Home rajasthan कांग्रेस का वन टू वन-नेताओं का वन टू का फोर

कांग्रेस का वन टू वन-नेताओं का वन टू का फोर

0


–सत्य पारीक

प्रदेश कांग्रेस ने अपने विधायकों के साथ मंत्रियों का  " वन टू वन " कार्यक्रम आयोजित किया है जिसके जवाब में नेता और मंत्री आपस में " वन टू का फोर " करने में सक्रिय हो गये । जिससे लगता है कि कांग्रेसी नेताओं को " सत्ता की एपच " हो चुकी है जो चुनाव से पहले ही अपनी पार्टी को पांच साल के अवकाश पर भेजने में जुटे हैं । वन टू वन शुरू हो उससे पहले दिन ही प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने पार्टी में फैले " राजनीतिक कीचड़ " में पत्थर फेंकते हुए कहा कि बागी सचिन के खिलाफ कार्यवाही वे करेंगे ।
        रंधावा के फेंके पत्थर के छींटे संभले उससे पहले ही पूर्व चिकित्सा मंत्री व गुजरात कांग्रेस के प्रभारी डॉ रघु शर्मा ने राजनीतिक पाला बदलते हुए अपने पुराने साथी सचिन का साथ देते हुए उनके अनशन का समर्थन कर दिया । पायलट का साथ शर्मा ने उस समय छोड़ दिया था जब मुख्यमंत्री के साथ उनके पूर्व बॉस सत्ता की जंग लड़ रहे थे , तब शर्मा ने पाला बदला था । उनसे पहले ही उन्हीं के साथी रहे काबीना मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास ने भी पाला बदल लिया था । जबकि शर्मा और खाचरियावास को काबीना मंत्री का पद ही पायलट के कोटे से मिला था।
      दोंनो के पाला बदलने से मुख्यमंत्री की राज्य से लेकर केंद्र तक में राजनीतिक शक्ति क्षीण हुई है । उधर मुख्यमंत्री के नजदीकी चेहतों ने अपने बॉस की स्थिति कमजोर होती देख ख़बर उड़वा दी कि आगामी विधान सभा चुनाव अशोक गहलोत के नेतृत्व में ही लड़े जाएंगे । इनके बीच का " राजनीतिक रायता " समेटा ही नहीं गया था कि प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने शिक्षा मंत्री डॉ बुलाकी दास कल्ला पर सार्वजनिक तौर पर हमला करते हुए बयान दे दिया कि 13 जिलों में कांग्रेस की स्थिति कमजोर हो गई है ।
        स्थिति कमजोर होने के पीछे डोटासरा ने कल्ला द्वारा थर्ड ग्रेड शिक्षकों के तबादले नहीं करने का बड़ा कारण बताया । उनके बयान से साफ़ जाहिर हो गया कि प्रदेशाध्यक्ष अपने दल की सरकार के शिक्षा मंत्री के कार्यों से नाखुश हैं । उल्लेखनीय है प्रदेशाध्यक्ष बनने से पहले डोटासरा स्वंय शिक्षा मंत्री के पद पर रह चुकें हैं । इसी तरह से जयपुर के स्थानीय कांग्रेसी विधायक रफ़ीक खां ने स्वायत शासन मंत्री शान्ति धारीवाल को घेर कर आरोप लगा रखें हैं कि वे जयपुर की विकास योजनाओं को अपने गृह जिले कोटा ले गये , इस कारण जयपुर का विकास रुक गया है ।

NO COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Exit mobile version