जेडीए अधिकारियों ने लैंड यूज चेंज कर किया अरबों का घोटाला

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लॅा डायरेक्टर ने दिेए उच्च स्तरीय जांच के आदेश

पुष्पा जयपुरिया फाउंडेशन का मामला

जयपुर। राजधानी जयपुर में जेडीए अधिकारियों के बड़े खेल का खुलासा हुआ है। जेडीए अधिकारियों का एक ऐसा खेल सामने आया है जिसमें बेशकीमती जमीनों का लैंडयूज चेंज कर करोड़ों की जमीन के घोटाले का खुलासा हुआ है। जवाहर लाल नेहरु मार्ग पर पुष्पा जयपुरिया फाउंडेशन नामक ट्रस्ट बनाकर 1987 में अनाथालय बनाने के नाम पर सरकार से 15 एकड़ जमीन आंवटित कराई थी। जिस पर अभी तक अनाथलाय तो बना ही नहीं । कभी अनाथ लोगों का ये सहारा भी नहीं बना लेकिन अनाथलय के नाम पर ट्रस्ट ने अरबों की जेएलएन मार्ग पर जमीन आंवटित करा ली। इस जमीन का वर्तमान में बाजार में भाव 1500 करोड़ से ज्यादा बताया जा रहा है। यहां प्लेट बनाकर बेचे जा रहे हैं। पुष्पा जयपुरिया फाउंडेशन ने कोडियों के दाम जमीन आंवटित कराकर अब बिल्डर्स को बेच दी है। जहां महंगे- महंगे प्लेट बनाकर बेचे जा रहे हैं।

लैंडयूज बदलने के दौरान हुआ खुलासा

ट्रस्ट चलाने वालों ने इस झालाना जोन के खसरा 177- 178 नंबर उसमें ये सामने आया है कि इसमें अनाथालय होना चाहिए था। साढ़े सात एकड़ जमीन को इस ट्रस्ट के मालिकों ने कैसे खुर्द- बुर्द करने का काम किया है। इस जमीन के लैंडयूज चैंज करने में 1500 करोड़ से ज्यादा का घोटाला हुआ है। कागजों के अनुसार देखा जाए तो ये जमीन 1962 में एयरपोर्ट के लिए अवाप्त की गई। जिसे 1987 में छोड़ दिया गया । कास्तकार को ये जमीन अनाथलाय, अस्पताल आदि के लिए छोड़ दी गई। अन्य जमीन किसान को वापस दे दी गई। लॅा डायरेक्टर दिनेश गुप्ता ने लैंडयूज चेंज करने को लेकर उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए। खास बात है कि इस संदर्भ में जोऩ उपायुक्त ने जानकारी होने से ही इंकार कर दिया। नव नियुक्त जेडीसी ने इस संदर्भ में जानकारी होने से इंकार कर दिया।

जयपुरिया ने कराई कुटरचित रजिस्ट्री

जेडीए अधिकारी ने बताया कि जमीन का असली मालिक तो कोई भार्गव है। जयपुरिया ट्रस्ट ने तो कूचरचित रजिस्ट्री कराई। लेकिन जेडीए में इसकी मूल फाइल गायब हो गई। जेडीए अधिकारियों ने इसको लेकर किसी तरह की एफआईआर तक दर्ज नहीं कराई। पुष्पा जयपुरिया ट्रस्ट ने जमीन ली तो थी गरीबों, अनाथ लोगों को रहने के लिए आवास बनाना था। लेकिन ट्रस्ट ने कभी अनाथलाय बनाया ही नहीं। ट्रस्ट ने इस जमीन को बेच दिया जिस पर अब गगनचुंबी बिल्डिंगें बन रही है। जिसको कोई देखने वाला नहीं है।

मूल फाइल जेडीए से गायब

करोड़ों की जमीन को खुर्द- बुर्द करने के मामले मूल फाइल ही जेडीए में नहीं मिल रही है। जिसे लेकर जेडीए गंभीर ही नहीं है। क्योंकि जब मूल फाइल गायब हो जाती है तो क्यों नहीं सरकार दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जाती। ये खेल राजधानी में हो रहा है। जहां प्रदेश के मुख्यमंत्री से लेकर सीएस तक बैठते हैं। क्या मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल लैंडयूज कर यहां बने करोड़ों रुपये के प्लेटों पर कार्रवाई होगी। क्या बिल्डर के खिलाफ और जिसने ये जमीन बेची है उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए। राज्य सरकार इसकी जांच उच्च स्तर पर कराए। 472 करोड़ रुपये की जमीन का मूल्य आंका है। लेकिन इसका कोई अता- पता और जेडीए खुद अपनी जमीन पर भी पजेशन नहीं ले पा रहा है। इसकी मूल फाइल ही गायब है। लॅा डायरेक्टर की शिकायत पुष्पा जयपुरिया फाउंडेशन को 15 एकड़ जमीन आंवटित की गई थी। लेकिन जमीन आंवटित कराने वाले ने शर्तों की पालना नहीं की। देखना ये है कि जेडीए इस पर किसी तरह की कार्रवाई करता है या नहीं।

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