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डॉ अर्चना शर्मा सुसाइड प्रकरण में सरकार ने भाजपा नेताओं को षडयंत्र पूर्वक फंसाया- शर्मा

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भाजपा नेताओं ने दौसा की चर्चित अर्चना शर्मा आत्महत्या प्रकरण की सीबीआई जांच की मांग की

जयपुर। दौसा जिले की लालसोट तहसील के चर्चित डॉ अर्चना शर्मा सुसाइड मामले में भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता रामलाल शर्मा ने सरकार पर भाजपा नेताओं को इस मामले में जानबूझकर फंसाने का आरोप लगाया है। रामलाल शर्मा और पूर्व संसदीय सचिव जितेंद्र गोठवाल ने जयपुर में आयोजित संवादाता सम्मेलन में इस बात को मीडिया के सामने रखा ,की लालसोट विधानसभा क्षेत्र में आशा बैरवा की प्रसव के दौरान मृत्यु पर निजी अस्पताल के डॉक्टर को दोषी मानते हुए, डॉ अर्चना शर्मा के खिलाफ एक एफ आई आर 302 में दर्ज होने के बाद दूसरे दिन डॉ अर्चना शर्मा ने आत्महत्या कर ली थी । लेकिन उसके बाद राजनीतिक स्तर पर अपने प्रभाव का उपयोग करते हुए सरकार के द्वारा जो कृत्य किया गया उसकी भारतीय जनता पार्टी निंदा करती है । सरकार के दबाव में पुलिस ने जी ने मुलजिम बनाया वह मृतिका को न्याय दिलाने की मांग कर रहे हैं । शर्मा ने बताया कि सरकार के द्वारा सुसाइड नोट पर फॉरेंसिक रिपोर्ट आई है । उसमें मृतका के हस्ताक्षर मैच नहीं करते हैं। केवल एक ही अक्षर हो रहा है जिसे सरकार की मंशा पर सवालिया निशान उठना लाजमी है। जांच की निष्पक्षता पर शुरू से ही भाजपा ने सवालिया निशान उठाए थे, जो निर्दोष लोग उनके ऊपर राज्य सरकार कार्यवाही कर रही है। f.i.r. में जितेंद्र गोठवाल का नाम नहीं है । न , ही सुसाइड नोट में शामिल है। सरकार ने निष्पक्षता के साथ जांच नहीं की है और जितेंद्र गोठवाल को इसमें जानबूझकर आरोपी बनाया गया है। शर्मा ने बताया कि यदि फॉरेंसिक जांच दिल्ली या हैदराबाद से होकर आए मृतका को न्याय मिल सकता है।

जितेंद्र गोठवाल ने उस समय भी इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर के सामने अपना परिवाद दिया कि हमें सरकार की लेबर पर भरोसा नहीं है। इसकी जांच हैदराबाद से कराई जाए या दिल्ली से कराई जाए । रिपोर्ट निष्पक्ष आ सके उस समय तत्कालीन गृह विभाग के गृह सचिव को भी उन्होंने लिखित में दिया था और न्यायालय में भी तत्परता के ऊपर सवाल उठाया था। लेकिन सरकार ने इन सब चीजों को नजरअंदाज करते हुए अपने प्रभाव का उपयोग करते हुए सिर्फ और सिर्फ राजनीति के आधार पर इस विषय को डाइवर्ट करने का काम किया है। भारतीय जनता पार्टी मांग करती है कि सरकार में यदि संवेदनशीलता बची है ,तो सरकार इस पूरे मामले की सीबीआई से जांच कराएं । सरकार जांच राजस्थान की किसी भी लैब से कराने की बजाए हैदराबाद या दिल्ली की लैब में जांच कराएं। तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। जितेंद्र गोठवाल हर वक्त मीडिया के सामने अपने बयान में कहा कि डॉ शर्मा को न्याय मिलना चाहिए उनके साथ जो हुआ है उससे सभी दुखी है। सभी को है दुख है लेकिन जो दोषी है उनके खिलाफ सरकार को कार्रवाई करनी चाहिए । लेकिन निर्दोषों को चाहिए इस पूरे मामले की जांच सीबीआई से हो जाए । अन्य जांच फॉरेंसिक लैब दिल्ली और हैदराबाद से होकर आ जाए तो सजा मिलेगी। उसे भुगतने के लिए तैयार है। कोतवाल ने यह भी कहा कि अर्चना शर्मा सुसाइड में भारतीय जनता पार्टी के लोगों को शामिल करने का ष़डयंत्र क्षेत्र में होने वाली गतिविधियों के खिलाफ धरना प्रदर्शन कर रहा था। कांग्रेस की राष्ट्रीय महामंत्री प्रियंका गांधी को ₹922 की टिकट खरीद कर मैंने रेल के टिकट भेजी थी इसीलिए सरकार ने चढ़कर मेरे खिलाफ एफ आई आर दर्ज की है । जिस समय अर्चना शर्मा घर पर सुसाइड करती है। उससे 1 किलोमीटर दूर पुलिस को 1 घंटे बाद सूचना दी जाती है । हमने उस समय कहा था यह डॉक्टर की हैंडराइटिंग नहीं है हैंड मैंने यहां के गृह सचिव को अफेक्शन रिपोर्ट के लिए पहले ही दिन निवेदन किया था, कि मुझे राजस्थान की सरकारी नौकरों पर विश्वास नहीं है। मुझे लगता है सरकार उसको मैनेज करने की कोशिश कर रही है। लेकिन सरकार इस देश में अपनी गलतियों पर पर्दा डालने के लिए सारा षड्यंत्र रचा है।

गोठवाल ने बताया कि 302 एफआईआर पुलिस ने की है जो डॉक्टरों के खिलाफ होती ही नहीं है । पुलिस ने सारी सूचनाएं मिलने के बाद भी सुसाइड माना यह इस बात को अंकित करता है कि इस केस के और भी कई सारे तथ्य हैं, जो पुलिस के सामने आना आवश्यक है। पुलिस को एसएचओ को सस्पेंड करने के बाद भी उनके खिलाफ एफ आई आर दर्ज नहीं होती है। जबकि सरकार में मंत्री परसादी लाल मीणा ने मीडिया के समक्ष कहा कि पुलिस अगर 302 में मामला दर्ज नहीं करती , तो यह हादसा होता ही नहीं। इसके बाद भी इन्वेस्टिगेशन अधिकारी पब्लिकली बोलते हैं कि सरकार मुझे जैसा कहेगी मैं वैसा ही करूंगा। जाहिर सी बात है कि सरकार आशा बैरवा और अर्चना शर्मा को न्याय नहीं देना चाहती है। तो जो इस मामले में जेल में है, या जेल में रह रहे हैं, पूरे मामले की सीबीआई जांच हो जाए, तो दोषी पुलिस अधिकारियों ने अर्चना शर्मा के खिलाफ 302 के तहत मुकदमा दर्ज करने और उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। जिससे इस पूरे मामले की सचाई सामने आ गई।

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