छठे नवरात्रि पर आज हो रही है मां कात्यायनी की पूजा

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छठे नवरात्रि पर मां कात्यायनी की पूजा का विधान –
लोक टुडे न्यूज नेटवर्क –
रितु मेहरा
जयपुर।शारदीय नवरात्रि के छठे दिन मां दुर्गा के छठे स्वरूप मां कात्यायनी की आराधना का विशेष महत्व है। मां कात्यायनी को युद्ध की देवी और राक्षसों का नाश करने वाली शक्ति माना गया है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, ऋषि कात्यायन की तपस्या से प्रकट होने के कारण इनका नाम कात्यायनी पड़ा। देवी का रूप अत्यंत तेजस्वी, चार भुजाओं वाला और सिंह पर आरूढ़ है।
मां कात्यायनी के प्रमुख मंदिर
वृंदावन (उत्तर प्रदेश) : यहां स्थित मां कात्यायनी मंदिर को 51 शक्तिपीठों में गिना जाता है। मान्यता है कि यहां पूजा करने से विवाह संबंधी बाधाएं दूर होती हैं।
वाराणसी (उत्तर प्रदेश) : वाराणसी का कात्यायनी मंदिर विशेष रूप से प्रसिद्ध है, जहां हजारों भक्त नवरात्र पर दर्शन करने पहुंचते हैं।
कोडुंगल्लूर (केरल) : इसे दक्षिण भारत का प्रसिद्ध शक्तिपीठ माना जाता है, जहां मां की पूजा भव्य उत्सव के साथ होती है।
मध्यप्रदेश और राजस्थान : कई स्थानों पर कात्यायनी माता के लोक मंदिर और धाम हैं, जहां छठे नवरात्र को विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं।
 मान्यता और महत्व
मां कात्यायनी की उपासना से ग्रह दोष, विवाह में आ रही बाधाएं और शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है। अविवाहित कन्याओं के लिए इस दिन पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है। ब्रज क्षेत्र में परंपरा है कि गोपियां भगवान श्रीकृष्ण को पाने की इच्छा से मां कात्यायनी की आराधना करती थीं।
छठे नवरात्र का पूजन-विधान
1. प्रातः स्नान कर कलश और मां दुर्गा के साथ मां कात्यायनी की प्रतिमा/चित्र स्थापित करें।2. लाल रंग के पुष्प, गुलाल, रोली और सुगंधित धूप-दीप अर्पित करें।3. मां के बीज मंत्र “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे” का जाप करें।4. कन्याओं को भोजन करवाकर आशीर्वाद लें।5. माता से रोग, शोक, और शत्रु बाधा से मुक्ति की प्रार्थना करें।
—मां कात्यायनी का भोग
मां कात्यायनी को शहद, शक्कर, गुड़, अनार और लाल फल अर्पित करने का विधान है।
भोग में मालपुआ और पूड़ी-हलवा चढ़ाने से देवी प्रसन्न होती हैं।
मान्यता है कि इस दिन शहद अर्पित करने से साधक के जीवन में मधुरता और सुख-समृद्धि आती है।
छठे नवरात्र की पूजा से भक्त को अदम्य साहस, शौर्य और जीवन की कठिनाइयों पर विजय प्राप्त होती है। मां कात्यायनी की कृपा से विवाह, संतान और शत्रु संबंधी सभी प्रकार की बाधाएं दूर हो जाती हैं।
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