महात्मा गांधी अस्पताल में पीडियाट्रिक कार्डियक इमरजेंसी पर हुई चर्चा

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समय पर हो बाक्सगहों के ह्रदय रोगों की पहचान तथा उपचार

जयपुर। प्रति एक हजार में से आठ-दस बच्चों को ह्रदय संबंधित बीमारियों की वजह से आपातकालीन सेवाओं की आवश्यकता होती है। यदि समय रहते इन्हें उपचार मिले तो बड़ी संख्या में ऐसे बच्चों की जान बचाई जा सकती है। किसी भी आपात स्थिति में तुरंत नजदीकी शिशु रोग विशेषज्ञ की मदद ली जानी चाहिए। यह जानकारी जुपिटर हॉस्पिटल, “ठाणे के सुप्रसिद्ध पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. श्रीनिवास एल. ने दी। वे महात्मा गांधी अस्पताल में आयोजित साइंटिफिक प्रोग्राम में मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि बच्चों में शरीर का नीला पड़ना, सांस की गति बढ़ना, ह्रदय की धड़कन का बढ़ना, या चक्कर आने जैसे लक्षणों की स्थिति में आपातकालीन सेवाओं की जरूरत होती है। इसकी वजह वाल्व की विकृति, ह्र्दय के विद्युतीय सर्किट में खराबी आदि हो सकते है। ।
आयोजन सचिव महात्मा गांधी अस्पताल की पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. मधु चौधरी ने बताया कि अधिकांश मामलों में ह्रदय की वाल्व संबंधी विकृतियों को इंटरवेंशनल प्रोसीजर्स के जरिए बिना ऑपरेशन के ठीक किया जा सकता है। जबकि कुछ मामलों में हार्ट सर्जरी ही अंतिम उपचार होता है। उन्होंने बताया कि रविवार को अनफोल्ड स्वयंसेवी संस्था की सहायता से ह्रदय विकृतियों से सम्बंधित रोगियों का महात्मा गांधी अस्पताल में निःशुल्क उपचार भी किया जायेगा। कार्यक्रम में हार्ट सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. एम ए चिश्ती, हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. राजीव शर्मा, डॉ. आर‌ सी गुप्ता, डॉ. मुनीष कक्कड ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर डॉ. मधु माथुर, डॉ. पी आर नागरवाल, डॉ. सौरभ सिंह सहित बड़ी संख्या में चिकित्सक उपस्थित थे।

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