वसुंधरा राजे से क्यों डरा भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व

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जयपुर। राजस्थान में होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर इन दिनों ये  चर्चा आम हो रही है। आखिर केद्रीय नेतृत्व वसुंधरा राजे से इतना क्यों डर रहा है कि चुनावों में उन्हें सिर्फ इस्तेमाल कर रहा है। यही कारण है कि अभी तक भाजपा ने वसुंधरा राजे को किसी तरह की कोई जिम्मेदारी नहीं दी है। प्रदेश में इससे पूर्व वसुंधरा राजे परिवर्तन यात्रा अपने दम पर पूर्व में भी निकाल चुकी है। वसुंधरा राजे के नेतृत्व में ही राजस्थान में न केवल बहुमत से अपितू दो तिहाई बहुमत से सरकार बनी  है।लेकिन इस बार भाजपा नेतृत्व आखिर क्यों डर रहा है। जिसके चलते वसुंधरा राजे को राजस्थान में बागडोर नहीं सौंप रहा है। लोगों का तो यहां तक कहना है कि वसुंधरा राजे और पीएम मोदी समकक्ष नेता है। वसुंधरा राजे जब केंद्र में मंत्री थी पीएम मोदी गुजरात के पहली बार मुख्यमंत्री बने थे। इसके बाद वे लगातार गुजरात के मुख्यमंत्री बने और फिर पीएम  बने। ऐसे में भाजपा नेताओं को डर इस बात का सता रहा है कि यदि वसुंधरा राजे के नेतृत्व में राजस्थान में भाजपा चुनाव जीतती है तो फिर  राजे पीएम मोदी के कद को चुनौती दे सकती है। अब आपको लगेगा कि देश में दूसरे राज्यों के मुख्यमंत्री भी तो है जो पीएम मोदी को चुनौती दे रहे है। इनमें सबसे बड़ा नाम यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का है। लेकिन योगी आदित्यनाथ की कट्टर हिंदूवादी है। जबकि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह इस मामले में काफी पीछे है। लेकिन वसुंधरा राजे को किसी सहारे की जरुरत नहीं है। उनकी छवि राष्ट्रीय नेता की है। उनकी राजस्थान, मध्यप्रदेश से लेकर दिल्ली तक अलग पहचान है। वे अब तक दो बार राजस्थान की मुख्यमंत्री और एक बार केंद्र मंत्री रह चुकी है। वे संघ की संस्थापक सदस्य रही पूर्व राजमाता विजयाराजे सिंधिया की बेटी है। जिसके चलते उन्हें पहचान का कोई संकट नहीं है। उनकी छवि सबको साथ लेकर चलने वाली है किसी धर्म- जाति तक सीमित नहीं है। ऐसे में वसुंधरा राजे का कद काफी बड़ा है। यदि इस बार भाजपा नेता वसुंधरा  राजे को राजस्थान की कमान सौंप देते और राजस्थान में भाजपा की सरकार बन जाती है तो वसुंधरा राजे पीएम मोदी के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी। इसलिए केंद्रीय नेतृत्व ने बड़ी सोची- समझी चाल चली है और राजस्थान में वसुंधरा राजे को  नेतृत्व नहीं देकर पीएम मोदी के नेतृत्व में चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। ये ही नहीं भाजपा नेतृत्व ने  राजस्थान में  निकाली जा रही परिवर्तन यात्रा की जिम्मेदारी भी अलग- अलग इलाकों में अलग- अलग नेताओं को ही दी है। जिससे वसुंधरा राजे को रोका जा सके। यही कारण है कि उन्हें अभी तक किसी तरह की जिम्मेदारी नहीं दी गई। 

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