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संगीनों के साये में निकली बारात

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दबंगों ने घोड़ी पर बारात निकालने पर दी थी धमकी, पुलिस ने संभाला मोर्चा

किशनगढ़। अजमेर जिले के किशनगढ़ उपखंड मुख्यालय से लगता ढिगारिया गांव। कोई ड़ेढ-दो हजार लोगों की बस्ती। गांव में पहली बार ग्रामीणों ने इतनी पुलिस एक साथ देखी। गांव में बोराड़ा, अराई, सराणा, बांदरसिंदरी और रूपनगढ़ थाने की पुलिस इसलिए मौजूद थी, क्योंकि गांव के स्वर्गीय नाथूराम गंगवाल का पुत्र मुकेश मालपुरा तहसील के सांस गांव के रहने वाले छोटूराम जाटवा की पुत्री निरमा को ब्याहने जा रहा था। संभवतया यह गांव की पहली ऐसी बारात की रवानगी थी, जहां बारातियों से ज्यादा पुलिसकर्मियों की मौजूदगी रही। पुलिस की मौजूदगी में दूल्हा मुकेश घोड़ी चढ़ा और ढोल-धमाकों की गूंज पर निरमा को ब्याहने निकल पड़ा। असल में, मुकेश बैरवा के परिजनों ने दूल्हे के घोड़ी चढ़ने के दौरान किसी विवाद की आशंका जताई थी। इसी वजह से उसकी निकासी के समय पांच थानों की पुलिस मौजूद रही। निकासी की प्रक्रिया शांतिपूर्वक संपन्न हो जाने के बाद पुलिस विभाग ने राहत की सांस ली।

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ढिगारिया सरवाड़ तहसील का छोटा सा गांव है। यहां के स्वर्गीय नानूराम गंगवाल के परिजनों महावीर, ज्ञानचंद और हनुमान गंगवाल ने पिछले दिनों परिवार के बेटे मुकेश का विवाह मालपुरा के सांस गांव के निवासी छोटूराम जाटवा की पुत्री निरमा के साथ तय की थी। इसके लिए 29 मई का दिन तय किया गया। इस परिवार में 24 मई से मांगलिक कार्यक्रम चल रहे थे। इससे पहले परिवार को दलित होने के चलते विवाह समारोह में विवाद की आशंका हो गई। ऐसे में पुलिस अधीक्षक चूनाराम जाट के समक्ष उपस्थित होकर परिजनों ने अपनी बात रखी। इस पर दूल्हे को घोड़ी चढ़ने के दौरान पुलिस सुरक्षा मुहैया कराने का फैसला किया गया। नियत दिन बोराड़ा, अराई, सराणा, बांदरसिंदरी और रूपनगढ़ थाने की पुलिस को ढिगारिया पहुंचने के लिए कहा गया। पांचों थानों की पुलिस इसके लिए दोपहर में ही ढिगारिया पहुंच गई। शाम को निकासी का कार्यक्रम था। इस दौरान दूल्हा कोट-पैंट पहनकर सज-धजकर निकासी के लिए घोड़ी चढ़ा। परिजनों ने पुलिस की मौजूदगी में मुकेश की निकासी करवाई और बारात को सांस गांव के लिए रवाना किया। निकासी की रस्म शांतिपूर्वक संपन्न होने के बाद पांचों थानों की पुलिस ने राहत की सांस ली।

ढिगारिया के ग्रामीणों का कहना था कि गांव में पहली बार किसी शादी में इतनी पुलिस देखी गई। दूल्हे के परिजनों ने बताया कि दलित होने की वजह से उन्हें आशंका थी कि गांव के कुछ दबंग मुकेश को घोड़ी चढ़ने से रोक सकते हैं। इसी आशंका में पुलिस विभाग से सुरक्षा देने का आग्रह किया था। हालांकि, गांव में निकासी के समय किसी तरह का कोई विवाद नहीं हुआ। शांतिपूर्ण माहौल में बारात रवाना हो गई और रात में मुकेश ने अपनी हमसफर निरमा के साथ सात फेरे लिए और जीवनभर साथ निभाने की कसमें खाई। विवाह से पहले विनायक स्थापना से लेकर चाक भात, प्रीतिभोज और अन्य सभी विवाह की रस्में भी शांतिपूर्ण माहौल में संपन्न हुई। विवाह की संपूर्ण प्रक्रिया शांतिपूर्ण माहौल में संपन्न हो जाने के बाद परिजन खुश हैं

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