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जयपुर । लोक टुडे न्यूज नेटवर्क
“उस दिन मैं बकरियां चरा रही थी, जब भाजपा के लोग आए और बोले — आपको जिला प्रमुख बनाया जा रहा है। मैंने बस इतना पूछा — मेरी बकरियां कौन चराएगा?”
यह कहना है भीलवाड़ा की जिला प्रमुख बरजी देवी भील का, जो कभी मनरेगा में मजदूरी करती थीं और आज लोकतंत्र की मिसाल बन गई हैं।
बरजी देवी बताती हैं कि वह पहले नरेगा में दिनभर मिट्टी ढोती थीं और खाली वक्त में बकरियां चराती थीं। लेकिन भाजपा ने उन्हें जिला प्रमुख बनाकर न केवल सम्मान दिया, बल्कि यह भी दिखा दिया कि लोकतंत्र में हर गरीब, मेहनती और साधारण व्यक्ति भी बड़े पद पर पहुंच सकता है।
“आज भी वही बरजी देवी हूं, जैसा मिल जाए वैसा पहन लेती हूं”
बरजी देवी ने कहा —
“जिला प्रमुख बनने के बाद भी मैं पहले जैसी ही हूं। न घमंड है, न कोई दिखावा। जैसा मिल गया वैसा पहन लेती हूं, जैसा मिल गया वैसा खा लेती हूं। पद बदल गया है, लेकिन मैं नहीं बदली।”
उन्होंने बताया कि यह सब संविधान की किताब की देन है, जिसे लोग कभी अलमारी में बंद रखने के लिए कहते थे और उसे काला सांप बताते थे। लेकिन जिसने इस किताब को पढ़ लिया समझो भाग्य बदल गया।
“लोग कहते थे इस किताब को मत पढ़ो, सांप समझो। लेकिन जिसने इस किताब को जान लिया, पढ़ लिया, समझ लिया — वह तर गया। आज लोग कहते हैं — यह संविधान की ही करामात है कि एक बकरी चराने वाली जिला प्रमुख बन गई।”
किताब विमोचन कार्यक्रम में की अध्यक्षता
बरजी देवी जयपुर में भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और हरियाणा प्रभारी डॉ. सतीश पूनिया की किताब के विमोचन कार्यक्रम में बतौर अध्यक्ष शामिल हुईं।
उन्होंने कहा —
“यह लोकतंत्र की खूबसूरती है कि एक गरीब महिला, जो कभी मजदूर थी, आज जनता की सेवा करने के पद पर है। मैं भाजपा नेतृत्व और विशेष रूप से सतीश पूनिया जी की आभारी हूं जिन्होंने मुझ पर भरोसा जताया।”
कार्यक्रम कांस्टीट्यूशन हॉल, जयपुर में आयोजित किया गया, जहां बरजी देवी ने संविधान के महत्व और आम जनता के सशक्तिकरण पर विस्तार से बात की।
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