— कई सामाजिक संगठन दे चुके हैं पूर्व में ज्ञापन
— गौ मित्र मंडल भी दे चुका है धरना, नहीं निकला समाधान
लोक टुडे न्यूज नेटवर्क
किशनगढ़ रेनवाल। ( नवीन कुमावत/ वरिष्ठ संवाददाता)
रेनवाल शहर की आबादी करीब 50 हजार से अधिक है। दिनोदिन मुख्य बाजार में वाहन आवागमन की संख्या और राहगीरों में बढ़ोतरी होती जा रही है। लेकिन इसके साथ ही मुख्य सड़कों एवं शहर की गलियों में अनाथ घूमते गौवंश की समस्या भी बढ़ती जा रही है। इससे आमजन तो परेशान है ही, साथ ही वाहन चालक और राहगीर भी खासे परेशान हैं। स्थानीय जनप्रतिनिधियों, संबंधित सामाजिक संगठनों, गौशाला संचालकों एवं नगर पालिका प्रशासन में सामंजस्य की कमी के चलते ये समस्या दशकों से जस की तस है। दृढ़ इच्छाशक्ति की कमी के चलते इसका हल नहीं निकल पा रहा है। शहर के परेशान ग्रामीणों ने सभी से इस गंभीर समस्या के हल की मांग की है।
गौरतलब है कि शहर की सड़को और गलियों में बेसहारा गौवंश बेतहाशा घूम रहे हैं, इससे कस्बेवासी बेहद परेशान हैं। लोगों क्या कहना है कि श्री गोपाल गौशाला के पास करीब 130 बीघा कुल जमीन है। इसमें करीब 4000 से अधिक की संख्या में गायों को रख सकने वाली क्षमता है। इतने गौवंश को रख सकने वाली श्रीगोपाल गौशाला संचालित है, लेकिन उसमें अभी रह रहे गौवंश से अधिक शहर की सड़कों और कस्बे में गौवंश घूमता नजर आ रहा है।
जानकारी के अनुसार गौशाला में करीब 360 गौवंश है, इसमें 60 छोटी एवं 300 बड़ा गौवंश है।
श्रीगोपाल गौशाला समिति अध्यक्ष एवं पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष कैलाश चंद शर्मा का कहना है कि नगर पालिका प्रशासन का प्रथम कर्तव्य है कि वो हमें गौवंश अधिकृत रूप से भेजें, तो हम इन्हें अपनाकर इनकी देखभाल का जिम्मा लेंगे। क्योंकि इससे पहले भी हमने ऐसा गौवंश रखा था। तब कई गौपालक आ गए थे गौशाला, और उसे अपना बताकर लड़ाई झगड़ा भी कर चुके थे। उस समय कई गौवंश वापस लौटाना पड़ा था।
वहीं नगर पालिका अधिशाषी अधिकारी मनीष पारीक का कहना है कि इस मामले में हम जल्द कार्रवाई करेंगे। पहले कस्बे में घोषणा करवाएंगे की कोई भी घरों से गायों को खुली ना छोड़े और इसके बाद गौशाला में भेजेंगे।
नगरपालिका प्रशासन में इच्छाशक्ति की कमी :
गौशाला अध्यक्ष कैलाश शर्मा ने बताया कि नगर पालिका प्रशासन को इच्छाशक्ति में कमी के कारण समस्या है। गोपालन विभाग द्वारा गौशाला में टीन शेड के लिए 10 लाख रुपए आए हुए हैं, लेकिन 10 महीने बीतने के बाद भी अभी तक इसके लिए टेंडर नहीं निकले गए हैं। हमने इसके लिए पुरानी गौशाला में टीन शेड लगाने के लिए प्रस्ताव भेजा हुआ है। ये बन जाए तो फिलहाल नई नई नंदीशाला बनने तक विचरण कर रहे नंदियों को यहां रखा जा सकता है। पुरानी गौशाला में करीब 100 सांड रखे जा सकते हैं।
इधर, समाजसेवी एवं वरिष्ठ पत्रकार कमल जैन का कहना है कि सड़कों पर पशुओं की वजह से हो रहे जाम, हादसों को रोकने के लिए व्यापार महासंघ, किराना संघ की ओर से एक बार फिर ज्ञापन दिया गया।
लेकिन सवाल ये है कि शहर की सरकार में बैठे अफसरों और जनप्रतिनिधियों की आंखें बंद है क्या? हर बार सीएलजी मीटिंग में बिगड़े यातायात की समस्या भी रखी जाती है। लेकिन समस्याओं का समाधान शायद कोई नहीं करना चाहता है। शहर के मुखिया भी व्यापारिक समुदाय से ही हैं। भाजपा नेता भी गौ सेवा के कार्य में जुटे हैं, लेकिन किसी में भी इच्छा शक्ति नहीं है। ज्ञापन देने का दिखावा साल में कई बार होता है। कबूतर निवास के पास मुख्य सड़क पर रोज ठेले लगते हैं, जो शहर की व्यवस्था खराब करने में जुटे हैं। प्रशासनिक जिला प्रतिनिधि सहित सभी महकमे के लोग आंख मूंद कर बैठे हैं । अधिकारी और जनप्रतिनिधि सिर्फ नाम के हैं, उनमें शायद इच्छा शक्ति की कमी है। जनप्रतिनिधि सोचते हैं कि हम चुनाव जीत चुके हैं और अब हमें क्या लेना देना, इसलिए चुप बैठे हैं।