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किशन का जीवन भगवान भरोसे, 24घण्टे में चाहिए 3 ऑक्सीजन सिलेंडर

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लक टुडे न्यूज नेटवर्क

राजसमन्द। (गौतमशर्मा) कहते है दो जून की रोटी के लिए इंसान क्या कुछ नही करता। लेकिन दो जून की रोटी के बंदोबस्त ही इंसान की जान पर आ जाए तो इंसान आखिर करें तो करें क्या।

    हम बात कर रहे है राजसमंद के बोरज गांव के किशन लाल कालबेलिया की जो महज 24 साल की उम्र सिलीकोषिष व टीबी की बिमारी से पीडित है जिसके बाद अब उसको हालत बेहद खराब है दोनों ही बीमारियों ने किशन लाल को ऐसा जकड़ लिया है परिवार के कुछ समझ में नही आ रहा है। 

    फ़ाका कशी की जिंदगी में 24 घंटे में 3 आक्सीजन सिलेंडर के इंतजाम करते-करते उनका परिवार अब थक चुका हैं। डॉक्टर ने इलाज के लिए इतनी मोटी रकम बताई कि ये उसके बस का नही। अब किशन लाल को काेई फरिश्ता ही इस बिमारी से मुक्ति दिला सकता है। 

    बोरज गांव के किशन लाल कालबेलिया पाउडर प्लांट में काम करता था जिसके बाद उसको खांसी की बिमारी हुई। जब डॉक्टर को चेक कराया तो फेफड़े खराब बताए गए। जिसमें सिलोकोषिष व टीबी की बीमारी सामने आई। 

    15 अगस्त 2023 से किशन लाल बीमार हुए उसके बाद से उसका इलाज चल रहा है। घर की स्थिति खराब होने के कारण अब वो इलाज भी ठंग से नही करा पा रहा है। उपर से 3 लाख का कर्ज हो गया। घर में छोटे मोटे जो भी सेाने चांदी के जेवर थे सब गिरवी पड़े है। किशन लाल की शादी भी हो चुकी ऐसे में उनकी पत्नी भी उनकी बिमारी को लेकर दिन रात परेशान रहती है। 

    कई हॉस्पीटल में करा चुका है इलाज – 
किशन लाल अपनी बिमारी के इलाज के लिए उंजा नूतन हॉस्पीटल अहमदाबाद, , कमला नेहरू हॉस्पीटल, कुरज, कुवारिया, बड़ी हॉस्पीटल, आरके हॉस्पीटल, पेसीफिक उमरड़ा उदयपुर, जालोर हॉस्पीटल और वर्तमान में बड़ी हॉस्पीटल का इलाज चल रहा है। 

    25 जुलाई 2024 से आक्सीजन सिलेंडर पर है 
किशन लाल पिछले एक माह से अधिक समय से आक्सीजन सिलेंडर पर है जिसमें 24 घंटे में 3 आक्सीजन गैस सिलेंडर की जरूरत पड़ती है। प्रति सिलेंडर 500 रूपया लगता है। उसके हिसाब से 1500 रूपए 24 घंटे में खर्च करने पड़ते है। 
इलाज के लिए लाखों रूपए का खर्चा बताया – 
जानकारी के अनुसार किशन लाल की बीमारी के इलाज के लिए करीब 50 लाख के खर्चे का अनुमान है। जो उसके लिए संभव नही है। इसके अलावा 4 से 5 साल तक 1000 रूपए रोज की दवा। अब परिवार पूरी तरह से टूट चुका है। और अब भामा  शाह या सरकारी मदद से ही उसका इलाज संभव है।

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