लांपोलाई में संघ का शताब्दी विजयादशमी उत्सव और पथ संचलन

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लोक टुडे न्यूज नेटवर्क

अनुशासन, संगठन और राष्ट्रभावना से गूंजा कस्बा
मुख्य वक्ता भगवतदान ने बताए समाज परिवर्तन के पांच सूत्र — कुटुंब प्रबोधन, सामाजिक समरसता, पर्यावरण संरक्षण, नागरिक कर्तव्य और स्वदेशी भाव

पादूकलां (लांपोलाई):
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना के 100 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में रविवार को लांपोलाई उपखंड मुख्यालय पर भव्य शताब्दी विजयादशमी उत्सव और पथ संचलन का आयोजन किया गया।
सैकड़ों स्वयंसेवक पूर्ण गणवेश में उपस्थित हुए और अनुशासन, संगठन एवं राष्ट्रभावना का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत किया।


मुख्य वक्ता भगवतदान ने दिए पंच परिवर्तन के सूत्र

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता भगवतदान ने अपने संबोधन में कहा कि संघ का प्रत्येक स्वयंसेवक समाज में सकारात्मक परिवर्तन का वाहक बने। उन्होंने जीवन में अपनाने योग्य पांच प्रमुख क्षेत्रों पर विशेष बल दिया —

  1. कुटुंब प्रबोधन: परिवार में संस्कार, संवाद और एकता का सशक्तिकरण।

  2. सामाजिक समरसता: समाज में भेदभाव मिटाकर सभी वर्गों को साथ लेकर चलना।

  3. पर्यावरण संरक्षण: प्रकृति के प्रति जिम्मेदारी और संतुलन की भावना।

  4. नागरिक कर्तव्य: समाज और राष्ट्र के प्रति दायित्वों का पालन।

  5. स्वदेशी भाव: देशी उत्पादों और आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को अपनाना।

उन्होंने कहा कि संघ की शताब्दी केवल उत्सव नहीं, बल्कि “समाज निर्माण की नई दिशा” का संकल्प है।


समाज निर्माण की दिशा में कार्यरत संघ

महंत जीवनराम ने कहा कि संघ केवल संगठन नहीं, बल्कि संस्कार, एकता और राष्ट्रभावना का आंदोलन है। स्वयंसेवक समाज में सेवा, सद्भाव और आत्मनिर्भरता की ज्योति जलाकर राष्ट्र निर्माण के कार्य में लगे हुए हैं।


अनुशासन से सजी पथ संचलन यात्रा

विजयादशमी उत्सव के तहत आयोजित पथ संचलन राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय मैदान से प्रारंभ हुआ और कस्बे के मुख्य मार्गों से गुजरा।
स्वयंसेवकों की सधी हुई कदमताल, संघ गीतों की गूंज और देशभक्ति के नारों ने वातावरण को राष्ट्रप्रेम से सराबोर कर दिया।
ग्रामीणों ने मार्गभर पुष्पवर्षा कर स्वयंसेवकों का स्वागत किया। घरों की छतों से महिलाओं और बच्चों ने भी उत्साहपूर्वक पुष्पवर्षा कर सहभागिता निभाई।


शस्त्र पूजन और उमंग का वातावरण

कार्यक्रम में परंपरागत शस्त्र पूजन का आयोजन हुआ, जहाँ स्वयंसेवकों ने शस्त्रों को राष्ट्र और धर्म रक्षा का प्रतीक मानकर वंदन किया।
पथ संचलन में युवाओं और बाल स्वयंसेवकों की बड़ी भागीदारी देखने को मिली। पूरे कस्बे में भारतीय संस्कृति, अनुशासन और संगठन शक्ति का संदेश गूंज उठा।
कार्यक्रम के समापन पर उपस्थित जनसमूह में राष्ट्रीय गौरव, आत्मीयता और एकता की भावना और भी प्रबल हो उठी।

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