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निगम स्कूलों के टीचर्स लगे डेपुटेशन पर बच्चों को पढ़ाए कौन ?

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जयपुर । नगर निगम ने सफाई कर्मचारियों और चतुर्थ श्रेणी चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के बच्चों के लिए शहर में पांच पिंक सिटी स्कूल खोले थे। लेकिन उनकी किसी ने सुध नहीं ली ऐसे में यह स्कूल बंद होने के कगार पर है ,क्योंकि इन में कार्यरत टीचरों को अब नगर निगम में स्थानांतरित कर दिया गया है । जिससे भी अब इन स्कूलों में पढ़ाई नहीं हो रही है ।जिसके चलते गरीब लोगों ने भी इन स्कूलों में बच्चों को पढ़ाना उचित नहीं समझा। बताया जा रहा है कि अनुसूचित जाति बहुल वाले इलाकों में 21 स्कूल खोले गए थे लेकिन आज 5 ही बाकी बचे हैं । इनमें भी पढ़ाई नहीं होने के कारण बच्चों ने आना लगभग बंद कर दिया है। इन स्कूलों में भी बच्चों के बैठने के लिए टेबल, कुर्सी, ब्लैकबोर्ड और रोशनी की व्यवस्था भी नहीं है । यहां तक कि पीने के पानी की उचित व्यवस्था नहीं है। ऐसे में अभिभावकों ने बच्चों को स्कूलों में भेजना बंद कर दिया।

जयपुर नगर निगम के हवा महल इलाके में संचालित स्कूल में तो टीचडेपुटेशन पर नगर निगम में चले गए क्योंकि नगर निगम में कमाई अच्छी होती है। इसलिए वह वापस अपने मूल विभाग में आना नहीं चाहते जबकि उनका वेतन टीचर के नाते ही निगम देता है। कोरोना काल के बाद यह सभी लोग डेपुटेशन पर इधर उधर निगम मुख्यालयों में निगम आयुक्त काम कर रहे हैं । जिससे इनका पढ़ाने का मोहभंग हो गया और बच्चों ने भी अब आना बंद कर दिया । आदर्श नगर इलाके में भी नगर निगम द्वारा संचालित स्कूल के टीचर अब निगम मुख्यालय में बैठने लगे हैं और वह निगम कार्यालय में जमकर वसूली का काम करते हैं। ऐसे में स्कूल खुलने के बावजूद भी यहां कार्यरत टीचर बच्चों को पढ़ाने नहीं जाते हैं। क्योंकि वहां सिर्फ माथापच्ची है, और निगम मुख्यालय में माल ही माल है। जबकि टीचरों के अभाव में अभिभावक भी बच्चों के नए एडमिशन कराने में हिचकिचा रहे है। लोगों का कहना है कि Jब इन टीचर्स का वेतन नगर निगम दे रहा है। तो फिर यह बच्चों को पढ़ाने के बजाय निगम मुख्यालय में क्यों जुड़े रहना चाहते हैं। जाहिर सी बात है कि इन टीचर्स को पैसा खाने का लालच हो गया है और ऊपर की कमाई का शौक लग गया है । इसके चलते ये लोग अपने मूल विभाग में लौटना नहीं चाहते हैं ,तो फिर निगम कार्यालय में डेपुटेशन पर क्यों जुड़े रहना चाहते हैं। ये जांच का विषय है लकिन इन टीचर्स के जाने से इन स्कूलो में पढ़ने वाले बच्चों का भविष्य अधर में है । और लोगों में भी इस बात को लेकर आक्रोश है ।

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