भरोसा किसी को नहीं ,इसीलिए कांग्रेस -बीजेपी को करनी पड़ी विधायकों की बाड़ेबंदी

0
- Advertisement -

जयपुर । राजनीति में मैं तो स्थाई दोस्त होते हैं और न ही स्थाई दुश्मन होते हैं। कब कौन सी पार्टी बदल दे ,और कब किस पार्टी का दामन पकड़ ले, या पार्टी का दामन छोड़ दे। इसको लेकर कोई निश्चित नहीं है और पिछले सालों में जिस तरह से विधायकों- सांसदों की खरीद-फरोख्त हुई है ,उसके बाद से तो यह जगजाहिर हो गया कि राजनीति में नेताओं के चरित्र पर विश्वास या भरोसा करना उचित नहीं है। यही कारण है कि कांग्रेस संख्या बल के आधार पर तीनों सीट जीत रही है। वहीं भाजपा भी समर्थन के आधार पर और संख्या बल के आधार पर एक सीट पर स्पष्ट तौर पर चुनाव जीत रही है। इसके बावजूद भी कांग्रेस पार्टी उदयपुर में अपने विधायकों के साथ बाड़ेबंदे में कैद है। तो भाजपा ने भी जयपुर में जामडोली के पास अपने विधायकों को बाड़ेबंदी में कैद कर दिया है। जाहिर सी बात है इनको अपनों पर भी भरोसा नहीं है । क्योंकि राजनीति में पिछले सालों में राजनेताओं ने अपना कमिटमेंट तोड़ दिया है।

सत्ता के लिये दे देते है दगा

जब सत्ता के लिए पूरी की पूरी राजनीतिक पार्टियों का ही विलय हो जाता है । पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री रह चुके लोग भी सत्ता के लालच में 1 मिनट में पार्टी छोड़ देते हैं ,ऐसे में भरोसा कैसे किया जाए। यही कारण है कि राज्यसभा चुनाव में जहां धनबल का भरपूर प्रयोग हो रहा हो, राजनीतिक पार्टियां एक-दूसरे के लोगों को खरीदने को आतुर हो और लोग खुद की बोली लगाने को भी बेचैन हो। ऐसी स्थिति में राजनीतिक दलों को अपने लोगों की बाड़ेबंदी करना जरूरी हो जाता है। यही कारण है कि राजनीतिक पार्टियों को अपने ही लोगों की बाड़ेबंदी करनी पड़ती है। जिससे वह दूसरी पार्टियों के लोगों से संपर्क नहीं साथ सके और जो लोग धन बल के आधार पर राज्यसभा जैसे सदन में जाना चाहते हैं, वह भी धनबल का खुलकर उपयोग करते हैं। नेताओं के सामने जब नोटों की गड्डियां दिखती है, तो ईमान बिक जाता है। ऐसे में राजनीतिक दल इन नेताओं को होटलों में कैद कर लेती है ।राजस्थान में भी कमोबेश यही हालात है। जब कांग्रेस पार्टी और भारतीय जनता पार्टी दोनों को ही अपने और अपने समर्थक विधायकों को होटलों में कैद करना पड़ा।

- Advertisement -

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here