धौलपुर। अभी रबी की बुवाई का समय चल रही है। राजस्थान में किसान बड़ी संख्या में सरसों की बुवाई करते हैं। इन दिनों किसान खाद बीज की बंपर खरीदारी करते हैं, लेकिन देखा जाता है कि अक्सर किसान डीएपी की मांग करते नजर आते हैं। जबकि सरसों में डीएपी की जरूरत नहीं है । किसानों को खाद एवं बीज की जानकारी प्रदान करने के लिए जिला कलेक्टर राकेश जायसवाल ने उप निदेशक कृषि विजय सिंह डागुर के नेतृत्व में जिले में अभियान छेड़ रखा है । जिसमें खाद बीज के झोंके जांच कर रहे हैं। इस दौरान सरमथुरा के सहायक कृषि अधिकारी पिंटू लाल मीना ने खाद बीज की दुकानों का निरीक्षण किया। स्टॉक रजिस्टर पर उपलब्ध खाद बीज की मात्रा की जांच की । मीना ने बतौया की जिले में कालाबाजारी की समस्या अभी तक सामने नहीं आई है , फिर भी यदि किसानों के साथ कहीं भी कोई डीलर काला बाजारी करता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जायेगी। कोई भी किसान अपने क्षेत्र के कृषि पर्यवेक्षक एवं सहायक कृषि अधिकारी व प्रशासनिक अधिकारियों को सूचित कर इसकी जानकारी दे सकते हैं । जिससे कालाबाजारी और स्टॉक करने वाल करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सके। मीणा ने बताया कि वर्तमान में जिले में उर्वरकों की पर्याप्त मात्रा है डिमांड भी भेज रखी है जल्दी ही जिले में आवश्यकतानुसार उर्वरक उपलब्ध होंगे ।
डीएपी के स्थान पर किसान एस एस पी का प्रयोग करें
इसके साथ ही मीणा ने किसानों को समझाया कि डीएपी की जगह सिंगल सुपर फास्फेट एसएसटी का प्रयोग करें । सिंगल सुपर फास्फेट और यूरिया खाद डीएपी की जगह पर बेसिल डोज बुवाई के समय में उपयोग करें। यह डीएपी से ज्यादा कारगर साबित होगा। क्योंकि डीएपी में 2 पोषक तत्व होते हैं जबकि एसएसपी में 5 पोषक तत्व होते हैं। नाइट्रोजन 18% और फास्फोरस 46% पाया जाता है । सिंगल सुपर फास्फेट में फास्फोरस 16% ,कैल्शियम 18. 5% , सल्फर 12%, मैग्नीशियम जो 5% पाया जाता है। यूरिया में नाइट्रोजन 46 प्रतिशत पाया जाता है। इसीलिए किसान भाई एसएसपी व यूरिया का उपयोग करें। ऐसा करने से सरसों की फसल को दो जगह 5 पोषक तत्व उपलब्ध होंगे और आर्थिक रूप से सस्ते में पड़ेंगे।