
जयपुर। रीट पेपर के तथाकथित लीक मामले में शिक्षा मंत्री और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा पर डॉक्टर किरोडी लाल मीणा ने पलटवार किया है । मीणा ने कहा कि रीट मामले में शिक्षा मंत्री का बयान हास्यास्पद है। मुझ पर व्यक्तिगत आरोप लगाने की बजाय ये बताना चाहिए कि तमाम दावों के बावजूद पेपर कैसे लीक हुआ! पेपर आउट होने के बावजूद सरकार क्यों नहीं सरकार पेपर लीक को स्वीकार कर रही। पेपर लीक होने के मामले में जो तथ्य सामने आ रहे हैं उन से यह स्पष्ट है कि परीक्षा में व्यापक स्तर पर गड़बड़ी हुई है और लोग बड़े लोग इसमें शामिल है। कुछ लोगों की गिरफ्तारियां हुई है। इसकी तह तक जाने के लिए सरकार को स्वयं आगे आकर सीबीआई जांच के लिए कहना चाहिए ।
शिक्षा मंत्री के आरोपों से व्यथित
शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा की मुझ पर व्यक्तिगत आरोप लगाने से दुख जरूर हुआ । लेकिन इससे बेरोजगारों के प्रति समर्पण कम नहीं होगा। उनकी आवाज को उठाते रहेंगे। युवाओं को न्याय दिलाना के लिए वे संघर्ष करते रहेंगे। प्रदेश के बेरोजगार युवा जब भी अपनी पीड़ा लेकर मेरे पास आते हैं, तो में उनकी आवाज को उठाता हूं। एक जनप्रतिनिधि के नाते यह मेरा दायित्व भी है। रीट पेपर लीक मामले में जब तक बेरोजगारों को न्याय नहीं मिलता, मेरा संघर्ष जारी रहेगा। आपको बता दें कि डॉक्टर किरोडी लाल मीणा आज जयपुर शहर में बरसात होने के बावजूद शहीद स्मारक पर धरने पर बैठे रहे। पिछले 3 दिनों से सर्दी ,गर्मी ,बरसात की परवाह नहीं करते हुए अभ्यर्थियों के साथ सड़क पर बैठे हैं ।
मीना 26 लाख बच्चों के भविष्य का भी रखे ख्याल
लेकिन रीट की परीक्षा देने वाले लाखों विद्यार्थियों का किरोड़ी लाल मीना से सवाल ये भी है क्या कुछ लोगों की गलती की सजा सबको देना उचित है। जो लोग पेपर लीक प्रकरण में दोषी है, जहां जहां पेपर लीक होने के आरोप लगे है वहां परीक्षा फिर से कराई जा सकती है। लेकिन सभी की परीक्षा रद्द करने की मांग करना कहां का न्याय है। ये 26लाख युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ और अन्याय होगा। ऐसा करने से लंबे समय से परीक्षा की तैयारी करने में लाखों रुपए कोचिंग सेंटरों पर खर्च कर दिए। हजारों रुपए खर्च करके परीक्षा देने पहुंचे और परीक्षा दे भी दी। अब -यदि परीक्षा कैंसिल हो जाती है तो उन्हें यह सब प्रक्रिया फिर से करनी पड़ेगी समय बर्बाद होगा सो अलग। युवाओं के साथ इस तरह की धोखाधड़ी तो नहीं होनी चाहिए। जो जो दोषी है उन्हें सजा मिले उनके परीक्षा देने पर आजीवन प्रतिबंध लगे। लेकिन सबको इसके लिए दंडित करना सरासर गलत है।