
जयपुर ।श्री कृष्ण बलराम मंदिर में 370 महिलाओं एवं पुरुषो ने श्रील प्रभुपाद आश्रय लिया।
सच्चे सुख और आनंद की चाहत हो तो वो सिर्फ भगवान् के चरणों का आश्रय लेने से ही प्राप्त होते है। जीवन के दुखों को त्यागकर सुख का मार्ग कैसे अपनाया जाए इस ज्ञान का पथप्रदर्शन करता है ।भक्ति वेदांत स्वामी श्रील प्रभुपाद का मार्ग और भक्ति के मार्ग में प्रशस्त होने का रास्ता दिखाता है श्रील प्रभुपाद आश्रय समारोह आज श्री श्री कृष्ण बलराम मंदिर में इस समारोह का आयोजन हुआ, जिसमें भक्ति मार्ग की परीक्षा एवं इंटरव्यू पास कर चुके 370 लोगों ने इस मार्ग पर चलने की प्रतिज्ञा ली । गौरतलब है की आश्रय लेने वालों में देश विदेश से लोग शामिल हुए जिनमें डॉक्टर्स, आर्मी , इंजिनियर , एडवोकेट , सरकारी कर्मचारी , राजनीति से जुड़े लोग , शिक्षक आदि थे ।

आश्रय में भाग लेने वालों में पुरुष और महिलाएं दोनों ही शामिल हुए । कल्चर सेंटर के सुधर्मा हाल में आयोजत हुए श्रील प्रभुपाद आश्रय समारोह में लोगों ने साधना भक्ति मार्ग पर आगे बढ़ने का संकल्प लिया । आश्रय लेने वाले सभी लोगों के चेहरों पर उत्साह साफ़ झलक रहा था , सभी भक्त भक्ति मार्ग में आगे बढ़ने के लिए बहुत ही उत्सुक थे ।

मंदिर के अध्यक्ष श्री अमितासन दास ने आश्रय के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा की भगवान श्री कृष्ण का भक्ति मार्ग सर्वश्रेष्ठ है और भक्ति वेदांत स्वामी श्रील प्रभुपाद श्री गौड़ीय वैष्णव परंपरा के महान आचार्य एवं गुरु हैं, जिन्होंने पूरे विश्व में हरे कृष्ण आंदोलन को स्थापित किया ।उन्होंने आश्रय की प्रक्रिया के बारे में आगे बताया की इसके लिए पहले रजिस्ट्रेशन होता है। यह कार्यक्रम 6 अलग-अलग स्तरों पर होता है ,जिन्हें पास करके भक्त श्रील प्रभुपाद का आश्रय लेने के हक़दार होता है , यह दीक्षा से पूर्व की प्रक्रिया है जिसमे कम से कम 2 साल का समय लगता है। परीक्षा के लिए पुस्तकों का पठन करना होता है , लिखित परीक्षा पास करना और साक्षात्कार अगले चरण होते हैं । सभी चरणों को पास करके दीक्षा के लिए भक्त तैयार होता है और भक्ति मार्ग में आगे बढ़कर अपना जीवन सफल बनाता है ।