मोटापा, जीवनशैली और प्रदूषण के चलते बढ़ा युवाओं में कैंसर

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युवाओं में मुंह, गले, फेफडे और स्तन कैंसर की बढ रही समस्या

जयपुर। गलत जीवनशैली, मोटापा और प्रदुषण के चलते आज देश में कैंसर रोगियों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। युवा भी इस बीमारी की गिरफ्त से दूर नहीं है। प्रदेश सहित देशभर में 20 से 35 उम्र के युवाओं में कैंसर के केसेज तेजी से बढते जा रह है। भगवान महावीर कैंसर हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के मेडिकल ऑन्कोलॉजी विभाग के डायरेक्टर डॉ अजय बापना ने बताया कि युवाओं में कैंसर का प्रमुख कारण गलत जीवनशैली के साथ ही जेनेटिक भी है।

युवा अवस्था में यह कैंसर के अधिक
डॉ बापना ने बताया कि ओरल कैंसर, लंग कैंसर, कॉलोन (मलाशय) कैंसर, पुरूषों में प्रोस्टेट और महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के केसेज युवाओं में तेजी से बढ रहे हैं। आमतौर पर इन कैंसर के रोगी 40 वर्ष या उससे अधिक उम्र के लोगों में देखे जाते थे, लेकिन पिछजे कुछ सालों 20 से 35 वर्ष के युवाओं में इन कैंसर के केसेज सामने आ रहे है।

20 प्रतिशत तेजी से बढ रहा कैंसर
इंडियन काउंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर)-नेशनल सेंटर फॉर डिज़ीज़ इंफोर्मेटिक्स एंड रिसर्च (एनसीडीआईआर) की ओर से नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम रिपोर्ट में देशभर में कैंसर के आंकडों में तेज वृद्वि बताई गई। रिपोर्ट में सामने आया कि 2020 में कैंसर के 13.9 लाख मामले सामने आए। ऐसे में 2025 में बढ़कर 15.7 लाख तक पहुंचने की संभावना है। इनमें ओरल, लंग, ब्रेस्ट कैंसर के केसेज युवाओं में देखे बढ़ रहे है।

इन लक्षणों को पहचानें
सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ अनिल गुप्ता ने बताया कि मुँह या गले में न भरने वाला छाला, कुछ निगलने में दिक्कत होना या आवाज में परिवर्तन, शरीर के किसी भी भाग में गांठ, स्तन में गांठ या आकार में परिवर्तन, लंबे समय तक खांसी या कफ में खून, मलद्वार, मूत्रद्वार से असामान्य खून आना, मासिक धर्म के अलावा या रजोनिवृति के बाद असामान्य रक्तस्त्राव, शौच की आदत में परिवर्तन। यह सभी लक्षण कैंसर के शुरूआती लक्षणों में शामिल है। इन लक्षणों को नजर अंदाज न करें एवं चिकित्सक को समय पर दिखाकर लक्षणों के कारण की पहचान करवाएं है।

कैंसर से बचाव है संभव
तंबाकू (बीडी, सिगरेट, गुटखा) एवं गलत जीवनषैली (जैसे व्यायाम नहीं करना, ज्यादा तेल, मसाले का भोजन का सेवन) को छोड दिया जाए तो कैंसर की रोकथाम संभव है। सरवाईकल कैंसर का टीकाकरण (6 माह के अंतराल में) करवाकर महिलाएं इस रोग से खुद को बचा सकती है, अपने चिकित्सक से इसके बारे में सलाह लें। 40 की उम्र के बाद महिलाओं को स्तन कैंसर की जांच के लिए मैमोग्राफी और बच्चेदानी के मुंह के कैंसर की जांच के लिए पैप स्मीयर (20 वर्ष की आयु के बाद) हर वर्ष करवानी चाहिए।

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