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टीएसपी फंड 1500 करोड़ रुपये किया, अब एसटी के लोगों के साथ होगी टिफिन बैठकें

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राजस्थान अनुसूचित जनजाति परामर्शदात्री परिषद की पहली बैठक
एकात्म मानववाद की विचारधारा के साथ कमजोर वर्ग के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध आदिवासी उत्पादों की भी होगी ब्रांडिंग

जयपुर। लोक टुडे संवाददाता मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि राज्य सरकार पं. दीनदयाल उपाध्याय के एकात्म मानववाद की विचारधारा का अनुसरण करते हुए समाज के वंचित और कमजोर वर्ग के कल्याण के लिए निरंतर कार्य कर रही है। राज्य सरकार ने संविधान की मंशा के अनुरूप जनजाति परामर्शदात्री परिषद का गठन किया है। इस परिषद के सुझावों के अनुरूप निर्णय लेकर आदिवासी समुदाय के जीवन स्तर में परिवर्तन लाने का कार्य किया जाएगा।

 शर्मा मंगलवार को राजस्थान विधानसभा में आयोजित राजस्थान अनुसूचित जनजाति परामर्शदात्री परिषद की पहली बैठक को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जनजाति समुदाय के कल्याण की भावना से अनुसूचित जनजाति के विकास एवं सशक्तीकरण के लिए प्रावधित टीएसपी फंड की राशि इस बजट में 1000 करोड़ रुपये से बढाकर 1500 करोड़ रुपये कर दी गई है। उन्होंने कहा कि राज्य में गोविन्द गुरु जनजाति क्षेत्र विकास योजना प्रारंभ की जा रही है, जिसके माध्यम से सामुदायिक वनाधिकार क्षेत्रों में विकास और संरक्षण के कार्य किए जाएंगे।

आदिवासी क्षेत्रों के स्थानीय उत्पादों को मिले बढ़ावा

मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि राज्य के वन-धन केन्द्रों को अधिक से अधिक सुविधाएं उपलब्ध करवाकर स्थानीय उत्पादों को प्रोत्साहन दें। उन्होंने कहा कि आदिवासी क्षेत्रों में होने वाले जामून, सीताफल, हर्बल गुलाल जैसे उत्पादों की प्रभावी मार्केटिंग कर उन्हें उचित बाजार उपलब्ध कराएं, जिससे आदिवासी समुदाय के लोग आर्थिक रूप से सशक्त बन सकें।

जनजाति क्षेत्र में समय बिताए जनप्रतिनिधि एवं अधिकारी
मुख्यमंत्री ने कहा कि जनप्रतिनिधियों को जनता बहुत विश्वास और अपेक्षा के साथ चुनकर भेजती है। हमकों उनका सहभागी बनकर उनकी अपेक्षाओं पर खरा उतरना है। इसके लिए क्षेत्र के जनप्रतिनिधि टिफिन बैठकें आयोजित कर स्थानीय लोगों के साथ भोजन करें, जिससे उनके साथ सहभागिता बढ़े। श्रीशर्मा ने कहा कि केन्द्र और राज्य सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ जनता को दिलाने की प्रमुख जिम्मेदारी अधिकारियों की है। उन्होंने जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों से आह्वान किया कि वे आदिवासी समुदाय के बीच अधिक से अधिक समय बिताये तथा समय-समय पर इन क्षेत्रों में रात्रि विश्राम भी करें।

केन्द्र और राज्य सरकार ने जनजाति वर्ग के कल्याण के लिए उठाए कई कदम
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में केंद्र सरकार और प्रदेश सरकार ने जनजाति वर्ग के कल्याण के लिए अनेक महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। प्रधानमंत्री आदि आदर्श ग्राम योजना के अंतर्गत राज्य के जनजाति बहुल 4302 गांवों का चरणबद्ध विकास किया जाएगा। इसी क्रम में प्रथम 2 चरणों में 1 हजार 566 गांवों को चिन्हित कर इनके सर्वांगीण विकास हेतु ग्राम विकास योजनाएं तैयार की जा रही है। अब तक लगभग 12 हजार कार्यो की स्वीकृति जारी की जा चुकी है।

जनजाति क्षेत्र के विकास के लिए बजट में कई महत्वपूर्ण घोषणाएं
मुख्यमंत्री ने कहा कि जनजाति क्षेत्र के विकास के लिए परिवर्तित राज्य बजट में कई महत्वपूर्ण प्रावधान किए गए हैं। उन्होंने कहा कि जनजाति वर्ग के बालक-बालिकाओं के लिए छात्रावासों एवं आवासीय विद्यालयों में मेस भत्ता बढ़ाकर 3 हजार रुपये प्रतिमाह एवं खेल छात्रावासों के लिए 4 हजार रुपये प्रतिमाह किया गया है। इसके अतिरिक्त 250 नवीन मां-बाड़ी केन्द्र खोलने तथा मां-बाड़ी केन्द्रों पर कार्यरत शिक्षा सहयोगियों के मानदेय में 10 प्रतिशत की वृद्धि की घोषणा भी बजट में की गई है। साथ ही, नवीन अनुसूचित जनजाति छात्रावास, एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय तथा तीरन्दाजी व एथलेटिक्स खेल अकादमी स्थापित करने का भी प्रावधान किया गया है

बैठक में यह भी रहे मौजूद
बैठक में जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग के शासन सचिव डॉ. जोगाराम ने पीपीटी के माध्यम से विभागीय संरचना, योजनाओं एवं नवाचारों की जानकारी दी इस अवसर पर जनजातीय क्षेत्रीय विकास मंत्री बाबूलाल खराड़ी राजस्व मंत्री हेमंत मीना सरकारी मुख्ता योगेश्वर घर विधायक फूल सिंह मीणा हंसराज मीणा प्रताप लाल भी अमृतलाल मीणा समाराम गोपीचंद मीणा ललित मीणा कैलाश मीणा शंकर लाल लेका महेंद्र पाल मीणा राजेंद्र मीणा अतिरिक्त मुख्य सचिव हेल्थ शिप्रा सिंह मुख्य सचिव ग्रामीण विकास एवं पंचायत राज अभय कुमार अतिरिक्त मुख्य सचिन की अखिल अरोड़ा मुख्य सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता कुलदीप राजा सभी विभागों के प्रमुख शासन सचिव सचिव एवं वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे । खास बात यह रही कि इतने सारे आईएएस अधिकारियों में एक भी एसटी वर्ग का आईएएस अधिकारी नहीं था जो अनुसूचित जनजाति वर्ग की मूल भावनाओं को समझ कर नीति निर्धारण में अपनी भूमिका निभा सके। जबकि राजस्थान में मीना और एसटी वर्ग के आईएएस अधिकारियों की कोई कमी नहीं है लेकिन किसी भी विभाग में प्रमुख शासन सचिव एक भी मीना नहीं होने के कारण मीटिंग में भी मौजूद नहीं रहा।

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