जयपुर।गुजरात में भाजपा की हुई बंपर जीत में भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व को गुजरात फार्मूले को राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी अपनाने की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है। जिस तरह से गुजरात में भाजपा ने 14 महीने पहले ही सूबे की सरकार में मुख्यमंत्री सहित तमाम मंत्रिमंडल में बदलाव किया था, उसके बाद टिकट वितरण में पूर्व मुख्यमंत्रियों ,मंत्रियों सहित अधिकांश विधायकों के टिकट काटकर 103 नए चेहरों को टिकट दिए। जिसका नतीजा यह हुआ कि भाजपा ने गुजरात में इतिहास बना दिया। 182 में से एक्सो 156 सीट जीतकर भाजपा दो तिहाई बहुमत से भी ज्यादा बहुमत अर्जित करने वाली पार्टी बन गई। 156 सीट जीतना भाजपा के लिए इतिहास बन गया। हालांकि इससे पूर्व 1985 में कांग्रेस पार्टी ने यहां पर 149 सीटें जीती थी उसके बाद कोई भी पार्टी इतनी सीट नहीं जीत सकी थी । लेकिन इस बार भाजपा ने 182 में से 156 सीटें जीतकर रिकॉर्ड ही तोड़ दिया। कांग्रेस सिर्फ 17 सीटों पर सिमट गई ।आप पार्टी ने की 5 सीटें जीतकर खाता खोल लिया। अन्य पार्टियों की नहीं चली। माना जा रहा है कि राजस्थान में मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ से में दो प्रदेशों में भाजपा की सरकार नहीं है। राजस्थान और छत्तीसगढ़ में सरकार नहीं है। मध्यप्रदेश में भी सरकार जोड़-तोड़ कर बनाई हुई है। लेकिन राजस्थान की लड़ाई किसी से छिपी नहीं है। यहां पहले दिन से ही वसुंधरा राजे खेमा, सतीश पूनिया धड़ा ,गजेंद्र सिंह शेखावत पलड़ा सहित कई नेता ऐसे हैं ,जो अलग-अलग गुटों में बैठे हुए हैं। और यही कारण है कि राजस्थान में पिछले 9 विधानसभा उपचुनाव में से भारतीय जनता पार्टी को 7 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा है । क्योंकि भाजपा के यहां पर पूरी तरह बिखरी हुई है और पार्टी में किसी भी तरह का तालमेल नहीं है।
वसुंधरा गुट ने बनाई पूनियां गुट से दूरी
वसुंधरा राजे गुट पूरी तरह से दूरी बना लेता है यही कारण है कि अब भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व को गुजरात फार्मूले पर राजस्थान में काम करना होगा । यहां पर पन्ना प्रमुख काम कर रहे हैं, संगठन भी है लेकिन पार्टी मौजूदा विधायकों में से 80% विधायकों के टिकट काटेगी। वही मुख्यमंत्री के चेहरे के नाम पर किसी को भी आगे नहीं करेगी ,जिससे जनता जनार्दन सिर्फ मोदी के नाम पर वोट कर सकें। क्योंकि यदि वसुंधरा राजे का नाम आगे किया जाता है तो भारतीय जनता पार्टी को सतीश पूनिया गुट का और गजेंद्र सिंह शेखावत के गुट का विरोध का सामना करना पड़ सकता है। ऐसी स्थिति में भाजपा यहां सिर्फ कमल के निशान और पीएम मोदी के नाम पर वोट मांगेगी। 80 % विधायकों के टिकट बदले जाएंगे जिससे नए चेहरों को मौका मिल सके। इनमें उन चेहरों को भी टिकट दिया जाएगा जिनकी हार चुनाव में ₹20000 तक हुई है ।हालांकि अभी तक यह है 10000 वोटों की सीमा तक ही माना जा रहा है। जिन नेताओं की हार पिछले विधानसभा चुनाव में 10000 से कम वोटों से हुई है, उन्हें टिकट प्राथमिकता के साथ मिलेगा। लेकिन जिन विधायकों की हार से चुनाव में 50,000 से ज्यादा वोटों में से हुई है, उनके स्थान पर पार्टी के नए और बेदाग छवि के युवाओं को टिकट दिया जाएगा ।जिससे उनके चेहरे पर किसी भी तरह का विवाद नहीं हो और पार्टी आसानी से जीत दर्ज कर सके ।
मौजूदा विधायकों और पूर्व मंत्रियों मैं अधिकांश को नहीं मिलेंगे टिकट
मध्यप्रदेश में अधिकांश मंत्रियों के टिकट काटे जाएंगे राजस्थान में भी कई पूर्व मंत्रियों को टिकट नहीं मिलेगा। मौजूदा विधायकों में भी जिनकी छवि जनता के बीच अच्छी नहीं है उन्हें टिकट नहीं दिया जाएगा। 70 साल से ऊपर के उम्र दराज नेताओं को भी चुनाव से दूर रखा जाएगा। जिससे नए चेहरों को मौका मिले और युवाओं की भावनाओं को केस किया जा सके । राजस्थान में मुख्यमंत्री की लड़ाई को पीएम मोदी के नाम पर लड़ा जाएगा । यहां भी मुख्यमंत्री का चेहरा पीएम मोदी होंगे । जिससे जनता में किसी एक नेता को लेकर भ्रम की स्थिति नहीं रहे और फिर पार्टी हिमाचल प्रदेश और पंजाब की तर्ज पर किसी को भी राजस्थान का मुख्यमंत्री बना सकती है । पार्टी की कोर टीम और रणनीतिकारों ने अब तक जो राजस्थान का सर्वे किया है ,उसमें यह बात समझ में आई है कि राजस्थान में वसुंधरा राजे और सतीश पूनिया गुट में बिल्कुल भी नहीं बन रही है । दोनों एक दूसरे को फूटी आंख नहीं सुहा रहे हैं और दोनों नेताओं के जो समर्थक है वे भी एक दूसरे को बिल्कुल भी नहीं चाहते हैं। यहां तक की दोनों गुट एक दूसरे को चुनाव में मात देने का प्रयास करते हैं। सार्वजनिक तौर पर भी यह बात साबित हो चुकी है और बैठकों में भी यह बात साबित हो चुकी है। कभी पोस्टर बैनर की लड़ाई होती है तो कभी बयानबाजी को लेकर यह लड़ाई सामने आती है। ऐसी स्थिति में भारतीय जनता पार्टी का राष्ट्रीय नेतृत्व राजस्थान में आने वाले विधानसभा चुनाव में किसी भी तरह की जोखिम नहीं उठाएगा और वह सिर्फ पीएम मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ेगा और फिर अपनी पसंद के चेहरे को राजस्थान का सीएम पर आएगा यही नहीं राजस्थान के अधिकांश भाजपा नेताओं विधायकों पूर्व मंत्रियों के टिकट काटे जाएंगे जिन नेताओं की छवि अच्छी नहीं है उन्हें चुनाव प्रचार से भी दूर रखा जाएगा और अधिकांश सीटों पर युवाओं को और बेदाग छवि के लोगों को अवसर दिया जाएगा जिससे राजस्थान में भारत जनता पार्टी की फिर से सरकार बनाई जा सके ।