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सचिन पायलट बनेंगे सीएम, गहलोत कांग्रेस के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष

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नई दिल्ली । पांच राज्यों के चुनाव परिणाम और 15 मार्च के बाद राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को कांग्रेस पार्टी दिल्ली में कांग्रेस पार्टी का कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोनीत करेगी । इसके साथ ही सचिन पायलट को राजस्थान का मुख्यमंत्री नियुक्त किया जाएगा।

अब तक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत राजस्थान में अपनी कुर्सी बचाने में कामयाब रहे और इसीलिए उन्हें बोर्ड, कारपोरेशन ,निगमों में उन तमाम विधायकों को नियुक्त करने का मौका दिया गया ,जिन्होंने सरकार बनाने में सहयोग दिया । लेकिन अब कांग्रेस पार्टी राजस्थान में सत्ता वापसी के लिए नेतृत्व में बदलाव चाहती है और इसकी रणनीति कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी बना चुके हैं ।

नई सोच नई राजनीति

अब कांग्रेस नई सोच देश में नई राजनीति चाहते हैं । राजनीति के लिए उन्होंने जिस तरह से पंजाब में मुख्यमंत्री को बदलकर चरणजीत सिंह चन्नी को मौका दिया है। चरणजीत सिंह चन्नी ने पंजाब में 111 दिन की सरकार में जो काम करके देश में अलग पहचान बनाई है ,उसके बाद प्रियंका और राहुल गांधी उत्साहित है। उन्हें लगता है अब जनता में पैठ बनानी है तो हमें इसी तरह के मुख्यमंत्री बनाने होंगे जो जनता के काम को प्राथमिकता दें और उनका एक मैसेज भी जाए।

पंजाब चुनाव परिणाम तय करेंगे राजनीति

चरणजीत सिंह चन्नी ने पंजाब में बतौर मुख्यमंत्री देश में एक उदाहरण पेश किया है। चन्नी के सीएम बनने से पूर्व पंजाब में कांग्रेस पार्टी को सत्ता की लड़ाई में भी नहीं माना जा रहा था । लेकिन जिस तरह से एक के बाद एक करके चरणजीत सिंह चन्नी ने वहां फैसले किए और उन फैसलों का सीधा लाभ जनता को मिलने लगा, उसके बाद पंजाब में कांग्रेस की सत्ता वापसी की राह नज़र आने लगी है। लोग आप पार्टी की सरकार बनाने की बात कर रहे हो, लेकिन पंजाब में कांग्रेस पार्टी चन्नी के नेतृत्व में एक बार फिर से सत्ता वापसी करेगी । जैसे ही कांग्रेस पार्टी पंजाब में सत्ता वापसी करेगी कांग्रेस का युवा नेतृत्व राजस्थान में भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को हटाकर उन्हें केंद्र में सम्मानजनक तरीके से हटाने का प्रयास करेगा। यदि इसके बावजूद भी गहलोत ने सत्ता का मोह दिखाया तो उन्हें भी पंजाब की तर्ज पर हटाया जाएगा। कैप्टन अमरिंदर सिंह को लगता नहीं था कि कांग्रेस उन्हें हटा सकती है। लेकिन पार्टी ने उनका इस्तीफा लेकर कैसे एक दलित गरीब घर के विधायक को मुख्यमंत्री बना दिया। वैसे ही राजस्थान कांग्रेस नेतृत्व करने का मन बना चुका है। गहलोत जी की भी इज्जत ओर सम्मान भी इसी में होगा कि वह केंद्रीय नेतृत्व के इशारों को समझें और सत्ता वापसी के लिए राहुल और प्रियंका के निर्देश पर खुद ही इस्तीफा देकर अलग हट जाए।

