मेरी ट्रैवल डायरी से: राजस्थान की विश्व धरोहरों की अनमोल सैर- राखी जैन वरिष्ठ पत्रकार
राजस्थान एक ऐसा नाम जो आते ही मन में शौर्य, रंग, कला, स्थापत्य और संस्कृति के चित्र उकेर देता है और जब बात हो World Heritage Day की, तो मेरी ट्रैवल डायरी की पहली सैर और कहां से शुरू हो सकती थी? आज की यह यात्रा खास है , क्योंकि हम आपको लिए चल रहे हैं राजस्थान के उन अद्भुत स्थलों की ओर, जिन्हें यूनेस्को ने विश्व धरोहर के रूप में मान्यता दी है। और साथ हैं लेंसमेन योगेश शर्मा की वो तस्वीरें, जो इन धरोहरों की आत्मा को जीवंत कर देती हैं।
पहाड़ी किले – पत्थरों में बसी पराक्रम की गाथाएं
राजस्थान के छह किले: चित्तौड़गढ़, कुंभलगढ़, आमेर, जैसलमेर, रणथंभौर और गागरोन, केवल इमारतें नहीं, जिंदा इतिहास हैं.
ये किले विश्व धरोहर हैं. हर किला वीरता, बुद्धिमत्ता और स्थापत्य कला का उदाहरण है.
तो बात करते हैं चित्तोड़गढ़ के ऐतिहासिक किले की। राजस्थान में एक कहावत है गढ़ में गढ़ चित्तौड़गढ़ बाकी सब गढ़ेया….ये किला 180 मीटर ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। सात सौ एकड़ में फैला हुआ सबसे विशालकाय किला है । जिसके सात प्रवेश द्वार है।चित्तौड़गढ़ किले को 21 जून 2013 को यूनेस्को ने विश्व धरोहर स्थल के रुप में मान्यता दी। इस किले की स्थापना मौर्य वंश के राजा चित्रांगद सातवीं शताब्दी में निर्माण करवाया था। इसे बाद में बप्पा रावल ने 728 ईसवी में गुहिल वंश की स्थापना के साथ अपने कब्जे में ले लिया। किले का नाम इसके संस्थापक राजा चित्रागंद के नाम पर रखा गया।
चित्तौड़गढ़: रानी पद्मिनी की जौहरगाथा- चित्तौड़गढ़ किले की चर्चा तब तक अधूरी है जब तक हम रानी पद्ममावती- पद्मिनी देवी के जौहर की चर्चा नहीं करे। जिनके जौहर की चर्चा कर आज भी महिलाएं गौरवांवित महसूस करती है। यह राजा रतन सिंह की रानी थी। रानी पद्ममावती अपनी सुंदरता के लिए प्रसिद्द थी जिसकी सुंदरता पर अल्लाऊद्दीन खिलजी सिर्फ सुनकर उन पर मोहित था। खिलजी ने रानी को पाने के लिए चित्तौड़गढ़ पर आक्रमण कर दिया । 1303 में जब अल्लाऊद्दीन खिलजी किले के नजदीक पहुंच गया तो रानी पद्मावती ने अपने सतीत्व की रक्षा के लिए हजारों वीरांगनाओं के साथ चित्तौड़गढ़ किले में जौहर किया।
कुंभलगढ़: महाराणा प्रताप का जन्मस्थान, 36 किमी लंबी दीवार
कुंभलगढ की चर्चा नहीं की जाए तो बात कुछ अधूरी रहेगी।कुंभलगढ़ के किले की स्थापना महाराणा कुंभा ने15वीं शताब्दी में करवाया था।ये राजसमंद जिले में स्थित है। जिसे सबसे मजबूत और सबसे शक्तिशाली किले के तौर पर जाना जाता है। ये किला अपनी 36 किलोमीटर लंबी दीवार के लिए प्रसिद्द है।
आमेर: शीशमहल में चमकते इतिहास के प्रतिबिंब
भारत आने वाला हर तीसरा विदेशी पर्यटक आमेर देखने जरुर आता है। आमेर किले की स्थापना 1592 में राजा मानसिंह ने की थी। ये किला जयपुर का प्राचीन किला है। अपनी स्थापत्य कला के लिए देश में प्रसिद्द है। इसे मुगल और हिंदू वास्तुकला का उदाहरण माना जाता है। ये किला लाल बलूआ पत्थर और संगमरमर से बना है। किले में आमेर की शिला माता का प्रसिद्द मंदिर है।
जैसलमेर: आज भी बसा हुआ ‘लिविंग फोर्ट’
जैसलमेर का लिविंग फोर्ट की स्थापना राजा रावल जैसल ने 1156 ईसवी में की थी। यह किला भारत का जीवित किला है जहां आज भी लोग रहते है। किले में महलों, हवेलियों,मंदिरों और बाजारों का जठिल जाल है। जहां आज भी हजारों लोग रहते हा। इसे पीले बलूआ पत्थर से बनाया गया है। जिससे ये सूर्य की रोशनी में सुनहरा दिखाई देता है इसलिए इसे सोनार किला भी कहते है।
रणथंभौर: जंगल के बीच बसी शाही विरासत
गागरोन: पानी से घिरा, एकमात्र जल-दुर्ग
गागरोन किले का निर्माण डोड राजा बिजल देव ने 12 वीं शताब्दी में कराया था। बगैर नींव के बना ये किला तीन परकोटे से घिरा हुआ है जो इसे सुरक्षित बनाता है। यहां 14 युद्द और 2 जौहर हुए हैं। ये राजस्थान का पहला किला है जो पानी के बीच बना है। किले पर 300 वर्षों तक खिंची शासकों का शासन रहा। यहां भी रानियों ने दुश्मनों से बचने के लिए रानियों ने जल जौहर किया था।
केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान – भरतपुर की उड़ती हुई धरोहर
जहां हर पंख कविता बन जाता है। पक्षियों की 370+ प्रजातियां, साइबेरिया से आने वाले मेहमान… और एक ऐसा सन्नाटा जो प्रकृति की सबसे मधुर आवाज़ों से भरा होता है.
जंतर मंतर – जयपुर का खगोलीय चमत्कार
18वीं सदी में बना ये वेधशाला आज भी समय और खगोल का माप देती है. विज्ञान, वास्तुकला और विचार का अद्वितीय संगम।
जयपुर – गुलाबी नगरी की आधुनिक धरोहर
2019 में विश्व धरोहर शहर घोषित हुआ जयपुर, वो जगह है जहां परंपरा, रंग और आत्मा सब, आज भी सांस लेते हैं. ये शहर एक अनुभव है, किताब नहीं जिसे जीना पड़ता है।
योगेश शर्मा की तस्वीरों में राजस्थान
शब्द जहां कम पड़ जाएं, वहां तस्वीरें बोलती हैं। योगेश शर्मा ने अपनी फोटोग्राफी से राजस्थान की रूह को कैद किया है ,उनकी तस्वीरों के ज़रिए हम सिर्फ देख नहीं रहे, महसूस कर रहे हैं।
विरासत – जो कल को छूती है
विश्व धरोहर दिवस सिर्फ बीते वक्त को याद करने का दिन नहीं — ये अपने भविष्य को सजाने का मौका है।
तो आइए, राजस्थान की इन धरोहरों को नमन करें और हर हफ्ते मेरी इस डायरी के ज़रिए फिर लौटें — एक नई कहानी, एक नया शहर, एक नया अनुभव लेकर।
हर हफ्ते पढ़ें — मेरी ट्रैवल डायरी: राजस्थान की एक नई झलक राखी जैन- योगेश शर्मा