लोक टुडे न्यूज नेटवर्क
बांसवाड़ा। शहर में जलदाय विभाग के अधिकारियों की घोर लापरवाही से विगत कई दिनों से प्रदूषित पानी की सप्लाई कर रहा है। दूषित पानी पीने से स्थानीय लोगों का जीवन संकट में पड़ रहा है। प्रदूषित पानी से होने वाली बीमारियों को लेकर जिला पर्यावरण समिति के पूर्व सदस्य एवं पर्यावरण विद समाजसेवी विकेश मेहता ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल कोर्ट में जनहित याचिका दायर की है।
मेहता ने बतलाया कि शहर की कई लोगों ने उनको जनसुनवाई के दौरान गंदे एवं प्रदूषित पानी की बोतले प्रदान की, इसके बाद में उन्होंने 10 दिनों तक शहर के विभिन्न कॉलोनीयों से घरों में जाकर दौरा किया एवं एकत्रित पानी को सैंपल के लिए भेजा गया।
जलदाय विभाग की लापरवाही आई सामने
जलदाय विभाग वालों की लापरवाही से बांसवाड़ा शहर के डेढ़ लाख की आबादी में बढ़ रही है। बीमारियां में डायरिया, उल्टी दस्त, पेट की बीमारियां, त्वचा रोग ,डिहाईड्रेशन, सांस लेने में तकलीफ, खुजली, चक्कर आने, समेत अन्य गंभीर बीमारियों से महामारी फैलने की संभावना बढ़ गई है। लोगों की परेशानी को देखते हुए ही मेहता ने इसे ट्रिब्यूनल में ले जाने का निर्णय लिया।
विंकेश मेहता ने बताया की हाल में सफाई के दौरान पानी में मरे हुए जानवर ,पशु पक्षी निकले। पानी में पेड़ों पर लटक रहे चमगादड़ों की बींट भी मिली जो स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है। यहां तक की फिल्टर प्लांट की पिछले 17 सालों में सफाई नहीं हुई जिसमें बहुत ज्यादा गंदगी एवं गाद मिली जिससे पूरा पानी प्रदूषित हो रहा है। जब फिल्टर प्लांट पर ही प्रदूषण हो तो स्वच्छ पानी कहां से मिलेगा। कई जगह सीवरेज का पानी नल के पानी के साथ मिलने की शिकायत प्राप्त हुई है जिससे लोगों के बीमारियां बढ़ रही है। मेहता ने बताया की 14 मई को मुख्यमंत्री कार्यालय, जलदाय विभाग के प्रमुख शासन सचिव एवं जिला कलेक्टर एवं स्थानीय विभागों को अलग अलग पत्र लिखकर व्यवस्था सुधारने का मांग की थी एवं जिम्मेदार अधिकारियों को निलंबित करने की बात रखी थी, लेकिन आज तक किसी ने इसे गंभीरता से नहीं लिया।