तीसरे नवरात्र पर माँ चंद्रघंटा की पूजा, भय और संकटों का होता है नाश

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आज हो रही है मां चंद्रघंटा की पूजा –
लोक टुडे न्यूज नेटवर्क -रितु मेहरा की रिपोर्ट
जयपुर।शारदीय नवरात्र का तीसरा दिन माँ दुर्गा के चंद्रघंटा स्वरूप को समर्पित है। देवी माँ का यह रूप साहस, शौर्य और पराक्रम का प्रतीक माना जाता है। माँ के मस्तक पर अर्धचंद्र के आकार की स्वर्ण घंटी सुशोभित है, इसी कारण इन्हें माँ चंद्रघंटा कहा जाता है।
तीसरे नवरात्र की पूजा विधि में गंगाजल से शुद्धिकरण, पुष्प अर्पण, धूप-दीप और दूध से बने प्रसाद का विशेष महत्व है। श्रद्धालु ‘ॐ देवी चन्द्रघण्टायै नमः’ मंत्र का जाप कर माँ से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
मान्यता है कि माँ चंद्रघंटा की आराधना से साधक को भय, शत्रु और रोगों से मुक्ति मिलती है। जीवन में सुख-समृद्धि आती है और आत्मविश्वास बढ़ता है। विवाहित स्त्रियों को वैवाहिक सुख और अविवाहित कन्याओं को योग्य जीवनसाथी का आशीर्वाद प्राप्त होता है
देशभर में तीसरे नवरात्र पर विशेष आयोजन किए जाते हैं। वाराणसी स्थित चंद्रघंटा देवी मंदिर, जम्मू-कश्मीर की वैष्णो देवी गुफा, हरिद्वार का चंडी देवी मंदिर और हिमाचल प्रदेश का चामुंडा देवी शक्तिपीठ इस अवसर पर लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र रहते हैं।

माँ चंद्रघंटा का स्वरूप :
माँ का रंग स्वर्णिम (सोने जैसा) बताया गया है।
इनके दस हाथ होते हैं और सभी में अलग-अलग अस्त्र-शस्त्र।
इनके गले में सफेद फूलों की माला और माथे पर अर्धचंद्र है।
सवारी शेर है, जो पराक्रम और वीरता का प्रतीक है।
यह स्वरूप शांति और वीरता दोनों का अद्भुत संगम है।
ऐसे करें मां की पूजा -पूजा विधि :
1. सुबह स्नान कर के स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
2. पूजा स्थान पर माँ दुर्गा की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
3. गंगाजल से शुद्धिकरण करें और रोली, अक्षत, पुष्प अर्पित करें।
4. माँ चंद्रघंटा को बेलपत्र, गुलाब, लाल फूल, और धूप-दीप अर्पित करें।
5. इनके पूजन में सिंहासन पर बैठी माँ की ध्यान साधना और घंटी बजाना विशेष फलदायी माना गया है।
6. ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे’ तथा ‘ॐ देवी चन्द्रघण्टायै नमः’ मंत्र का जाप करें।
7. प्रसाद में दूध से बनी मिठाई (खीर, रसगुल्ला या पायस) अर्पित करना श्रेष्ठ है।

 

देश के प्रसिद्ध मंदिर :
चंद्रघंटा देवी मंदिर, वाराणसी (उत्तर प्रदेश) – यहाँ नवरात्र में लाखों श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं।
वैष्णो देवी मंदिर, कटरा (जम्मू-कश्मीर) – वैष्णो माता के त्रिकूट पर्वत पर माँ के चंद्रघंटा स्वरूप की मान्यता है।
चंडी देवी मंदिर, हरिद्वार (उत्तराखंड) – यहाँ भी तीसरे नवरात्र पर विशेष पूजा होती है।
चामुंडा देवी मंदिर, कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) – शक्तिपीठों में एक, यहाँ भी माँ के चंद्रघंटा स्वरूप की आराधना विशेष फलदायी मानी जाती है।
पूजा का फल :
माँ चंद्रघंटा की आराधना से साधक के जीवन में शांति, सुख-समृद्धि और सौभाग्य आता है।
दुष्ट शक्तियों, नकारात्मक ऊर्जा और अदृश्य भय का नाश होता है।
मनोबल और आत्मविश्वास बढ़ता है, जीवन में सफलता और मान-सम्मान की प्राप्ति होती है।
विवाहित महिलाओं को वैवाहिक सुख और अविवाहित कन्याओं को योग्य वर की प्राप्ति होती है।
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