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लोक टुडे न्युज़ नेटवर्क
अहसास की कलम से…….
“जिन्हें बार-बार अपनी काबिलियत साबित करनी पड़ी,
आज उन्हीं बेटियों ने दुनिया को झुका दिया।”
कभी जिनके हुनर पर शक किया गया,
जिन्हें कहा गया — “ये खेल तुम्हारे बस का नहीं,”
आज वही बेटियाँ बल्ले से बिजली, और मैदान में तूफ़ान बन गईं!
उन्होंने साबित कर दिया कि काबिलियत लिंग नहीं देखती, बस हौसले मांगती है।
भारत की बेटियाँ — विश्व चैंपियन हैं!
महिला क्रिकेट विश्व कप के फाइनल में
भारत ने साउथ अफ्रीका को मात देकर इतिहास रच दिया।
यह सिर्फ़ एक जीत नहीं — यह राष्ट्र की आत्मा का उत्सव है,
यह हर उस लड़की के सपने की जीत है
जो छोटी-सी गली में प्लास्टिक की गेंद से खेलते हुए आसमान छूना चाहती है।
आज क्रिकेट सिर्फ़ एक खेल नहीं रहा —
यह भारत को जोड़ने वाली भावना बन चुका है।
जब मैदान में भारत की जर्सी पहनी कोई बेटी या बेटा उतरता है,
तो 140 करोड़ दिल एक साथ धड़कते हैं।
कश्मीर से कन्याकुमारी तक, असम से गुजरात तक —
हर कोना एक रंग में रंग जाता है — तिरंगे के रंग में।
यह जीत उस एकता का प्रतीक है जो धर्म, भाषा और क्षेत्र से ऊपर है।
यह वो पल है जब पूरा भारत एक सुर में गाता है —
“भारत माता की जय!”
और आने वाली पीढ़ी के लिए —
यह इतिहास नहीं, प्रेरणा का प्रारंभ है।
अब कोई लड़की बल्ला उठाते हुए यह नहीं सोचेगी कि
“क्या मैं कर पाऊँगी?”
वह अब कहेगी —
“अगर उन्होंने किया, तो मैं क्यों नहीं?”
इन बेटियों ने उन आने वाले लाखों युवाओं को रास्ता दिखाया है
जो बड़े सपने देखने से डरते थे।
अब हर गाँव, हर कस्बे में कोई न कोई बेटी बल्ला थामेगी,
मिट्टी से लथपथ पैर लेकर दौड़ेगी,
और कहेगी —
“ये मेरा मैदान है, और मैं इसकी विजेता बनूँगी।”
आज का यह पल सिर्फ़ ट्रॉफी उठाने का नहीं,
बल्कि हर भारतीय के दिल को ऊपर उठाने का है।
यह जीत बताती है कि जब इरादा भारतीय हो,
तो मंज़िल असंभव नहीं रहती।
जय हो उन बेटियों की जिन्होंने देश को जोड़ा,
गर्व से सिर ऊँचा किया,
और हर बच्चे को यह सिखाया —
“खेल सिर्फ़ मैदान में नहीं जीते जाते,
वे दिलों में जन्म लेते हैं।”
वंदे मातरम्!
भारत की बेटियाँ — भारत का गौरव, भारत का भविष्य।
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