लोक टुडे न्यूज नेटवर्क
जयपुर । राज्य में नई सरकार के गठन को दस माह बीत चुके हैं लेकिन अभी तक अधिकांश बोर्ड – निगमों में अध्यक्ष, सदस्य और अन्य पदों पर पार्टी कार्यकर्ताओँ को नियुक्ति का इंतजार है। फिलहाल कार्यकर्ताओं को राजनीतिक नियुक्तियों के लिए अभी राज्य में होने वाले विधानसभा उपचुनावों तक इंतजार करना होगा। करीब सौ – सवा सौ अलग- अलग बोर्ड आयोग, उपभोक्ता मामले, सहित कई पदों पर पार्टी के कार्यकर्ताओँ को नियुक्ति मिलती है जिससे कार्यकर्ताओँ को काम करने का अवसर भी मिल जाता है।लेकिन सरकार के गठन के बाद चार पांच बोर्ड को छोड़कर अधिकांश बोर्डों में नियुक्ति होना शेष है। अब तक बीजेपी के कार्यकर्ता भी किसी न किसी बहाने से सोशल मीडिया पर एक दूसरे की चुटकी लेने लगे है।
पहले लोकसभा चुनावों का इंतजार था
पहले कार्यकर्ताओं से कहा गया की जो कार्यकर्ता लोकसभा चुनावों में अच्छी फरफोरमेंस दिखाएगा उसे बोर्ड आयोगों में नियुक्त मिलेगी। कार्यकर्ताओँ ने अपनी और से बेहतरीन करने का प्रयास किया। अब राज्य में होने वाले विधानसभा उपचुनावों तक कार्यकर्ताओं को और इंतजार करना होगा। क्योंकि यदि विधानसभा उपचुनावों से पूर्व राजनीतिक नियुक्तियां हो जाती है तो इसका असर विधानसभा उपचुनाव पर आने की संभावना रहती है।इसलिए कोई भी पार्टी की सरकार को वो राजनीतिक नियुक्तियां बहुत सोच- समझकर करती है।
कार्यकर्ताओं को रहता है राजनीतिक नियुक्तियों का इंतजार
सरकार बदलने के साथ ही वे तमाम कार्यकर्ता जो टिकट की दौड़ में शामिल होते है वे लेकिन किसी कारण उन्हें टिकट नहीं मिलता फिर वे इन बोर्ड आयोगों में सैट होने की उम्मीद में रहते है। सरकार भले ही किसी भी पार्टी की हो लेकिन राजनीतिक नियुक्तियां देने में सरकार का मुखिया हमेशा जोड़ भाग के चक्कर में इन नियुक्तियों को लटकाते रहते है। बीजेपी कार्यालय में करीब 150 बोर्ड- आयोगों में हजारों पार्टी कार्यकर्ताओं को खफाने की सूची बन चुकी है। सबसे पहले बोर्ड आयोगों की सूची बनाई गई है। इसके बाद कौन कार्यकर्ता कौन से बोर्ड में फीट होगा इसकी सूची को अंतिम रुप दिया जाएगा। पार्टी के अधिकांश नेता अपने – अपने वफादारों को इसमें खफाने का प्रयास कर रहे हैं। सभी कार्यकर्ता भी इसमें न सही दूसरे में सही की आस में उम्मीद लगाए बैठे है, तो कईयों ने मोर्चा भी खोल दिया है वे गाहे बगाहे सोशल मीडिया पर बड़े नेताओं की इशारों – इशारों में बैंड बजाने में नहीं चूक रहे हैं। कार्यकर्ताओं का कहना है जिसे भी जिम्मेदारी देनी है समय पर दी जाए पूर्ववर्ती गहलोत सरकार की तरह चुनावों के एनवक्त पर करीब 5 हजार कार्यकर्ताओं को आधी रात तक बैकडेट में नियुक्तियां दी गई। जिससे न तो वे काम कर सके और न ही उस राजनीतिक नियुक्ति का कोई फायदा उठा पाए। सरकार ने अपनी खाना- पूर्ति की लेकिन जिनको नियुक्ति मिली बहुत सारे कार्यकर्ताओं ने पद ही अस्वीकर कर दिए। इसलिए बीजेपी के कार्यकर्ताओं और वरिष्ठ नेताओं का कहना है की किसी बोर्ड का कार्यकाल तीन साल होता है यदि सरकार का मुखिया चाहे तो पांच साल में एक बोर्ड में डबल नियुक्तियां करके पार्टी के वरिष्ठ कार्यकर्ताओं को सैट करने का काम कर सकता है। लेकिन नियुक्तियां नहीं देकर कार्यकर्ताओं के संयम की परीक्षा नहीं लेनी चाहिए। राजनीतिक नियुक्तियां समय पर होगी तो इससे कार्यकर्ताओं में अच्छा संदेश जाएगा। पार्टी कार्यकर्ता भी सरकार में अपनी भागीदारी निभा सकेंगे।