जयपुर ।जयपुर में भाजपा की परिवर्तन संकल्प यात्रा के समापन समारोह में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को इग्नोर करने के बाद जयपुर पहुंचे अमित शाह और जेपी नड्डा ने इस मामले को कुछ ठंडा करने की कोशिश की। लेकिन चित्तौड़गढ़ में हुई सभा में भी पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को पूरी तरह से दरकिनार कर दिया गया । हालांकि वसुंधरा राजे मंच पर पूरे समय मौजूद रही लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पूरे भाषण के दौरान एक बार भी वसुंधरा राजे का नाम मंच से नहीं लिया ।
यही नहीं उन्होंने दो बार शासन कर चुकी वसुंधरा राजे के कार्यकाल का भी जिक्र नहीं किया ।उन्होंने कमल का फूल की बात की और कमल के फूल को जिताने की अपील की। यानी कि CM फेस कोई भी नहीं होगा। मंच पर तमाम CM फेस जरूर बैठे थे जो अपने आपको मुख्यमंत्री का चेहरा मानकर चल रहे हैं। यही बात है कि पीएम मोदी ने किसी को भी ज्यादा तवज्जो नहीं दी हां पीएम मोदी ने पूरे कार्यक्रम में पार्टी के अध्यक्ष सीपी जोशी का कई बार नाम लिया।
वह जब जनता के बीच कर में सवार होकर आए, तब भी उनके साथ कार में सीपी जोशी ही साथ में थे और पूजा में भी उनके साथ सीपी जोशी थे। मंच पर भाषण में भी उन्होंने कई बार सीपी जोशी का ही नाम लिया लेकिन वसुंधरा राजे का नाम नहीं लिया।
पीएम मोदी के इस सख्त रवैये ने साफ कर दिया कि राजस्थान में पीएम मोदी ही मुख्यमंत्री का चेहरा होगा और पूरी पार्टी पीएम मोदी के चेहरे पर ही चुनाव लड़ेगी ।उन्होंने साफ कर दिया कि कोई भी नेता इस गलतफहमी में नहीं रहे कि वह CM फेस होगा। अब राजस्थान का चुनाव गहलोत वर्सेस मोदी ही होगा ।लेकिन इस फैसले से सबसे ज्यादा आश्चर्यचकित वसुंधरा राजे समर्थक है क्योंकि उन्हें लग रह जो भूल जयपुर में हुई है उसे शायद पीएम मोदी चित्तौड़गढ़ वाली सभा में सुधार लेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ इसका मतलब है कि वह भूल नहीं थी जानबूझकर ही उन्हें इग्नोर किया गया था और चित्तौड़गढ़ में भी उनके भाषण नहीं करवाना या खुद अपने भाषण में भी वसुंधरा राजे का नाम नहीं लेना इस बात का संकेत है कि वह अब एक सामान्य नेता की तरह ही है और दूसरे नेताओं की तरह ही मान कर चले।
दिया कुमारी को पहचान का संकट
हालांकि चर्चा वसुंधरा राजे के रिप्लेसमेंट की भी चल रही है और उनके स्थान पर कई नेताओं के नाम सामने आ रहे हैं जिनमें जयपुर राज परिवार की पूर्व राजकुमारी और राजसमंद की संसद दिया कुमारी का नाम भी लिया जा रहा है लेकिन आपको बता दें कि दिया कुमारी का जयपुर में भी राजपूत समाज में खासा विरोध है उनके पिता स्वर्गीय ब्रिगेडियर भवानी सिंह ने भी लोकसभा का चुनाव लड़ा था और उन्हें भी हार का सामना करना पड़ा था खुद दिया कुमारी का जब विवाह हुआ था तब राजपूत समाज ने उनका बाय कार्ड कर दिया था और राजपूत सभा भवन तक से बेदखल कर दिया गया था ऐसे में क्या राजपूत समाज उन्हें स्वीकार करेगा सबसे बड़ा सवाल यह है और ना तो वह पूरे प्रदेश का और ना ही पूरे प्रदेश में उनकी स्वीकार्यता और पहचान है ऐसे में उनकी तुलना वसुंधरा राजे से करना ना इंसाफी होगा।दिया सवाई माधोपुर से और राजसमंद से चुनाव जीत चुकी है जयपुर में उनके लिए पहला चुनाव होगा। लेकिन अभी गांव और शहरों में भी उनका चेहरा जाना पहचाना नहीं है इसलिए पार्टी को इस बारे में विचार करना होगा।
सीपी जोशी पीएम पीएम मोदी ने जिस तरह से सीपी जोशी को तवज्जो दी जाहिर सी बात है सीपी जोशी का इस पूरे प्रकरण में कद बढ़ रहा है। ब्राह्मण समाज से होने के नाते और चित्तौड़गढ़ के सांसद होने के नाते युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं । पूर्व में उनके संपर्क दिल्ली में अच्छे हो गए और यह माना जा रहा है कि उनको भी इस लड़ाई में कहीं एक चेहरा माना जा सकता है। लेकिन वह सामान्य प्रवृत्ति के हैं ऐसे में वह अपने आप को कभी इस लड़ाई में शामिल नहीं करेंगे, हां पार्टी कब किस पर क्या और कैसे मेहरबान हो जाए यह आने वाला समय बताएगा। लेकिन जिम्मेदारी मिलने पर सीपी जोशी बखूबी निभाएंगे।