नकली खाद खेतों में फेंक भागे बेईमान कारोबारी
LokToday के लिए एक विशेष एक्सक्लूसिव इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट (Investigative Report) —
इन्वेस्टिगेशन डेस्क
राजस्थान की धरती एक बार फिर गवाह बनी है उस सत्याग्रह की, जहाँ एक मंत्री ने सत्ता की कुर्सी को सेवा का माध्यम बनाकर बेईमानी की जड़ें हिला दीं।
डॉ. किरोड़ी लाल मीणा, जिन्हें जनता प्यार से “किरोड़ी बाबा” कहती है, ने जब से नकली खाद माफिया के खिलाफ अभियान छेड़ा है, तब से पूरे राज्य के भ्रष्ट व्यापारी, अफसर और माफिया गिरोहों में हड़कंप मच गया है।
रहस्यमयी तरीके से गायब ट्रकों की कहानी:
सूत्रों के मुताबिक, जैसे ही किरोड़ी बाबा के छापे की सूचना कुछ जिलों में पहुँची—कोटा, सवाई माधोपुर, भरतपुर और झुंझुनूं में—वहाँ पर हजारों टन नकली यूरिया, डीएपी और फर्जी माइक्रोन्यूट्रिएंट खाद ट्रकों से खेतों में फेंक दी गई।
प्रश्न उठता है:
कौन थे ये व्यापारी जो नकली खाद बेच रहे थे?क्या इन ट्रकों को प्रशासनिक संरक्षण प्राप्त था?
और सबसे बड़ा सवाल—क्या यह सिर्फ व्यापार था, या किसानों की ज़िंदगी से खेल?
मंडी के गवाह: किसानों की चुप्पी में छिपा सच
LokToday की टीम जब कोटा के कैथून, बूंदी के हिंडोली और अलवर के थानागाजी पहुँची, तो वहाँ किसानों की आँखों में डर और निराशा का मिला-जुला भाव था।
एक किसान ने नाम न छापने की शर्त पर कहा:
“साहब, यह नकली खाद जब खेत में पड़ता है, तो फसल तो बर्बाद होती ही है, ज़मीन भी मर जाती है… लेकिन हम बोलें तो राशन तक काट देते हैं। अब किरोड़ी बाबा आए हैं, तो उम्मीद जागी है।”
डीलर की डायरी और रैकेट की परतें
किरोड़ी मीणा के छापे में एक निजी खाद कंपनी के गोदाम से जब्त की गई डायरी में 200 से ज्यादा डीलरों के नाम, फर्जी GST बिल, और प्राकृतिक यूरिया के नाम पर बेचे जा रहे चूना-पाउडर मिश्रण की जानकारी मिली।
इस डायरी ने कई नामचीन कंपनियों और अधिकारियों के गठजोड़ की तरफ इशारा किया है, जिसमें राज्य के पूर्व अधिकारियों, कुछ वर्तमान अफसरों, और राजनीतिक संरक्षण प्राप्त व्यापारिक समूहों के नाम शामिल हैं।
भाजपा सरकार का रुख:
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और केंद्रीय नेतृत्व से जुड़े गृह मंत्री अमित शाह ने इस कार्रवाई को पूर्ण समर्थन दिया है। सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं इस मामले में अपडेट ले रहे हैं, क्योंकि यह अभियान उनके “ईमानदार भारत” विजन से जुड़ा है।
नकली खाद के पीछे की अर्थव्यवस्था:
बाजार मूल्य: 1 ट्रक नकली खाद = 15–20 लाख रुपये की अवैध कमाई
वार्षिक अनुमानित घोटाला: ₹500–₹700 करोड़ केवल राजस्थान में
प्रभावित क्षेत्र: 27 जिले, 1.8 करोड़ किसान संभावित रूप से प्रभावित
जनता की माँग:
हर जिले में स्वतंत्र जांच टीम गठित हो
फर्जी खाद कंपनियों का लाइसेंस तुरंत रद्द हो
किसानों को मुआवजा मिले
दोषी अफसरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो
डॉ. किरोड़ी मीणा का यह अभियान सिर्फ एक छापा नहीं—बल्कि आवाज़ है उस सोई हुई व्यवस्था के खिलाफ, जिसने किसानों को वर्षों तक नकली खाद के ज़हर से धोखा दिया।
अब सवाल यह नहीं कि किरोड़ी बाबा कितनी छानबीन करेंगे, सवाल यह है कि राजस्थान का तंत्र कितना शुद्ध होगा, और क्या ये “छापे” सिर्फ कार्रवाई रहेंगे या नीति परिवर्तन का कारण बनेंगे?