लोक टुडे न्यूज नेटवर्क
धुलण्डी से लेकर दशा माता तक सुहागिन महिलाएं सुनती है प्रतिदिन 5 कहानी,
परिवार की दिशा दशा की कामना से किया जाता है दशा माता व्रत,
दसवे दिन उद्यापन के साथ संपन्न होता है पर्व,
राजसमन्द। (गौतमशर्मा) होली का त्योहार शुरू होने के बाद मेवाड़ में 10 दिन तक त्योहारों की रेलपेल रहती है।इसके तहत धूलंडी के बाद जमरा बीज, उसके बाद शीतला सप्तमी और फिर आता है दशा माता पर्व। दशा माता का यह पर्व 10 दिनों तक मनाया जाता है।होली खेलने के बाद से महिलाएं 10 दिन तक लगातार दशा माता के थानक पर जाकर पांच पांच कहानियां सुनती है। निहारिका विजयवर्गीय ,चन्दा विजयवर्गीय ने बताया कि समाज की बुजुर्ग महिला यह कहानी सुनाती है और पारंपरिक वेशभूषा में सजी संवरी महिलाएं हाथों में साबुत अनाज के दाने लेकर इन कथाओं का श्रवण करती है। कहानी सुनने से पूर्व यह महिलाएं भोजन नहीं करती और कहानी समापन के बाद घर जाकर भोजन करती है कुछ महिलाएं इन दिनों में लगातार व्रत रखती है। दशा माता के दिन नियत मुहूर्त पर पूजन के बाद यह व्रत खोला जाता है। यह 10 दिन महिलाओं के अपनी सखी सहेलियां के साथ उठने बैठने हंसते हंसाने और कहानी सुनाने के लिए नियत है। जिस पर परिवार और घर के बुजुर्गों की कोई रोक-टोक नहीं होती। शहरो से अधिक ग्रामीण क्षेत्रों में इसका चलन है। जहां दशा माता पर्व को लेकर महिलाओं में खासा उत्साह रहता है माना जाता है कि यह पर्व घर परिवार की दिशा और दशा को निर्धारित करता है। परिवार में सुख समृद्धि और अमर सुहाग की कामना को लेकर यह व्रत किया जाता है। इन दिनों सभी गांव में महिलाओं के झुंड को थानक पर कथा सुनते अथवा आते-जाते देखा जा सकता है।