अखिल भारतीय बैरवा महासभा का चुनाव 5 अक्टूबर को
गुटबाजी में फंसा बैरवा समाज, कई पदाधिकारी सालों से पदों पर काबिज, संस्था की आड़ में करते हैं ठगीबाजी
चुनाव लड़ रहे हैं उम्मीदवारों ने झौंकी पूरी ताकत
जयपुर। अखिल भारतीय बैरवा महासभा का राष्ट्रीय चुनाव 5 अक्टूबर को ही आयोजित होगा। चुनाव की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। मुख्य चुनाव अधिकारी लालावत और सह चुनाव अधिकारी रोडूराम सुलानिया ने जानकारी दी कि मतदान के लिए जयपुर, दिल्ली, दौसा, बूंदी, केकड़ी और इंदौर में मतदान केंद्र बनाए गए हैं। सभी मतदान केंद्रों पर निर्वाचन अधिकारियों की नियुक्ति कर दी गई है और प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया जा चुका है।

इस चुनाव में करीब 35,000 मतदाता हिस्सा लेंगे। राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर श्रवण कुमार बैरवा, रामदयाल बैरवा और पप्पूलाल के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है। इसके अलावा राष्ट्रीय महामंत्री और प्रदेश महामंत्री पदों के लिए भी मतदान होना है। मतदान 5 अक्टूबर को सुबह 8 बजे से शाम 4 बजे तक होगा, जबकि मतगणना जयपुर के डॉ. भीमराव अंबेडकर वेलफेयर समिति परिसर में होगी।
चुनाव बहिष्कार और अवैधानिकता का विवाद
हालांकि चुनाव प्रक्रिया को लेकर महासभा में विवाद भी गहराता जा रहा है। राष्ट्रीय अध्यक्ष ललित वर्मा ने कहा कि कुछ लोग व्यक्तिगत रंजिश और स्वार्थवश चुनाव बहिष्कार की घोषणा कर रहे हैं, लेकिन इसका कोई असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने साफ कहा कि समाज एकजुट है और चुनाव समय पर और शांतिपूर्ण ढंग से कराए जाएंगे।
इसके उलट महासभा के संयोजक रतनलाल बैरवा ने प्रेसवार्ता कर इन चुनावों को अवैधानिक बताया। उनका आरोप है कि –
महासभा की कोई आम कार्यकारिणी बैठक नहीं बुलाई गई।
अध्यक्ष और महामंत्री ने आपसी सहमति से ही चुनाव की तारीख और समिति की घोषणा कर दी, जो संविधान के खिलाफ है।
पिछले तीन वर्षों का लेखा-जोखा प्रकाशित नहीं किया गया।
सदस्यता शुल्क और चंदे में लाखों रुपये एकत्र किए गए, लेकिन उसे संस्था के खातों में जमा नहीं कराया गया।
रतनलाल बैरवा का कहना है कि इन तमाम अनियमितताओं के आधार पर उन्होंने अपने विशेष अधिकार का प्रयोग करते हुए चुनाव को अवैधानिक घोषित कर दिया है। उन्होंने इस संबंध में गांधीनगर थाने में शिकायत दर्ज कराई है और रजिस्ट्रार कार्यालय को भी अवगत कराया है।
महामंत्री मुंशीलाल कुंडारा का पलटवार
इस विवाद पर महासभा के राष्ट्रीय महामंत्री मुंशीलाल कुंडारा ने कहा कि संयोजक रतनलाल बैरवा को चुनाव प्रक्रिया रोकने का कोई अधिकार नहीं है। जब चुनाव कार्यक्रम घोषित हो चुका है, नामांकन की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और मतदान की तिथि तय है, ऐसे में चुनाव को रोकने का दावा सिर्फ भ्रामक है।
कुंडारा ने यह भी कहा कि रतनलाल बैरवा पुराने संविधान का हवाला दे रहे हैं, जबकि संगठन के संविधान में पहले ही संशोधन हो चुका है। उनके अनुसार रजिस्ट्रार कार्यालय में रतन लाल बैरवा द्वारा जमा कराए गए दस्तावेज भी भ्रामक हैं और सही स्थिति अदालत या रजिस्ट्रार के समक्ष प्रस्तुत की जाएगी।
नजरें परिणाम पर टिकीं
अब देखना यह है कि आरोप-प्रत्यारोप और बहिष्कार की घोषणाओं के बीच 5 अक्टूबर को होने वाले इस चुनाव में बैरवा समाज के सदस्य किसे समर्थन देते हैं। 35 हजार मतदाताओं की भागीदारी और दो प्रमुख दावेदारों के बीच टक्कर को देखते हुए चुनाव परिणाम बेहद अहम साबित होंगे।
असल लड़ाई राजनीतिक
देखा जाए तो पिछले लंबे समय से सामाजिक संगठनों में असली लड़ाई राजनीतिक उद्देश्य पूर्ति के लिए हो रही है। कुछ नेता जो संगठन से जुड़े हुए हैं वह सामाजिक संगठनों पर अपना स्थाई कब्ज चाहते हैं जब उनकी मंशा के अनुरूप कोई व्यक्ति चुनाव मैदान में नहीं होता है तो इसी तरह से संस्था के चुनाव में टकराव सामने आते हैं । बैरवा समाज में भी गुटबाजी और धड़ेबाजी के चलते और चुनाव में पानी की तरह पैसा बहाकर चुनाव को धनबल और बाहुबल के आधार पर अपने पक्ष में किया जा सके लेकिन समाज के अधिकांश लोगों का मानना है कि कोई भी चुनाव धनबल और बाहुबल के आधार पर नहीं जीते जाते हैं, चुनाव में समाज सोच समझकर मतदान करता है और जो लोग चुनाव में व्यवधान डाल रहे हैं ,उन्हें इस चुनाव प्रक्रिया को निष्पक्ष रूप से पूरा होना देना चाहिए, नतीजे जो भी होंगे समाज को स्वीकार्य होंगे।
निर्वाचन अधिकारी और सह अधिकारी पर लगे पैसे खाने के आरोप
बैरवा समाज के चुनाव को लेकर एक धड़ा शुरू से ही मुख्य चुनाव अधिकारी और सह चुनाव अधिकारी सहित कई लोगों पर पैसा खाने के का आरोप लगा रहे है। हालांकि इसमें कितनी सच्चाई है यह तो वह जाने! लेकिन यह मुद्दा लगातार उठाया जा रहा है और यही कारण है कि इस चुनाव को लेकर शुरुआत में राष्ट्रीय अध्यक्ष ने भी चुनाव समिति से चुनाव की तारीख बदलने की मांग की थी लेकिन चुनाव अधिकारी ने उनकी बात को नहीं सुना। इसके बाद उन्होंने चुनाव प्रक्रिया को सही बताते हुए समय पर चुनाव कराने की बात की लेकिन मतदान से दो दिन पूर्व तक मतदाता सूची में नाम जोड़ने का काम चल रहा है, जिसको लेकर लोगों में असंतोष भी है। अब चुनाव 5 अक्टूबर को ही हो रहे हैं नतीजा 7 अक्टूबर को ही घोषित होंगे, जबकि इसी बीच संयोजक रतन लाल बैरवा ने अशोक बैंडवाल को 6 महीने के लिए समाज का कार्यकारी अध्यक्ष भी घोषित कर दिया। जबकि किसी भी संस्थान में चुनावी प्रक्रिया प्रारंभ होने के भी बाद में बीच में इस तरह से हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता।

















































