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जमवारामगढ़ प्रकरण परिवार को आर्थिक सहायता, नौकरी और बच्चों की पढ़ाई का जिम्मा
लोक टुडे न्यूज नेटवर्क
जयपुर, जमवारामगढ़। वन विभाग के कर्मचारियों की पिटाई से कुशलपुरा निवासी विक्रम मीणा की संदिग्ध मौत के बाद जमवारामगढ़ क्षेत्र में तनाव का माहौल बना रहा। परिजनों और ग्रामीणों ने न्याय और मुआवजे की मांग को लेकर धरना-प्रदर्शन शुरू किया। कई घंटों तक चले इस आंदोलन के बाद शनिवार को जिला प्रशासन और ग्रामीणों के बीच बातचीत हुई, जिसके बाद समझौते पर सहमति बनी।

समझौते के प्रमुख बिंदु
1. संविदा नौकरी
मृतक विक्रम मीणा के परिवार के एक सदस्य को संविदा आधार पर नौकरी दी जाएगी।
2. आर्थिक सहायता
परिवार की आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए कुल ₹24.5 लाख की मदद का ऐलान हुआ –
₹21 लाख – जिला प्रशासन की ओर से
₹1 लाख – नरेश मीणा की ओर से
₹1 लाख – एनएसयूआई अध्यक्ष राकेश मीणा की ओर से
₹1.50 लाख –पूर्व विधायक गोपाल मीणा की टीम की ओर से
3. मासिक पेंशन
परिवार को ₹1200 प्रतिमाह पेंशन दी जाएगी।
4. बच्चों की शिक्षा व पालन-पोषण
विक्रम मीणा के प्रत्येक बच्चे को 18 वर्ष की आयु तक ₹1500 प्रतिमाह की सहायता प्रदान की जाएगी।
5. जांच कार्रवाई
डिप्टी प्रदीप जी द्वारा ग्रामीणों पर की गई कार्रवाई की जांच 15 दिनों के भीतर पूरी की जाएगी।
वन विभाग के कर्मचारियों की भूमिका की भी 15 दिनों में जांच कर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
6. ग्रामीणों पर कोई कार्रवाई नहीं
इस पूरे प्रकरण में आंदोलनकारी ग्रामीणों पर किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई नहीं होगी।
7. अन्य निर्णय
एक डेहरी का बूथ भी स्थापित करने का निर्णय लिया गया।
धरना समाप्त, ग्रामीणों ने जताया संतोष
समझौते के बाद धरना स्थल पर ग्रामीणों ने “इंक़लाब ज़िंदाबाद” के नारे लगाए और आंदोलन समाप्त करने की घोषणा की।
अधिकारियों और ग्रामीण नेताओं के बयान
जिला प्रशासन के अधिकारी ने कहा –
“हमने मृतक के परिवार को हर संभव सहयोग देने का निर्णय लिया है। जांच भी पारदर्शी तरीके से होगी और दोषियों पर कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।”
ग्रामीण प्रतिनिधियों ने कहा –
“हम न्याय की मांग को लेकर धरने पर बैठे थे। समझौते से परिवार को राहत मिलेगी और बच्चों का भविष्य सुरक्षित होगा। अब हमारी निगरानी रहेगी कि प्रशासन अपने वादों को समय पर पूरा करे।”
परिजनों का कहना है –
“हमने अपना बेटा खोया है, उसकी भरपाई संभव नहीं, लेकिन प्रशासन की ओर से जो मदद मिली है, उससे परिवार को सहारा मिलेगा।”
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