लखनऊ। उत्तर प्रदेश में मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्या के बाद मंत्री दारा सिंह ने भी इस्तीफा दे दिया है। माना जा रहा है कि मकर सक्रांति के दिन या मकर सक्रांति के बाद यूपी सरकार के 5-6 मंत्री और लगभग एक दर्जन से ज्यादा मौजूदा विधायक बीजेपी को अलविदा कह देंगे। सभी विधायक भारतीय जनता पार्टी छोड़कर समाजवादी पार्टी में शामिल होने जा रहे है । माना जा रहा है कि चुनाव आने तक बीजेपी छोड़कर जाने वाले मौजूदा विधायकों का आंकड़ा 50 तक पहुंच सकता है। वही पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ता प्रदेश पदाधिकारी ,जिला पदाधिकारी और पार्षद सहित ऐसे नेताओं की संख्या तो हजारों में होगी। ये सभी लोग भारतीय जनता पार्टी छोड़कर समाजवादी पार्टी में शामिल होंगे। यह भारतीय जनता पार्टी के लिए बहुत ही करारा झटका होगा ।
पिछड़ों अति पिछड़ों का हुआ मोह भंग
भारतीय जनता पार्टी के नेता जिस गुमान में रह रहे थे वह संभाले नहीं संभलेंगे। ऐसा माना जा रहा है कि उत्तर प्रदेश में पिछड़े वर्ग के साथ-साथ अति पिछड़ों की नाराजगी इस बार भारतीय जनता पार्टी पर भारी पड़ सकती है । स्वामी प्रसाद खुद मौर्य समाज से आते हैं। रोशन लाल वर्मा लोधी समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं। बृजेश प्रजापति प्रजापति समाज से हैं। भगवती सागर अति पिछड़ा वर्ग से है अति दलित समुदाय से हैं। यूपी में देखा जाए तो 42% पिछड़ों में करीब 13:50 पर्सेंट यादव और कुर्मी है। वहीं 30% अति पिछड़ी जातियों के लोग हैं। इन जातियों में कुम्हार, कुर्मी, मोरिया, दर्जी, नाई, राजभर, लोधी, करीब 70 जातियां है। अब तक यह जातियां भाजपा की पिछल्लगु बन कर रह रही थी। लेकिन अब विश्लेषकों का मानना है कि इस बार अति पिछड़ी जातियों का भाजपा से मोहभंग हो गया है और यह मोहब्बत भारतीय जनता पार्टी को चुनाव में सत्ता से बाहर का रास्ता दिखा सकता है । अब तक भारतीय जनता पार्टी अति पिछड़ा, पिछड़ा वर्ग को मुस्लिमों का भय दिखाकर ,दलितों का यादवों का भय दिखाकर डराती रही है। इस बार ब्राह्मण वर्ग भी बीजेपी से खासा नाराज है । ऐसी स्थिति में आने वाले समय में और भी समीकरण बिगड़ सकते है।
भाजपा बनाम सपा होगी लड़ाई
समाजवादी पार्टी कहीं न कहीं मजबूत होगी बसपा नेता मायावती की चुप्पी उनका बार-बार 403 सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कहना, कांग्रेस की सभी सीटों पर चुनाव लड़ने की बात सब इस बात का संकेत है कि इस बार यूपी में भाजपा बनाम सपा होने जा रहा है। जब भाजपा बनाम सपा होगा तो यह तय मानकर चलेगा कि भाजपा साफ हो जाएगी । जिन वोट बैंक की बदौलत भाजपा अब तक सत्ता में आई थी उसी वोट बैंक में इस बार समाजवादी पार्टी ने तगड़ी सेंध लगाई है। अति पिछड़ों , पिछड़ों , दलितों ने यह मान लिया है कि भाजपा उनकी पक्षधर नहीं है।
संविधान खतरे में है ??
आर एस एस की अति महत्वाकांक्षा और बार-बार समय-समय पर आरएसएस के लोगों द्वारा मनुस्मृति का गुणगान करना देश में संविधान को बदलने की बात करना भी, लोगों की कही थी दिमाग में घर कर गया है और इस बात से न केवल इस देश का दलित और आदिवासी ही विरोध में खड़ा हुआ है। अब पिछड़ा और अति पिछड़ा वर्ग के लोग भी लामबंद होने लगे और उसका असर यूपी चुनाव से साफ तौर पर देखा जा सकेगा। अब तक पिछड़ा अति पिछड़ा वर्ग इस बात को ज्यादा तवज्जो नहीं देता था लेकिन कुछ लंबे समय से उनमें भी तार्किक आधार पर मनुस्मृति का विरोध साफ तौर पर देखा जा सकता है। जब देश की व्यवस्था और संविधान के अनुसार चल रही है। तब तब बार-बार मनु स्मृति का उल्लेख करना भी अपराध होना चाहिए लेकिन उसका सार्वजनिक मंच से महिमामंडन भी बीजेपी के लिए घातक सिद्ध होगा! देश में संविधान खतरे में हैं यह बात भी लगातार लोगों के दिलों दिमाग में घर करती जा रही है और लोगों को लगता है कि वास्तव में इस देश में एक बार फिर से भारतीय जनता पार्टी मनुस्मृति लागू करने जा रही है ,और इसका डर लोगों में बैठने लगा है । हालांकि बीजेपी का एक तबका लगातर इस बात का विरोध करता नजर आ रहा है। लोगों को लगता है कि जिस देश को 70 साल से संविधान के माध्यम से चलाया जा रहा है, उस संविधान को बिल्कुल तोड़ मरोड़ कर खत्म करने की साजिश बीजेपी चल रही है। अब तक दलितों ,पिछड़ों, अति पिछड़ों, मुसलमानों को लड़ा कर भाजपा सत्तासीन होती रही है। लेकिन अब दलितों के साथ-साथ पिछड़ों और अति पिछड़ों को भी यह बात समझ में आ गई है कि भाजपा उनकी हितेषी नहीं है । आने वाले समय में यही भाजपा उन्हें फिर से गुलाम बनाने की साजिश रखती है । इसीलिए उत्तर प्रदेश के समीकरण लगातार बदलते जा रहे हैं ।
बीजेपी की एक तरफा जीत संघर्ष में फंसी
आने वाले समय में जो बीजेपी एक तरफा सत्ता में आने की बात सोच रही थी । लेकिन अब उसे समाजवादी पार्टी से न केवल सीधी टक्कर मिलेगी बल्कि समाजवादी पार्टी इन सब के दम पर सत्ता में वापसी भी कर सकती है। क्योंकि बीजेपी को हराने के लिए बसपा और कांग्रेस पार्टी का वोट बैंक भी समाजवादी पार्टी की तरफ डाइवर्ट हो सकता है। जिस तरह से सभी बीजेपी विरोधी पार्टियां एक मंच पर आई है, या लगातार आ रही है, जाहिर सी बात है कि यूपी में आने वाले चुनाव को भाजपा जीत को आसान जीत मानकर चल रही थी । अब वह उसे सपा से लगातार कड़ी चुनौती मिल रही है और भाजपा को यहां संघर्ष में देखा जा सकता है ।