जयपुर। मिर्गी रोगियों को लोगों में तरह – तरह की भ्रांतियां है। लेकिन मिर्गी रोग कोई देवी प्रकोप या अभिशाप नहीं है। इसका दवा से इलाज संभव है। मस्तिष्क में गांठ, टीबी चोट लगने से और सिर में नसों का गुच्छा बनने कारण मस्तिष्क में रेडियो की तरंगे बढ़ जाती है। मस्तिष्क में शार्ट सर्किट की वजह से मिर्गी का दौरा पड़ता है। भारत में वर्तमान में लगभग 60 लाख मिर्गी रोगी है। राजस्थान में औसतन 1000 में से तीन मिर्गी रोगी है। यह जानकारी महात्मा गांधी अस्पताल के न्यूरोलॉजी के विभागाधक्ष डॉ आर सुरेका ने दी। बुधवार को राष्ट्रीय मिर्गी दिवस पर आयोजित स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि महात्मा गांधी न्यूरोलॅाजी के विभाागाध्यक्ष निदेशक डॉ बीएस शर्मा थे। शर्मा ने कहा कि यह कोई देवी प्रकोप नहीं है। यह कोई अभिशाप भी नहीं है। यह भी दूसरी बीमारियों की तरह ही है। यदि समय पर दवा ली जाए तो इसका इलाज संभव है । वहीं वरिष्ठ न्यूरोलॉजिस्ट डॉ अमित अग्रवाल ने बताया कि मिर्गी रोग मिर्गी रोगी अब विवाह भी कर सकते हैं। कार्यक्रम में प्रदर्शनी का उद्घाटन भी किया गया। इस मौके पर डॉक्टर सुरेका द्वारा लिखित पुस्तक मिर्गी रोग को जाने एवं उपचार का ” विमोचन हुआ। इस अवसर पर डॉ आर सी गुप्ता, पुनीत रिजवानी, डॉ मुनीष कक्कड़ और गौरव गोयल भी मौजूद रहे।
मिर्गी रोग देवी प्रकोप नहीं, नियमित दवा से इलाज संभव- डॅा.शर्मा
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