दिल्ली में मुख्यमंत्री और दो उपमुख्यमंत्री लेंगे शपथ

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लोक टुडे न्यूज नेटवर्क

दिल्ली । दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी को पूर्ण बहुमत मिल चुका है लेकिन मुख्यमंत्री के नाम को लेकर अभी तक पार्टी में सहमति नहीं बनी है ।भाजपा के  नेताओं का मानना है कि पार्टी यहां पर सभी हिसाब किताब देख रही है लाभ हानि भी देख रही है कि यहां पर किसको सीएम बनाने से पार्टी को फायदा होगा और किसको नहीं बनने से नुकसान होगा।

प्रवेश सिंह वर्मा मुख्यमंत्री के प्रबल दावेदार दलित पंजाबी ,और पूर्वांचल चेहरे पर भी विचार

प्रवेश सिंह वर्मा भारतीय जनता पार्टी के स्वाभाविक मुख्यमंत्री के सबसे प्रबल दावेदार है। कारण वह दो बार सांसद रह चुके हैं । पूर्व मुख्यमंत्री साहब सिंह वर्मा की बेटे भी हैं । संघ परिवार से भी आते हैं और किसान जाट परिवार से ताल्लुक रखते हैं। देश भर में भारतीय जनता पार्टी की कई प्रदेशों में सरकारें है लेकिन कहीं पर भी जाट मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया है । यहां तक की हरियाणा में भी जाट समाज से मुख्यमंत्री नहीं होने के कारण प्रदेश में जाट समाज में भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ नाराजगी  है ।दिल्ली में  प्रवेश वर्मा को पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ चुनाव लड़ाया गया । इस तरह से प्रचलित किया गया कि यदि यहां से प्रवेश वर्मा चुनाव जीते हैं तो वही सीएम होंगे।  इसीलिए दिल्ली की जाट बहुल 10 सीटों पर भारतीय जनता पार्टी की ऐतिहासिक जीत हुई है ।इन सीटों पर पिछले तीन चुनाव में आम आदमी पार्टी की जीत होती रही है। इसीलिए जाट समाज भी यह मानता है कि दिल्ली में मुख्यमंत्री प्रवेश सिंह वर्मा ही होंगे।

दलित को मुख्यमंत्री बनाकर दलित विरोधी दाग धोना चाहेगी बीजेपी

लेकिन भारतीय जनता पार्टी कहीं न कहीं यहां दलित व्यक्ति को मुख्यमंत्री बनाना चाह रही है जिससे पूरे देश भर के दलित मतदाताओं को साधा जा सके। क्योंकि पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान ,मध्य प्रदेश ,उत्तर प्रदेश ,बिहार, सहित देश के अधिकांश भागों में दलित समाज की आबादी 15 से 22% तक है । दिल्ली में भी यह आबादी बहुत ज्यादा है और सभी सीटों पर दलित समाज का रुझान इस बार भाजपा के साथ रहा है। राजस्थान में भी 30 में से 2३ सीटम दलित समाज के लोगों ने जीतकर बीजेपी को  दी है।  इसीलिए भारतीय जनता पार्टी  दिल्ली में किसी दलित व्यक्ति को मुख्यमंत्री बनाने का दाव खेल सकती है ।यहां पर साहिब सिंह वर्मा को उपमुख्यमंत्री बनाया जा सकता है ।वही पूर्वांचलों को साधने के लिए भी पूर्वांचल से आने वाले नेताओं में से किसी एक को उपमुख्यमंत्री बनाया जा सकता है।

दिल्ली में राजस्थान की तर्ज पर  मुख्यमंत्री के साथ दो वर्गों के उपमुख्यमंत्री बनाया जा सकते हैं। इनमें वैश्य वर्ग से भी किसी को अवसर दिया जा सकता है यही कारण है कि भारतीय जनता पार्टी दो दिन से मुख्यमंत्री के नाम पर निर्णय नहीं कर पा रही है  पार्टी के वरिष्ठ नेता और गृहमंत्री अमित शाह जेपी नड्डा राजनाथ सिंह लगातार दिल्ली के विधायकों से भी चर्चा कर रहे हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी इस मामले में रुक जान चुके हैं हालांकि बताइए भी जा रहा है कि मुख्यमंत्री का नाम तय हो चुका है सिर्फ औपचारिक घोषणा करना बाकी है क्योंकि इससे पूर्व भारतीय जनता पार्टी ने राजस्थान मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ में जो प्रयोग किया है वह सफल रहा है तीनों ही प्रदेशों में जिस तरह से उन्होंने नए लोगों पर गांव खेल और तीनों ही राज्यों में सरकारी सफल रही है और नए मुख्यमंत्री के तौर पर राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव बेहतरीन काम कर रहे हैं जिससे भारतीय जनता पार्टी के आल्हा नेताओं को भरोसा है कि दिल्ली में भी यह प्रयोग सफल होगा इसीलिए किसी जरूर निर्विवाद व्यक्ति को यहां पर मुख्यमंत्री घोषित किया जाएगा उसके साथ में दो उपमुख्यमंत्री बनाए जाएंगे।

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