दीपावली ,दीपदान अंधकार पर प्रकाश की विजय और समृद्धि का पर्व

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लोक टुडे न्युज़ नेटवर्क

रितु मेहरा

दीपावली अंधकार पर प्रकाश की विजय और समृद्धि का पर्व
✨ दीपावली क्यों मनाई जाती है
“दीपावली” शब्द संस्कृत के ‘दीपावली’ (अर्थात् दीपों की पंक्ति) से बना है।
यह पर्व अंधकार पर प्रकाश, असत्य पर सत्य और अज्ञान पर ज्ञान की विजय का प्रतीक है।
हिंदू परंपरा के अनुसार इस दिन भगवान श्रीराम 14 वर्ष का वनवास पूरा कर अयोध्या लौटे थे। अयोध्यावासियों ने उनके स्वागत में घर-घर दीप जलाए। तभी से दीपावली को “दीपों का पर्व” कहा जाता है।
कृष्ण भक्तों के अनुसार, इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर दानव का वध किया था। वहीं जैन धर्म में यह दिन भगवान महावीर के निर्वाण दिवस के रूप में पवित्र माना जाता है।
इस प्रकार, दीपावली केवल उत्सव नहीं — बल्कि आध्यात्मिक जागरण और अंदर-बाहर दोनों ओर से प्रकाश फैलाने का संदेश है।
आध्यात्मिक धारणा
दीपावली हमें सिखाती है कि जैसे दीपक अंधकार को मिटाता है, वैसे ही हमें अपने भीतर के लोभ, ईर्ष्या, भय और अज्ञान को समाप्त कर प्रेम, सद्भाव और ज्ञान का दीप जलाना चाहिए।
माता लक्ष्मी की पूजा केवल धन के लिए नहीं होती — यह पूजा आंतरिक समृद्धि, विवेक और सकारात्मक सोच को आमंत्रित करने का माध्यम है।
लक्ष्मी पूजन का महत्व
लक्ष्मी पूजन का अर्थ केवल नोट-सिक्कों का संग्रह नहीं, बल्कि
“धन की पवित्रता” और “कर्म की शुद्धता” का संकल्प लेना है। माता लक्ष्मी वहीं निवास करती हैं जहाँ सफाई, ईमानदारी, और सत्कर्म होते हैं।
लक्ष्मी पूजन करने से: घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है।व्यवसाय और कार्य में स्थिरता आती है।पारिवारिक संबंधों में प्रेम और सहयोग बढ़ता है। नकारात्मक ऊर्जा दूर होकर सकारात्मकता आती है। 

लक्ष्मी पूजन की संपूर्ण विधि
पूजन से पहले की तैयारी
1. घर की सफाई – लक्ष्मी माँ स्वच्छता की देवी हैं। घर और दुकान को चमकाएँ।
2. सजावट करें – रंगोली, तोरण, फूल और दीपों से दरवाज़ा सजाएँ।
3. पूजा स्थल तैयार करें – उत्तर या पूर्व दिशा में लाल या पीला वस्त्र बिछाएँ।
4. लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति रखें – दोनों को साथ स्थापित करें, बीच में लक्ष्मी, दाहिनी ओर गणेश जी।
5. कलश स्थापना करें – चांदी या तांबे के पात्र में जल, सुपारी, फूल और सिक्के डालकर ऊपर नारियल रखें।
पूजन विधि
1. दीपक जलाकर “ॐ गं गणपतये नमः” कहकर गणेश जी की आराधना करें।
2. फिर “ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः” मंत्र से लक्ष्मी माँ का आह्वान करें।
3. फूल, अक्षत, चंदन, मिठाई और प्रसाद अर्पित करें।
4. लक्ष्मी माँ की आरती करें —
“जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता…”
5. परिवार के सभी सदस्य आरती में शामिल हों और दीप चारों दिशाओं में घुमाएँ।
6. पूजा के बाद धन, बही-खाते, गहने आदि को लक्ष्मी जी के आगे रखकर उनका आशीर्वाद लें।
7. प्रसाद बांटें और दीपक पूरे घर में जलाएं।दीपावली 2025 का शुभ मुहूर्त
तिथि: सोमवार, 20 अक्टूबर 2025
पूजन का शुभ समय (जयपुर सहित उत्तर भारत के लिए):
शाम 7:16 PM से 8:25 PM तक
प्रदोष काल: सूर्यास्त के बाद से लगभग 8:30 PM तक पंचांग के अनुसार, स्थान भिन्न होने पर समय में थोड़ा परिवर्तन संभव है।
दीपावली के दिन क्या करें और क्या न करें
क्या करें:
दीपक जलाकर घर के हर कोने में उजाला फैलाएं।
जरूरतमंदों को दान-वस्त्र दें, उनके चेहरे पर मुस्कान लाएं।
परिवार-मित्रों के साथ प्रेमपूर्वक समय बिताएं।
क्या न करें:
झूठ, छल-कपट या अपवित्र धन से लेन-देन न करें।अनावश्यक शोर-शराबा और प्रदूषण से बचें।क्रोध, विवाद और नकारात्मक बातों से दूरी रखें।
दीपावली का सच्चा संदेश
दीपावली केवल बाहर के दीपों का उत्सव नहीं —
यह “अंदर के दीप” जलाने का अवसर है।
जब मन में प्रकाश होगा, तभी संसार में उजाला फैलेगा।दीपावली हमें सिखाती है कि जीवन में अंधकार चाहे कितना भी गहरा क्यों न हो,एक छोटा-सा दीपक भी उसे मिटा सकता है।इस वर्ष दीपावली पर केवल दीए ही नहीं जलाएं — मन में श्रद्धा, संबंधों में मिठास और कर्म में प्रकाश भी जगाएं।
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