धड़ल्ले से फल फूल रहा है नकली मावा एवं मिठाई नमकीन का कारोबार, जिले में खाद्य विभाग करता है खानापूर्ति, कारवाई के नाम पर
नकली खाद्य पदार्थों से जिंदगी के साथ खिलवाड़ कब तक चलता रहेगा
मिलावटी मिठाइयाँ बननी शुरू, दिन रात धधक रही भट्ठिया
लोक टुडे न्यूज नेटवर्क
झालावाड़। (हेमराज शर्मा) जिले के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल कामखेड़ा सहित अकलेरा -मनोहरथाना असनावर झालरापाटन खानपुर डंग आदि क्षेत्र में दिवाली की मिठाई न कर दें बीमार ! जिले में धड़ल्ले से नकली मावे का हो रहा इस्तेमाल दीवाली त्यौहारों की चकाचौंध के बीच बाजारों में नकली मावे और मिठाइयों का कारोबार तेज़ी से फल-फूल रहा है। ऐसे में आपको अगाह करते हैं जनहित में आम जनता से अपील की है कि वे मिठाई खरीदते समय उसकी शुद्धता की जांच ज़रूर करें ताकि वे नकली मावे से बनी मिठाई का सेवन करने से बच सकें। झालावाड़ जिले के विभिन्न क्षेत्रों में पिछले पांच सालों में सबसे ज्यादा है. सिर्फ मावा ही नहीं, बल्कि मिलावटी नमकीन भी बाज़ार में सेहत और जायका बिगाड़ने के लिए आ पहुंचा है। ऐसे में आप भी त्यौहारों पर बाजार से बनी मिठाई खरीद रहे हैं तो सावधान हो जाएं, क्योंकि इनकी सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं है। आपको बता दें कि जिले के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल कामखेड़ा के बाजार में नकली घी ने बाजार में कब्जा कर रखा था, परंतु कुछ दिनों से अपने रफ्तार कम कर चुका है ।
मिठाईयों की लागत आती है ज्यादा, इसलिए नकली बेचकर कमाते है मुनाफा
कुछ मिठाई ऐसी हैं जो दूध से तैयार होती हैं। इनके बनाने की लागत 180 ये 220 रुपये प्रति किलोग्राम से कम नहीं है। जानकारों का कहना है कि दूध के स्थान पर पाउडर, अरारोट और सूजी को मिलाकर बंगाली मिठाई तैयार की जा रही है। त्योहारों पर मिलावटी मिठाई एवं अन्य सामान की काफी बिक्री होती है। दूध की आपूर्ति पूर्ववत रहती है, लेकिन मिठाई, मावा व पनीर, सफेद रसगुल्ले की मांग बढ़ जाती है। ऐसे में मांग को पूरा करने मे मिलावटी मावा धड़ल्ले से प्रयोग किया जाता है।
दीपावली पर होती सबसे ज्यादा मिलावटी मिठाइयों की बिक्री
दीपावली आते ही नकली मावा व मिठाइयाँ बनाने का काम तेजी से फल फूल रहा है। कही नकली घी बनने की खबर निकलकर सामने आ रही है तो कही रंग बिरंगी मिलावटी मिठाइयाँ भी खुले आम बिक रही है। दिवाली का त्योहार आते ही कम समय में अधिक धन लाभ अर्जित करने के लिए मिलावट खोर सक्रिय हो जाते हैं। ऐसे में मिलावट खोर रंग बिरंगी कई मिठाइयों को दुकानों पर सजाने लगते हैं जो की स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित होती हैं। जिले के विभिन्न कस्बों में कई जगह तो ऐसा देखा जा रहा है, जहां खुले में मिठाइयां रखी हुई है जिससे सड़कों से उड़ने वाले धूल के कण इनमें समा रहे हैं, जिससे बीमारियां फैलने का खतरा बना है। ऐसी मिठाई खाकर लोगों का स्वास्थ्य भी खराब हो सकता है।
विभाग नहीं करता कार्रवाई
बाजार में तरह तरह की मिलावटी मिठाइयाँ उपलब्ध है ग्राहकों से शुद्धता के नाम पर ज्यादा पैसे वसूल किये जा रहे हैं लेकिन सामग्री सही नहीं मिलती। छापे के डर से मिठाई कारोबारी दिन की बजाय रात में मिठाइयाँ तैयार कर रहे है रात में मिठाइयाँ तैयार करने के बाद उन्ही मिलावटी मिठाइयों को दिन में दुकानों पर सजा दिया जाता है। देखने वाली बात यह है कि अकलेरा -मनोहरथाना असनावर सहित विभिन्न क्षेत्रों में इस खाद्य विभाग ने कोई ठोस कार्रवाई आजतक नहीं की है सब भगवान भरोसे चल रहा है। खाद्य विभाग इन पर लगाम लगाने पर विचार विमर्श कब तक करेगा कुंभकर्ण की नींद से कब जागोगे।
टेलकम पावटर और चूना भी मिलाते हैं
नकली मावे में मावा में घटिया किस्म का मिल्क पाउडर मिलाया जाता है। इसमें टेलकम पाउडर, चूना, चॉक और सफेद केमिकल्स की मिलावट भी होती है। नकली मावा के लिए दूध में यूरिया, डिटर्जेंट पाउडर और घटिया क्वालिटी का वनस्पति घी मिलाया जाता है, जिससे उसमें फैट बन जाता है। कुछ लोग मावा में शकरकंद, सिंघाड़े का आटा, मैदा या आलू भी मिलाते हैं। मावे का वजन बढ़ाने के लिए आलू और स्टार्च मिलाया जाता है। तीनों ही तरीकों से बने मावे का लिवर और किडनी पर घातक असर पड़ता है।
हानिकारक रंग- मावा मिठाईयों को रंग- बिरंगा बनाने के लिए हानिकारक रंग भी मिलाते हैं। जबकि मिठाईयों में मिलाया जाने वाला कलर नेचूरल होना चाहिए। लेकिन अधिकांश दुकानों पर केमिकल युक्त रंग ही मिलाया जाता है।
—-क्या कहते हैं डॉक्टर –
मिलावटी मावा के बने मिष्ठानों से लीवर और आंतों पर इंफेक्शन हो सकता है। कहीं प्रकार की एलजी हों सकतीं हैं
। जिससे पीलिया की शिकायत लोगों में बढ़ जाती है। इन मिठाइयों का अधिक सेवन करने से उल्टी, दस्त के साथ पेट खराब भी हो सकता है। जो शुगर के मरीजों के लिए अधिक हानिकारक होती है। साथ ही त्योहार पर बाजार की मिठाइयों काे खाने से पहले उसकी शुद्धता अवश्य ध्यान में रखें।