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लोक टुडे न्यूज नेटवर्क | गंगधार (झालावाड़)
सनातन धर्म में कार्तिक पूर्णिमा का विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर राक्षस का वध किया था, इसलिए इसे त्रिपुरी पूर्णिमा भी कहा जाता है।
झालावाड़ जिले के गंगधार कस्बे स्थित छोटी कालीसिंध नदी के राजघाट पर मंगलवार को महिलाओं ने दीपदान कर पुण्य अर्जित किया। इस अवसर पर श्रद्धालुओं ने धार्मिक अनुष्ठानों के साथ भगवान विष्णु और शिव की आराधना की।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन गंगा, यमुना, नर्मदा जैसी पवित्र नदियों में स्नान और दीपदान से मोक्ष की प्राप्ति होती है। यदि नदी स्नान संभव न हो तो घर पर स्नान के जल में गंगाजल मिलाकर स्नान कर दीपदान करने का भी विधान बताया गया है।
इस दिन तुलसी के पौधे के नीचे, मंदिर में और आंगन में दीप जलाने का विशेष महत्व माना गया है। वहीं 365 बाती का दीपक जलाना अत्यंत शुभ माना जाता है।
देवउठनी एकादशी से प्रारंभ हुआ तुलसी-विवाह उत्सव भी कार्तिक पूर्णिमा पर संपन्न होता है। कई भक्त इस दिन देवी तुलसी और भगवान शालिग्राम का विवाह कराते हैं। इसके साथ ही भीष्म पंचक व्रत का समापन भी इसी दिन होता है।

















































