Home international किडनी के रोग को आयुर्वेद से जीता जा सकता है- डॉ. त्रिवेदी

किडनी के रोग को आयुर्वेद से जीता जा सकता है- डॉ. त्रिवेदी

0

 

लोक  टुडे न्यूज नेटवर्क

डा पीयूष त्रिवेदी -आयुर्वेदाचार्य

किडनी के रोगियों के लिए 3 रामबाण प्रयोग
किडनी के रोगी चाहे उनका डायलासिस चल रहा हो या अभी शुरू होने वाला हो, चाहे उनका क्रिएटिनिन या यूरिया कितना भी बढ़ा हो, और अगर डॉक्टर्स ने भी उनको किडनी ट्रांसप्लांट के लिए बोल दिया हो, ऐसे में उन रोगियों के लिए विशेष 3 रामबाण प्रयोग हैं, जो उनको इस प्राणघातक रोग से छुटकारा दिला सकते हैं

1. नीम और पीपल की छाल का काढ़ा
आवश्यक सामग्री।
नीम की छाल – 10 ग्राम
पीपल की छाल – 10 ग्राम
बबूल देशी की छाल-10 ग्राम

3 गिलास पानी में 10 ग्राम नीम की छाल और 10 ग्राम पीपल की छाल और 10 ग्राम बबूल की छाल लेकर आधा रहने तक उबाल कर काढ़ा बना लें। इस काढ़े को दिन में 3-4 भाग में बाँट कर सेवन करते रहें। इस प्रयोग से मात्र सात दिन क्रिएटिनिन का स्तर व्यवस्थित हो सकता है या प्रयाप्त लेवल तक आ सकता है।
2. गेंहू के ज्वारों और गिलोय का रस,
गेंहू के जवारे (गेंहू घास) का रस,
गिलोय(अमृता) का रस।

गेंहू की घास को धरती की संजीवनी के समान कहा गया है, जिसे नियमित रूप से पीने से मरणासन्न अवस्था में पड़ा हुआ रोगी भी स्वस्थ हो जाता है। और इसमें अगर गिलोय(अमृता) का रस मिला दिया जाए तो ये मिश्रण अमृत बन जाता है। गिलोय अक्सर पार्क में या खेतो में लगी हुयी मिल जाती है।
गेंहू के जवारों का रस 50 ग्राम और गिलोय (अमृता की एक फ़ीट लम्बी व् एक अंगुली मोटी डंडी) का रस निकालकर – दोनों का मिश्रण दिन में एक बार रोज़ाना सुबह खाली पेट निरंतर लेते रहने से डायलिसिस द्वारा रक्त चढ़ाये जाने की अवस्था में आशातीत लाभ होता है।

इसके निरंतर सेवन से कई प्रकार के कैंसर से भी मुक्ति मिलती है। रक्त में हीमोग्लोबिन और प्लेटलेट्स की मात्रा तेज़ी से बढ़ने लगती है। रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत बढ़ जाती है। रक्त में तुरंत श्वेत कोशिकाएं (W.B.C.) बढ़ने लगती हैं। और रक्तगत बिमारियों में आशातीत सुधार होता है। तीन मास तक इस अमृतपेय को निरंतर लेते रहने से कई असाध्य बीमारियां ठीक हो जाती हैं।

इस मिश्रण को रोज़ाना ताज़ा सुबह खाली पेट थोड़ा थोड़ा घूँट घूँट करके पीना है। इसको लेने के बाद कम से कम एक घंटे तक कुछ नहीं खाएं।
उदयपुर के पास के गाँव में एक वैद्य जी का अनुभव है कि नीम गिलोय की तीन अंगुली जितनी डंठल को पानी में उबालकर, मसल छानकर पीते रहने से डायलिसिस वाले रोगी को बहुत लाभ मिलता है।
3. गोखरू काँटा काढ़ा
250 ग्राम गोखरू कांटा (ये आपको पंसारी से मिल जायेगा) लेकर 4 लीटर पानी मे उबालिए जब पानी एक लीटर रह जाए तो पानी छानकर एक बोतल मे रख लीजिए और गोखरू कांटा फेंक दीजिए। इस काढे को सुबह शाम खाली पेट हल्का सा गुनगुना करके 100 ग्राम के करीब पीजिए। शाम को खाली पेट का मतलब है दोपहर के भोजन के 5, 6 घंटे के बाद। काढ़ा पीने के एक घंटे के बाद ही कुछ खाइए और अपनी पहले की दवाई ख़ान पान का रोटिन पूर्ववत ही रखिए।

15 दिन के अंदर यदि आपके अंदर अभूतपूर्व परिवर्तन हो जाए तो डॉक्टर की सलाह लेकर दवा बंद कर दीजिए। जैसे जैसे आपके अंदर सुधार होगा काढे की मात्रा कम कर सकते है या दो बार की बजाए एक बार भी कर सकते है।

ज़रूरत के अनुसार ये प्रयोग एक हफ्ते से 3 महीने तक किया जा सकता है. मगर इसके रिजल्ट १५ दिन में ही मिलने लग जाते हैं. अगर कोई रिजल्ट ना आये तो बिना डॉक्टर या वैद की सलाह से इसको आगे ना बढ़ाएं

Please Contact ;
डा पीयूष त्रिवेदी -आयुर्वेद एक्सपर्ट शासन सचिवालय जयपुर ।
9828011871.

NO COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Exit mobile version