गहलोत के फैसले जनहित में

हालांकि राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने लोक कल्याणकारी कार्य करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है । राजस्थान के आम जनता को गहलोत सरकार की योजनाओं का लाभ भी मिल रहा है। राजस्थान में निशुल्क दवा इलाज ओर जांच योजना को आज देश के दूसरे राज्यों में भी अपनाना पड़ रहा है। राजस्थान में इलाज के लिए पड़ोसी राज्यों के लोग भी बड़ी संख्या में आते हैं और इस योजना से प्रदेश की गरीब आम आम आम को सीधा लाभ मिला है। निशुल्क अंग्रेजी स्कूल, पशुओं की दवा इलाज ,किसानों की कर्ज माफी,1 लाख रोजगार ऐसे विषय हैं जिनसे उनकी साख बनी है। श्रमिक कार्ड, किसान क्रेडिट कार्ड, सभी वर्गों को छात्रवृत्ति, विप्र कल्याण बोर्ड का गठन, मगरा बोर्ड, शिल्पकला बोर्ड, माटी कला बोर्ड , विधवा पैंशन, दिव्यांग, बुजुर्ग पैशन, शहीद सैनिकों के लिए स्कीम, बालिका शिक्षा, स्कूटी योजना, 170 सेवाएं घर बैठे ईमित्र पर मिल रही है। गहलोत को लोग भला आदमी भी मानते हैं । गरीबों का नुमाइंदा भी । जिनसे कोई भी सम्पर्क कर सकता है। लेकिन फिर भी गहलोत के नेतृत्व में राजस्थान में सत्ता वापसी मुश्किल मानी जाती है। इसलिए यहां पर कांग्रेस नेतृत्व बदलाव करेगा।

सचिन पायलट को बागडोर

लेकिन अभी भी ऐसे बहुत से कार्य हैं जो गहलोत को करने चाहिए थे लेकिन उन्होंने नहीं किए हैं। दलित वर्ग,के दूल्हों को घोड़ी से उतारना, आये दिन रेप, मारपीट, अत्याचार, की घटनाओं से साख गिरी है। सरकार का अपराधियों में ख़ौफ़ कम हुआ है। इसीलिए राजस्थान में कांग्रेसी सत्ता वापसी के लिए सचिन पायलट को पहले मुख्यमंत्री बनाएगी। कांग्रेस फिर नया राजस्थान ,नई सोच की तर्ज पर कांग्रेस पार्टी चुनाव के मैदान में उतरेगी। लेकिन जिस तरह से सचिन पायलट को एक ऊर्जावान चेहरा मानती है। प्रियंका गांधी, राहुल गांधी ने जिस तरह से सचिन पायलट को दूसरे प्रदेशों में जिम्मेदारी दी है। उससे भी पायलट का कद बढ़ा है। जिस तरह राहुल और प्रियंका के चुनाव में सार्वजनिक मंच से भाषण है । उनको सुनने के बाद लगता है कि अब राजस्थान में वह किसी भी कीमत पर गहलोत को मुख्यमंत्री नहीं रहने देंगे और सचिन पायलट को राजस्थान में सत्ता वापसी के लिए एक बार बागडोर जरूर सौंपेंगे । और यदि पंजाब में चरणजीत सिंह चन्नी सरकार बनाने में कामयाब हो गए तो समझिए उसी दिन राजस्थान में बदलाव का ऐलान हो जाएगा। क्योंकि फिर कांग्रेस के नेताओं को लगेगा कि सत्ता वापसी के लिए उनका पंजाब प्रयोग सही है ,और वे इसे राजस्थान सहित अन्य क्षेत्रों में भी लागू कर सकते हैं । गोवा में उनका यह प्रयोग काफी हद तक काम कर गया और उन्होंने उन तमाम पार्टी छोड़कर जाने वाले और दलबदलू नेताओं को टिकट नहीं देकर नए नेताओं को टिकट दिया। इसका नतीजा यह हुआ कि वहां पर कांग्रेस पार्टी एक बार फिर सरकार बनाने जा रही है । गोवा और पंजाब के नतीजों से राजस्थान के भविष्य का सीधा जुड़ा हुआ। पंजाब और गोवा में कांग्रेस को मनमाफिक नतीजे मिलेंगे तो राजस्थान में भी परिवर्तन तय मानकर चलिएगा। क्योंकि अब राहुल प्रियंका गहलोत जी की नहीं सुनेंगे। उन्हें लगता है राजस्थान में मुखिया का चेहरा बदलने से ही वे सरकार में फिर वापसी कर सकेंगे।। इसलिए राजस्थान में 15 मार्च बाद सरकार का मुखिया और मोहरे बदल दिए जाएंगे । पायलट के नेतृत्व में राजस्थान में नई सरकार बनेगी। जिसके नेतृत्व में राजस्थान का विधानसभा चुनाव लड़ा जाएगा।

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