गृहणी पत्नी को टीचर बताकर शिक्षा विभाग से उठाया वेतन, अब तक लगाया 72 लाख का चूना, आरोपी संविदाकर्मी गिरफ्तार

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शिक्षा विभाग को दीमक की तरह चाटने वाला सविंदा कर्मी गिरफ्तार

काल्पनिक शिक्षक की आई डी जनरेटर करके पत्नी के खाते में डाले 72 लाख का वेतन

भीलवाड़ा। कोटडी शिक्षा विभाग से प्रतिमाह मोटी राशि का वेतन लेने वाले शिक्षा अधिकारियों की मिलीभगत से एक मामूली सा कम्प्यूटर ऑपरेटर जो सविंदा पर लगा हुआ था उसने शिक्षा विभाग को 72 लाख का चूना लगा दिया। दो थानों में मुकदमा दर्ज हुआ तो अधिकारियों के हाथ पांव फूल गए आनन फानन में बडलियास व कोटडी थाने में ऑपरेटर गोपाल सुवालका के खिलाफ राजकोष के गबन का मामला दर्ज कराया गया।

काल्पनिक टीचर के नाम का वेतन डाला पत्नी के खाते में

आरोपी के खिलाफ 12 अगस्त की शाम बडलियास थाने में गेगा का खेडा विद्यालय के प्रिंसिपल चंद्र सिंह राजपूत ने सीबीईओ ऑफिस के कम्प्यूटर ऑपरेटर गोपाल सुवालका के खिलाफ पे मैनेजर व प्री पे मैनेजर में कांट छांट करके रवि कुमार नाम से काल्पनिक शिक्षक बना कर जून 2018 से जून 2020 तक करीब 12 लाख रुपये का राजकोष वेतन व एरियर के नाम भुगतान अपनी पत्नी दिलखुश सुवालका के खाते में डाल दिया। मुकदमा दर्ज होते ही शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया । सीबीईओ ऑफिस से लेकर जिला शिक्षा अधिकारी कार्यलय तक अधिकारियों की नींद उड़ गई।

शिक्षा विभाग की उड़ी नींद

बडलियास थाने में दर्ज मामले के बाद जिला शिक्षा अधिकारी ने जांच टीम गठित कर मामले की पड़ताल के आदेश दिए । जिला शिक्षा अधिकारी प्रारम्भिक योगेश पारीक के नेतृत्व वाली टीम ने जब ऑपरेटर गोपाल सुवालका की पत्नी दिलखुश सुवालका के एसबीआई बैंक के खाते का स्टेटमेंट निकलवाया तो उसमें 2010 से 2021 तक करीब 60 लाख का राजकीय भुगतान होना पाया गया। जबकि दिलखुश सरकारी कर्मचारी नहीं होकर गृहणी है , इतने बड़े घोटाले का मामला सामने आने के बाद कार्यवाहक मुख्य शिक्षा अधिकारी बलराम मीणा ने गोपाल सुवालका व उसकी पत्नी के खिलाफ कोटडी थाने में 60 लाख के राजकोष गबन का मामला दर्ज कराया जिसकी अब पुलिस जांच कर रही है।

गेगा का खेडा विद्यालय में 12 लाख गबन के शुरुआती मामले में बडलियास थाना पुलिस ने कार्यवाही करते हुए सोमवार शाम गोपाल को गिरफ्तार कर लिया गया ,वही शिक्षा विभाग की जांच टीमे 2010 से अब तक के दस्तावेजों की बारीकी से जांच कर रही है जिसमे ओर भी बड़े खुलासे होने की संभावना है। 2010 से अब तक करीब 13 सीबीईओ लेवल के अधिकारियों के हस्ताक्षर से प्रतिमाह वेतन के नाम बडा गड़बड़झाला होता रहा , अब तक लेकिन किसी भी अधिकारी का ध्यान इस ओर नहीं गया। मामला खुलने के बाद भी उन अधिकारियों पर कोई कार्यवाही नहीं हुई है जिससे निष्पक्ष जांच पर सवालिया निशान खड़े होते है।

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