भुसावर में होली पर निकलती है अनोखी बारात

0
100
- Advertisement -

 

मान्यता दूल्हा बने युवक की अगले साल तक हो जाती है शाद

ना होती है दुल्हन और ना ही फेरे

250, वर्षों से अनवरत होली पर गधा, ऊंट पर बैठ कर निकलता है होली का दूल्हा बना युवक

लोक टुडे न्यूज नेटवर्क

राजेंद्र शर्मा जति

भुसावर। हमारे देश में आनेकानेक त्योहार समय-समय पर रीति रिवाज के साथ धूमधाम एवं हर्षोल्लास पूर्वक मनाए जाते हैं लेकिन ब्रज क्षेत्र के अंतर्गत होली की धूम बसंत पंचमी से शुरू होती है और पूरे 40 दिन तक चलती है। वही इस पर्व होली पर ब्रज क्षेत्र में अलग हटकर नजारे देखने को मिलते हैं, ऐसा ही नजारा भरतपुर जिले के भुसावर कस्बे में देखने को मिलता है जहां पुरानी पीढ़ियो द्वारा लगभग 250,वर्षो से चली आ रही परंपरा का निर्वहान करते हुए होली का दूल्हा बनाकर बारात निकालने की परंपरा को कायम रखते हुए आज की युवा पीढ़ी को विभिन्न संदेश देने का संकल्प दिया जाता है। कस्बा भुसावर निवासी बुजुर्ग कुंजीलाल शर्मा फूफा जी, टिल्लाराम पंजाबी, पण्डित राघवेंद्र जती, कोठी वाले हनुमान मंदिर के सेवक महेश चन्द जती ने जानकारी देते हुए बताया कि जिस युवक की शादी में अड़चन, व्यवधान आ रहा है और शादी नहीं हो पा रही है उसे नागरिकों की मौजूदगी में एवं सर्व समिति से एक युवक को होली का दूल्हा बना कर खिरखारी भगत राज से गधा, ऊंट पर बैठा कर सिर पर मटकी में होली की अग्नि प्रज्वलित कर गले में गिलूरी, बलूरी की माला धारण कर बैंड बाजा के साथ कस्बे के ऊपरला बाजार, पुरानी सब्जी मंडी, बस स्टैंड, अस्पताल सड़क मार्ग, कानूनगौ मोहल्ला सहित विभिन्न मार्गो से होकर निकला जाता है। होली का दूल्हा बने युवक की बारात में रंग बिरंगै पुते चेहरे के बाराती हाथों में पदवेश(चप्पल), रंग, गुलाल उडाते हुए नाचते गाते और जयघोष लगाकर चलते हैं। और होली की बारात का स्वागत लोग घरों के छत पर चढ़कर गुलाल, पुष्प वर्षा करते हुए जलपान, ठंडाई पिलाकर किया जाता है। होली की बारात कस्बे की जैन गली स्थित जैन मंदिर पर पहुंच कर होली का दूल्हा बना युवक मुख्य गेट पर तोरण मारता है। वही जैन मंदिर पर होली का दूल्हा बने युवक की वर्षों से चली आ रही परंपरा का निर्वाहान करते हुए शगुन के तौर पर पदवेशो से पिटाई की जाती है जिसके बाद बिना दुल्हन बिना फेरों के होली की बारात भगवान से अगले वर्ष मिलने की कहकर होली की बधाई देते हुए होली का आनंद लेते हुए अपने घर को विदा हो जाते है। वहीं कस्बे से दर्जनों स्थानों पर समाज में व्याप्त कुरूतियो को दूर करने का आह्वान करते हुए पानी बचाओ का संदेश देते हुए होलिका दहन प्रेम,सौहार्द व धूमधाम एवं हर्षोल्लास पूर्वक किया जाता है।

- Advertisement -

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here