
जयपुर। पावटा। खबर जयपुर के पावटा कस्बे से है जहां सूरजपुरा गांव में दलित समाज के दुल्हे ने असामाजिक तत्वों के डर से पुलिस के साये में घोड़ी पर बैठकर बारात निकाली।
पुलिस ने ग्रामीणों के सहयोग से कराई निकासी
कोटपुतली के एडीएम जगदीश आर्य ने बताया कि पावटा में दलित समाज के संजय धानका नामक युवक की शादी थी। जिसे स्थानीय असामाजिक तत्वों ने घोड़ी पर निकासी निकालने पर मारपीट की धमकी दी थी। इस गांव में करीब तीन पहले भी दलित समाज युवक की पुलिस की सुरक्षा में ही बारात निकली थी। दुल्हे और उसके परिजनों ने बताया कि अभी भी गांव में दलित समाज के साथ कुछ भी हो सकता है। कुछ असामाजिक तत्व लगातार उन्हें धमकाते रहते है। इसलिए बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया। कड़ी सुरक्षा के बीच दलित दुल्हे की बिंदौली निकाली गई। इस मौके पर विराटनगर के उपखंड अधिकारी सुनील शर्मा, पावटा उपखंड अधिकारी राजवीर यादव , एडिशनल एसपी सुमित गुप्ता , शाहपुरा के सीओ सुरेंद्र कृष्णया समेत कई आला अधिकारी मौजूद रहे। शांतिपूर्ण बिदौली निकलने पर सभी ने राहत की सांस ली। लेकिन दलित वर्ग में अभी भी अनचाहा डर बैठा हुआ है। ऐसे में प्रशासन को स्थानीय लोगों के बीच बाचचीत कराकर माहौल को सौहार्दपूर्ण बनाना बड़ी जिम्मेदारी है। जो लोग दलित समाज के दुल्हों पर बैठने को अपनी तौहिन समझते है उन्हें ये समझना होगा कि लोग पैसे देकर घोड़ी पर बैठे या किसी अन्य पर इससे उन्हें फर्क नहीं पड़ना चाहिए। ऐसे कार्यां में आगे आकर सहयोग करना चाहिए। जिससे आपसी सौहार्द भी बना रहे और भाईचारा भी बरकरार रहे।

बिंदोली के दौरान लोगों ने घरों के दरवाजे और खिड़कियां तक कि बंद
जब दलित समाज के युवक की सूरजपुरा गांव के बाजार से निकाली जा रही थी तो गांव में मानो कर्फ्यू लग गया। लोगों ने अपने घरों की खिड़की, दरवाजे तक बंद कर लिए। उन्होंने बारात को देखना तक पसंद नहीं किया । बहुत सारे लोग तो इस दौरान अपने घरों के ताले लगाकर बाहर भी चले जाते हैं जिससे वे सब कुछ अपनी आंखों से नहीं देख सके। ये लोगों में दलित वर्ग के प्रति नफरत भी हो सकती है ,और पुलिस से बचने का रास्ता भी हो सकता है!
चौथी शादी जिसमें पुलिस सुरक्षा में निकली बरात
पावटा का सूरजपुरा गांव राजधानी जयपुर से ज्यादा दूर नहीं है, लेकिन फिर भी वहां इस तरह का माहौल है, तो दूर-दराज में गांव में कैसे हालात होंगे ,इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है । आज की युवा पीढ़ी अब काफी एडवांस हो गई है और वह इन सब बातों में विश्वास नहीं करती है । लेकिन उनके बीच भी कुछ लोग नफरत के बीज बो कर उन्हें विरोध के लिए तैयार करते हैं ,जो सरासर गलत है! वे उनका भविष्य भी खराब करते है और माहौल भी। एसडीम ने बताया कि सूरजपुरा में दलित समाज की यह चौथी बारात है ,जिसे पुलिस की सुरक्षा में निकाला गया है। गांव में किसी भी तरह का कोई माहौल नहीं है। सभी सौहार्दपूर्ण तरीके से रह रहे हैं, लेकिन वे चाहते हैं कि बार-बार इस तरह किसी दूल्हा-दुल्हन को पुलिस का संरक्षण देना पड़े ,यह भी सभ्य समाज के लिए ठीक नहीं है। जब लोकतंत्र है तो सब समान है ऐसे में अब यह विरोध बंद होना चाहिए सब को जीने का अधिकार है। दूल्हे और उसके परिवार ने पुलिस प्रशासन को ग्रामीणों का आभार जताया है।