लोक टुडे न्यूज नेटवर्क
महेंद्र सिंह की रिपोर्ट
नोख- जैसलमेर। पानी का मोल वही जानता है, जिसने पानी की कमी देखी हो, शहरों में आज भी लोग अपने घरों के बाहर सड़क पर छिड़काव करेंगे, कार धोएंगे, बगीचे में पानी देंगे, शावर में नहाएंगे तो कहीं स्विमिंग पूल का आनंद लेंगे। लेकिन आपको पता है राजस्थान में ही कई इलाके ऐसे हैं, जहां आज भी पानी बहुत कीमती है और लोग एक-एक बूंद पानी के लिए तरसते हैं । आज भी उन्हें पानी के लिए कई किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है । भले ही हर घर नल जल योजना आ गई हो लेकिन इन नलों में पानी नहीं आता है क्योंकि पानी है ही नहीं तो आएगा कहां से? जैसलमेर के नोख इलाके के दर्जनों गांव ऐसे हैं जहां लोग पीने का पानी खरीदने को मजबूर है। पशु पक्षियों की हालत तो और भी दयनीय है। लोगों को एक-एक पानी का टैंकर 1000 से ₹1500 तक में खरीदना पड़ता है । टैंकर चालक भी क्या करें उन्हें भी बहुत दूर से पानी लाना पड़ता है लेकिन वे लोगों की मजबूरी का फायदा भी उठा रहे हैं।
1000 से 1500 के बीच टैंकर खरीदने को मजबूर
सूर्य देवता लगातार रूोद्र रूप धारण कर रहे हैं और तापमान 45- 47 डिग्री के पार चला गया है, जिससे वनस्पति सूख रही है, पशु पक्षियों के लिए पानी एकत्रित किया गया था वह सूख गया है । नोख उप तहसील के ठाकरबा , मेघवालों की ढाणी कैम्प, व गैलाबा गांव के लोगों का कहना है कि वह पानी की लगातार मांग कर रहे हैं लेकिन पानी नहीं मिल रहा । ऐसे में उन्हें बहुत महंगे पैसे में टैंकर खरीदने पढ़ रहे हैं । कई परिवार ऐसे हैं जो टैंकर भी नहीं खरीद सकते उनके लिए स्थानीय समाज सेवी ,संगठन पानी की आपूर्ति कर रहे हैं। पशुओं को बचाने के लिए भी समाजसेवी और भामाशाह खुद के पैसे से टैंकरों से पानी डलवा रहे हैं ।
भामाशाह भी कर रहे हैं जलापूर्ति
सीमा जन कल्याण समिति ने भी सरकार से इन नोख तहसील के गांवों में पानी की सप्लाई करने की मांग की है ।उप तहसील क्षेत्र के मेघवालों की ढाणी कैंप में लंबे समय से पानी नहीं आने से लोग परेशान है । पशु पक्षियों का हाल बेहाल है । लोगों का आरोप है कि टैंकर चालक भी उनकी मजबूरी का फायदा उठाकर उनसे दुगने पैसा वसूल कर रहे हैं । सरकार को चाहिए कि वह निशुल्क टैंकरों की सप्लाई को बढ़ाये, जिससे कि पीने का पानी मिल सके, खुद बच सके और पशु पक्षियों को भी बचा सके ।
कई लोग पानी के अभाव में कर चुके पलायन
बताया जा रहा की आसपास के दर्जनों गांव में लोग पानी की कमी के चलते पलायन भी कर चुके हैं। जिनके पास पशु पक्षी नहीं है, वह घर छोड़कर शहरों में जा चुके हैं ,जिससे कि अपना जीवन बचा सके। लेकिन जिन लोगों के पास पशु पक्षी है वह उनको छोड़कर कहीं नहीं जा सकते ,ऐसे में वह मजबूरी में महंगा पानी खरीद कर खुद भी पी रहे हैं और जानवरों को भी पिला रहे हैं। सरकार और प्रशासन भले कितने दावे करें लेकिन लोग आज भी पानी के लिए तरस रहे हैं और उनका हाल पूछने वाला कोई नहीं है।