दिल्ली रेलवे स्टेशन पर मची भगदड़ में 20 लोगों की मौत, दर्जनों घायल

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लोक टुडे न्यूज नेटवर्क

नई दिल्ली।  रेलवे स्टेशन पर उस समय भगदड़ मच गई । जब रेलवे ट्रैक पर प्रयागराज एक्सप्रेस जाने के लिए अनाउंसमेंट हुआ । उस समय ट्रैक नंबर 13,14 और 15 दोनों पर प्रयागराज जाने के लिए लोगों की भारी भीड़ जमा थी बताया जा रहा है कि 8:30 बजे प्रयागराज जाने वाली तीन ट्रेनें लेट हो गई जिससे भीड़ और बढ़ गई और भगदड़ मच गई ।  के हिसाब से में अस्पताल प्रशासन ने 18 लोगों की मौत की पुष्टि की है रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने घटना की उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं इससे पहले 29 जनवरी को प्रयागराज की महाकुंभ में 30 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी वहीं 10 फरवरी 2013 को कुंभ के दौरान प्रयागराज स्टेशन पर भगदड़ मची थी इस हादसे में 36 लोग मारे गए थे लेकिन हाथों के बावजूद भी किसी ने सबक नहीं लिया।

प्लेटफॉर्म 14 से भाग कर 16 पर जाने के दौरान हुआ हादसा

प्रत्यक्ष दर्शियों ने बताया कि प्लेटफार्म नंबर 14 से  लोग 16 की तरफ भागने  लगे इससे भीड़ आमने-सामने हो गई।  कुछ लोग जमीन पर गिर पड़े, लोग उनके ऊपर चढ़कर निकल गए।  हादसे में 18 लोगों की मौत हो गई।  सुबह दो लोगों की मौत होने से अब तक 20 लोगों की मौत हो चुकी है।  वही तीन दर्जन से ज्यादा लोग घायल हो गए। इनमें से दो दर्जन लोगों की स्थिति गंभीर बताई जा रही है और अस्पताल में भर्ती है।

 रेलवे स्टेशन पर यात्रियों का बिखरा पड़ा सामान

 अस्पताल में घरेलू का इलाज जानकारी लेते अधिकारी नेता

महाकुंभ के 144 साल के संयोग के कारण लोग स्नान से नहीं चूकना चाहते

जिस तरह से प्रयागराज को लेकर प्रचारित किया जा रहा है अजब- गजब संयोग 144 साल बाद आया ऐसा संयोग । हिंदू स्नान नहीं करेंगे तो नहीं होगा मोक्ष।  यह बात घर कर गई कि इस तरह का महाकुंभ 144 साल के बाद आया है ,अब न जाने कब आएगा ऐसा संयोग ! यदि इस बार  कोई हिंदू इस महाकुंभ में नहीं गया तो उसका जीवन व्यर्थ है। यही कारण है कि लोग जो नहीं गए हैं ,वह भी इसमें जाने की जिद में वहां पहुंच रहॆ है। सबको मोक्ष और अपना वर्तमान जीवन सुधारने , अपने पापों को धोने की लालसा है और इसी तमाम बातों को लेकर लोगों का महाकुंभ जाने को लेकर जोश और जुनून उन्हें प्रयागराज खींच रहा है । लोग किसी भी तरह से प्रयागराज पहुंचाना चाहते हैं सड़क मार्ग से हो ,या रेल मार्ग से, जबकि पता है कि वहां पर बहुत ज्यादा लोग पहुंच चुके है।  व्यवस्थाएं खराब हो चुकी है ,ऐसे में अब लोगों को स्वयं ही अपने आप को रोकना होगा । जब कुछ दिनों बाद हालात सामान्य हो जाए तब भी धार्मिक यात्रा की जा सकती है । नदियों का संगम भी वहीं होगा।

प्रयागराज भी वहीं होगा तो क्यों जान जोखिम में डालकर खुद की, परिवार के लिए परेशानी खड़ी की जाए! सरकार को मुसीबत में खड़ा किया जाए? क्योंकि सरकार भी चलाने वाले आप और हम जैसे लोग ही हैं।  जब आवश्यकता से अधिक लोग जाएंगे तो किसी भी स्थिति पर नियंत्रण होना मुश्किल है। भले ही सत्ता की चाबी योगी जी के हाथ में हो, मोदी जी के हाथ में हो ,या राहुल या अखिलेश जी के हाथ में हो, कोई भी इस तरह के हादसों को नहीं रोक सकता। क्योंकि भीड़ का कोई नेता नहीं होता है। भीड़ अनियंत्रित होती है और जब लोग  अनियंत्रित होते हैं तो फिर इस तरह के हाथ से होते हैं। जिन्हें रोकनी किसी भी सरकार के वश में नहीं है । यह स्वयं के रोकने से ही रुकेगा, नियंत्रण खुद को करना पड़ता है।

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