद खड़ा हो गया है। आम आदमी पार्टी ने भाजपा सरकार पर आरोप लगाया है कि उसने बुजुर्गों की पेंशन रोककर गरीबों को आर्थिक अंधकार में धकेल दिया है। पार्टी का कहना है कि सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग का हालिया आदेश, जिसमें वार्षिक बिजली बिल ₹24,000 या उससे अधिक होने पर पेंशन निलंबित करने के निर्देश दिए गए हैं, गरीबों और बुजुर्गों की गरिमा पर सीधा हमला है।
राज्य सरकार की रिपोर्ट के अनुसार 3.02 लाख पेंशन लाभार्थियों में से 2.05 लाख से अधिक परिवारों के बिजली बिल ₹24,000 से ऊपर बताए गए हैं।
आम आदमी पार्टी ने सवाल उठाया —
“अगर किसी पेंशनर के नाम पर बिजली कनेक्शन है, लेकिन बिल परिवार का कोई और सदस्य भरता है, तो बुजुर्ग का क्या दोष? क्या भाजपा सरकार को नहीं पता कि राजस्थान में आज भी अधिकतर लोग संयुक्त परिवारों में रहते हैं?”
धीरज टोकस बोले — ‘भाजपा ने दीपावली का उजाला छीन लिया’
पार्टी के प्रदेश प्रभारी धीरज टोकस ने कहा कि जब सरकार को दीपावली पर जरूरतमंदों के घरों में उजाला करना चाहिए था, तब उसने उल्टा उनके घरों के दीए बुझा दिए।
“भाजपा जनता की मदद करने की बजाय उनसे मदद छीन रही है। यह फैसला उन बुजुर्गों और विधवाओं के साथ क्रूर मज़ाक है जो पेंशन के सहारे अपनी जिंदगी चला रहे हैं।”
घनेंद्र भारद्वाज ने कहा — ‘भाजपा का झूठ फिर बेनकाब’
सहप्रभारी घनेंद्र भारद्वाज ने कहा कि भाजपा ने दिल्ली में महिलाओं को ₹2500 मासिक पेंशन देने का वादा किया था, लेकिन सत्ता में आते ही भूल गई। अब वही धोखा राजस्थान में दोहराया जा रहा है।
आम आदमी पार्टी की चार प्रमुख मांगें
1️⃣ सरकार तुरंत आदेश वापस ले और पेंशन निलंबन की कार्रवाई रोके।
2️⃣ बिजली बिल को “आय का प्रमाण” मानने की व्यवस्था समाप्त की जाए।
3️⃣ जिनकी पेंशन रोकी गई है, उन्हें तुरंत पुनः भुगतान किया जाए।
4️⃣ जांच प्रक्रिया पारदर्शी बनाई जाए और मानदंडों को सार्वजनिक किया जाए।
पार्टी ने चेतावनी दी है कि अगर यह “जनविरोधी आदेश” वापस नहीं लिया गया, तो राज्यभर में आंदोलन की मशाल जलाई जाएगी —
“ताकि इस दीपावली जनता के घरों का उजाला कोई सरकारी आदेश न छीन सके।”
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