जयपुर ।भारतीय जनता पार्टी ने जयपुर शहर के मौजूदा सांसद रामचरण बोहरा का टिकट काटकर भारतीय जनता पार्टी की सरकार में मंत्री रह चुके स्वर्गीय भंवरलाल शर्मा की पुत्री मंजू शर्मा को टिकट दिया है। मंजू शर्मा एक बार पूर्व में हवा महल सीट से चुनाव लड़ चुकी है। लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था । कांग्रेस पार्टी ने भी सुनील शर्मा का टिकट बदलकर पूर्व मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास को जयपुर से उम्मीदवार बनाया है । प्रताप सिंह खाचरियावास इस बार सिविल लाइंस विधानसभा सीट से पत्रकार गोपाल शर्मा के सामने चुनाव हार चुके हैं। वह एक बार पूर्व में जयपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ चुके हैं। उस समय उन्हें 85000 से ज्यादा वोटो से हार का सामना करना पड़ा था। कांग्रेस पार्टी से प्रताप सिंह को टिकट मिलने के साथ ही उन्हें बधाई देने वालों का संता लग गया। लोगों ने टिकट मिलने पर बधाई शुभकामनाएं दी है। एक बार पूर्व में 85000 वोटो से चुनाव हार चुके प्रताप सिंह लोकसभा चुनाव में कुछ गुल खिलाने की कोशिश करेंगे ।
हालांकि मंजू शर्मा की छवि भी साफ है और बेदाग है। भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं की लंबी फौज है। कार्यकर्ताओं की फौज के बल भूते ही मंजू शर्मा मजबूत स्थिति में है। राजस्थान में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है, और एक तरफ देश में पीएम मोदी की लहर चल रही है। जयपुर भारतीय जनता पार्टी का गढ़ माना जाता है। ऐसे में पिछला चुनाव भाजपा साढे 5 लाख वोटो से जीती थी ।पिछले चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार रामचरण बोहरा ने देश में सर्वाधिक वोटो से चुनाव जीतने का रिकॉर्ड बनाया था । इस बार उनका टिकट काटकर मंजू शर्मा को दिया गया मंजू शर्मा एक सामान्य कार्यकर्ता है और किसी भी तरह के विवादों से उनका दूर-दूर तक नाता नहीं है । ब्राह्मण समाज से हैं ।स्वच्छ छवि है। ऐसे में भारतीय जनता पार्टी के सभी गुट उनके साथ चुनाव मैदान में जुट सकते हैं। जिससे उनके चुनाव जीतने की संभावना है ज्यादा के चुनाव मैदान में आने से कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं में जोश का संचार हुआ है । विधानसभा चुनाव में इस तरह से खुद की हार हुई थी और कांग्रेस पार्टी की सरकार सत्ता से बाहर हुई है । उसके बाद अब प्रताप सिंह को टिकट मिलने से जयपुर शहर का कार्यकर्ता एकजुट हो सकता है ।माना जा रहा है कि प्रताप सिंह खाचारियावास को टिकट मिलने से जयपुर में राजपूत समाज का वोट भी खाचरियावास को मिल सकते हैं। यदि खाचारिवास को राजपूत समाज के वोट मिलते हैं तो उनके फाइट में आने की उनकी संभावनाएं बढ़ जाएगी। फिलहाल तो जयपुर शहर में मुकाबला रोचक होता हुआ नजर आ रहा है।
दूसरी ओर जयपुर ग्रामीण सीट से कांग्रेस पार्टी ने राजस्थान विश्वविद्यालय के पूर्व अध्यक्ष अनिल चोपड़ा को चुनाव मैदान उतारा है ।उनका मुकाबला राजस्थान विधानसभा में उपाध्यक्ष रह चुके राव राजेंद्र सिंह से होगा। राव राजेंद्र सिंह बहुत ही सौम्य और लर्नड प्रश्न माने जाते हैं ।ऐसे में जयपुर ग्रामीण सीट पर मुकाबला अनुभव वर्सेस युवा के बीच होगा। यहां भी मुकाबला जाट वर्सेस राजपूत हो सकता है ।क्योंकि अनिल चोपड़ा जाट समाज से आते हैं और ग्रामीण इलाके में जाटों की संख्या अच्छी खासी है। दूसरा यहां राजपूत समाज भी अच्छी संख्या में निवास करता है। ऐसे में यहां का मुकाबला भी इस बार रोचक होगा।
हालांकि इस बार कांग्रेस के कई दिग्गज नेता कांग्रेस पार्टी का दामन छोड़कर बीजेपी में शामिल हो चुके हैं । पूर्व केंद्रीय मंत्री और राज्य मंत्री रह चुके लालचंद कटारिया और कांग्रेस सेवा दल के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुरेश चौधरी सहित कई नेता भाजपा में शामिल हो चुके हैं। लेकिन क्या यह जाट समाज का वोट राव राजेंद्र को दिलाने में सक्षम होंगे। यह समय ही बताएगा। इसलिए जयपुर ग्रामीण सीट से मुकाबला राव राजेंद्र सिंह और अनिल चोपड़ा के बीच रोचक होने वाला है। दोनों ही अपनी जीत का दावा कर रहे हैं अनिल चोपड़ा की बात है तो अनिल चोपड़ा अध्यक्ष रह चुके हैं और पिछले 3 साल से जयपुर ग्रामीण से सांसद की तैयारी कर रहे हैं ।पूरे इलाके को नाप चुके हैं और राव राजेंद्र सिंह के लिए पूरा इलाका पूर्व में ही देखा हुआ है। क्योंकि वह विधायक रह चुके हैं और उनके इलाके में अच्छा जनादार भी है ।इसलिए जयपुर ग्रामीण में भी इस बार मुकाबला रोचक होगा। जिस तरह भारतीय जनता पार्टी मान कर चल रही थी की आसानी से हम जीतेंगे। लेकिन अब यह चुनाव फंसता नजर आ रहा है। मुकाबला रोचक होगा हालांकि भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं की फौज के आगे कांग्रेस के कार्यकर्ताओं की फौज काफी कमजोर होने का नुकसान उठाना पड़ेगा। क्योंकि भारतीय जनता पार्टी में कार्यकर्ताओं में काम करने की बहुत हॉट होती है होती है दूसरी तरफ कांग्रेस पार्टी में कांग्रेस कार्यकर्ता बगैर पैसे दिए काम ही नहीं करते हैं ऐसे में पार्टी को बड़ा नुकसान उठाना पड़ता है