पीएम मोदी और सीएम भजनलाल उच्च न्यायालय की प्लेटिनम जुबली के समारोह हुए शामिल - लोक टुडे न्यूज़

लोक टुडे न्यूज नेटवर्क
जोधपुर। (दयाल सिंह सांख्ला) प्रधानमंत्री ने इस बात पर भी जोर दिया कि 21वीं सदी के भारत में ‘एकीकरण’ शब्द बहुत बड़ी भूमिका निभाने वाला है। हमारा विजन है कि परिवहन के साधनों, स्वास्थ्य प्रणाली सहित देश की सभी आईटी प्रणालियों को एकीकृत किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि पुलिस, फोरेंसिक, प्रक्रिया सर्विस मेकैनिज्म और सर्वोच्च न्यायालय से लेकर जिला न्यायालयों तक सभी एक साथ जुड़कर काम करें। उन्होंने राजस्थान की सभी जिला अदालतों में आज शुरू की गई एकीकरण परियोजना के लिए अपनी शुभकामनाएं भी दीं।

मोदी ने कहा कि आज के भारत में गरीबों के सशक्तिकरण के लिए प्रौद्योगिकी का सफल उपयोग हो रहा है, जिसको कई वैश्विक एजेंसियों और संगठनों से प्रशंसा मिली है। भारत डीबीटी से लेकर यूपीआई तक कई क्षेत्रों में एक वैश्विक मॉडल के रूप में उभरा है। न्याय प्रणाली में भी इसी अनुभव को लागू किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी का उपयोग कर कानूनी दस्तावेजों और निर्णयों को स्थानीय भाषाओं में लोगों तक पहुंचाने के लिए काम किया जाना चाहिए। गरीबों को सशक्त बनाने का यह सबसे प्रभावी साधन बन सकती है। सर्वोच्च न्यायालय ने एक सॉफ्टवेयर की मदद से इसकी शुरुआत कर दी है, जिससे न्यायिक दस्तावेजों का 18 भाषाओं में अनुवाद किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सरकार दिशा नामक एक अभिनव समाधान को भी बढ़ावा दे रही है। इस अभियान में मदद करने के लिए उन्होंने कानून के छात्रों और अन्य कानूनी विशेषज्ञों को आमंत्रित किया।



प्रधानमंत्री ने राजस्थान उच्च न्यायालय के प्लेटिनम जुबली समारोह का हिस्सा बनने पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि राजस्थान उच्च न्यायालय ऐसे समय में 75 साल पूरे कर रहा है, जब भारत का संविधान भी अपने 75 साल पूरे करने वाला है। यह कई महान हस्तियों की न्याय निष्ठा और योगदान का स्मरण करने का अवसर है।

प्रधानमंत्री की प्रेरणा से हुआ राजस्व मामलों में डिजिटलाइजेशन नवाचार
लोक अदालतों के जरिये लंबी कानूनी प्रक्रिया से मिली निजात

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मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि राजस्थान उच्च न्यायालय का स्वर्णिम इतिहास रहा है। इसका नाम उन 9 उच्च न्यायालयों में गर्व के साथ लिया जाता है, जिन्होंने देश में आपातकाल के दौरान भी न्याय के सिद्धांतों की रक्षा की। उन्होंने कहा कि जब आपातकाल के दौरान नागरिक अधिकारों का हनन हो रहा था, तब इस न्यायालय ने यह सुनिश्चित किया कि व्यक्ति अपनी गिरफ्तारी और हिरासत को चुनौती दे सके। यह निर्णय इस बात का प्रमाण है कि न्यायालय ने हमेशा ’कानून का शासन’ का सम्मान किया है और उसकी रक्षा के लिए खड़ा रहा है। श्री शर्मा ने कहा कि राजस्थान में न्यायपालिका, कार्यपालिका तथा विधायिका बेहतर काम कर रही हैं। इसी का परिणाम है कि ढेरों मामले आपसी समझाइश से सुलझे हैं और लोगों को लंबी कानूनी प्रक्रिया से निजात मिली है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने वर्षों पुराने कानूनों को खत्म करने, नये कानूनों से प्रक्रिया को आसान बनाने और नियमों के सरलीकरण जैसे काम किए हैं। सरलीकरण के तहत जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) अधिनियम, 2023 के 42 केंद्रीय कानूनों में से 183 प्रावधानों को अपराधमुक्त करके व्यापार करने में आसानी लाने के लिए बनाया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि मिशन कर्मयोगी के माध्यम से अधिकारियों को कानून संबंधी विषयों में विशेषज्ञता हासिल करने का मौका मिल रहा है। शर्मा ने कहा कि 75 वर्षों में राजस्थान उच्च न्यायालय ने अनगिनत महत्वपूर्ण फैसलों के माध्यम से देश और राज्य की न्यायिक प्रक्रिया को समृद्ध किया है। यह न्यायालय हमारे संविधान के मूल्यों, न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व का सच्चा प्रहरी बना हुआ है। केन्द्रीय विधि एवं न्याय राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि आधुनिक गणराज्य के रूप में भारत की नींव हमारा गौरवशाली संविधान है, जिसकी आधारशिला ही न्याय है।

यह भी रहे मौजूद

इस अवसर पर राज्यपाल हरिभाऊ किसनराव बागडे, भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनिंद्र मोहन श्रीवास्तव, विधानसभा अध्यक्ष श्री वासुदेव देवनानी, मंत्रिमंडल के सदस्यों सहित वरिष्ठ न्यायाधीश, वरिष्ठ अधिवक्ता, विधि छात्र एवं गणमान्य उपस्थित रहे।

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