लोक टुडे न्यूज नेटवर्क
स्वर्ग में सभी पित्रों की सभा चल रही है क्योंकि आने वाली 15 जून को धरती पर फादर्स डे मनाया जाने वाला है इसलिए जिनके भी पिता अपना शरीर त्यागकर अपने सात्विक कर्मों के कारण स्वर्ग में हैं वो सभी अपनी-अपनी संतानों के सत्कर्मों का बखान करना चाहते हैं कि कैसे उनकी संतानों ने अपना धर्म निभाते हुए उन्हें धरती पर ही स्वर्ग लोक के दर्शन करवा दिए थे| पर ऐसा नहीं है कि स्वर्ग लोक की सभी आत्माएं फादर्स डे के इस उत्सव पर खुश हैं क्योंकि इनमें कुछ ऐसी आत्माएं भी हैं जो अपनी ही संतानों से सताई हुई रोती, बिलखती हुई उनके वियोग में संसार को छोड़कर आई हैं| उन्होंने अपने अच्छे कर्मों के कारण स्वर्ग में स्थान पाया है| जहाँ इस दिन धरती पर कई संतानें जो वाकई में अपने पिता के प्रति प्रेम और आदर रखती हैं वो अपने जीवित या मृत पिता के प्रति अपार श्रद्धा रखते हुए उनका आभार व्यक्त करेंगीं तो कई संतानें ऐसी भी होंगीं जिन्होंने अपनी महत्वाकांक्षाओं के चलते अपने पिता को वृद्धाश्रम जाने पर मजबूर कर दिया होगा| इसलिए स्वर्ग में हो रही इस सभा में दोनों पक्षों के पितृ अपनी-अपनी बात कहेंगे एक पक्ष इस उत्सव को मनाने के पक्ष में होगा तो दूसरा पक्ष अपनी संतानों द्वारा किये गए अन्याय पर विरोध जताते हुए इस उत्सव का बहिष्कार करेगा| इसी 15 जून को विश्व बुजुर्ग दुर्व्यवहार जागरूकता दिवस भी है जिसके बारे में अधिकतर लोगों को पता ही नहीं है और अपनों से ही सताई हुई ये आत्माएं इस दिवस पर संतानों से हुए दुष्कर्मों पर विचार विमर्श करना चाहती हैं ताकि आने वाले समय में पृथ्वी पर जो संतानें हैं वो अपने परिजनों को इस अवस्था में जाने से कैसे रोकें और फादर्स डे के साथ-साथ विश्व बुजुर्ग दुर्व्यवहार जागरूकता दिवस को भी स्वर्ग और धरती के समाज में एक समान मान्यता मिले| इसी बात पर अब स्वर्ग में दोनों पक्षों की आत्माएं विचार-विमर्श कर रही हैं अब समस्या ये है की 15 जून के लिए फादर्स डे का उत्सव मनाया जाये या स्वर्ग की बाकी पीड़ित आत्माओं का पृथ्वी पर जीवित बुजुर्ग आत्माओं के लिए जागरूकता दिवस अब वो पितृ जो फादर्स डे के पक्ष में हैं जिन्होंने धरती पर अपनी संतान के सभी कर्तव्यों का सुख देखा है और वो अपनी संतान से प्रसन्न हैं एवं प्रत्येक वर्ष पितृपक्ष में धरती पर आकर अपने सुखद परिवार से श्राद्ध का भोजन ग्रहण कर रहे हैं ऐसे में वो कैसे फादर्स डे के विरोध में जा सकते हैं वो तो अब भी सुखी हैं|
दूसरी तरफ वो आत्माएं जिनको अपनी संतानों से तर्पण भी नसीब नहीं हुआ, जीते जी अपनी संतान के कारण जिनकी आत्मा दुखी रही, उन्हें अपने ही घर से निकाल दिया गया, जिन्होंने अपने अंतिम समय में अपने किसी प्रिय का मुँह तक नहीं देखा, किसी ने गंगाजल भी नहीं दिया, भूख, प्यास से विचलित अपनों की आख़िरी क्षण तक प्रतीक्षा करते हुए विचलित होकर संसार को त्याग दिया, जो आज स्वर्ग में आकर भी अपनी संतान के लिए व्याकुल हैं वो तो अब भी दुखी हैं| दोनों ही पक्ष अपनी-अपनी जगह सही हैं| इस सभा का क्या निर्णय निकलेगा? वो स्वर्गलोक की इन सात्विक आत्माओं के मंथन पर निर्भर है मेरे हिसाब से 15 जून को ये सभी आत्माएं फादर्स डे और विश्व बुजुर्ग दुर्व्यवहार जागरूकता दिवस दोनों को समान रूप से एक मान्यता दे देंगीं और ऐसा मैं इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि ये आत्माएं स्वर्ग की आत्माएं हैं जो अपने सांसारिक सत्कर्मों के कारण वहां पहुची हैं
इसलिए ये कोई पक्षपात नहीं करेंगीं| शायद सुखी पितृ पक्ष संतान से पीड़ित आत्माओं को सांत्वना देकर उनके कष्टों को कम करने का प्रयास करेंगीं और सुखी आत्माएं उन संतानों का आभार व्यक्त करेंगीं जिनके कारण उनके पितृ आज स्वर्ग में भी अपनी संतान के कर्मों से प्रसन्न हैं| कुछ भी हो पर स्वर्ग में शांति तो रहेगी ही पर स्वर्ग में हो रहे इस गंभीर वार्तालाप से यहाँ धरती पर किसी का कुछ लेना देना नहीं है यहाँ तो फादर्स डे की तैयारी चल रही है पर इस बार के पितृ दिवस पर मेरा सभी संतानों से अनुरोध है की वो अपने परिजनों के लिए किये गए कर्मों और कर्तव्यों पर अधिक ध्यान दें सिर्फ एक दिन इस दिवस को मनाने से उनके जीवित या मृत पिता को सम्मान देकर वो अपने संतान होने के सभी धर्मों को नहीं निभा सकते हैं|
बल्कि अपने पिता के त्याग और बलिदान को सदैव याद रखें और उनके अंतिम समय तक उनका ध्यान रखें और दूसरी तरफ वो संतानें जो अपने बुजुर्ग माता पिता को छोड़कर अपने जीवन का आनंद उठाने में व्यस्त हैं उन्हें भी ये याद रखना होगा की उनके ये दुष्कर्म एक दिन उन्हीं की आत्मा को सताने वाला है| कहीं ऐसा ना हो की उनकी संतान भी उनके साथ वही व्यवहार करे जैसा उन्होंने अपने परिजनों के साथ किया है अब पृथ्वी लोक की सभी संतानों पर निर्भर करता है कि वो अपने पिता की आत्मा को स्वर्गलोक की सभा में किस ओर रखना चाहते हैं आशा है की आने वाले समय में कोई भी माता-पिता वृद्धाश्रम में ना जायें और विश्व को विश्व बुजुर्ग दुर्व्यवहार जागरूकता दिवस मनाने की जरुरत ही ना पड़े और जीवन का हर दिन हैप्पी फादर्स और मदर्स डे के रूप में रहे और स्वर्ग लोक की पितृ सभा में कोई पक्ष विपक्ष ना हो और सभी आत्माओं का हर दिवस अपनी संतानों से प्राप्त संतुष्टि का बस एक सुखद पितृ दिवस हो|
कोमल अरन अटारिया
निर्देशक,लेखक,साहित्यकार