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लोक अदालत ने 4 साल से अलग रह रहे पति-पत्नी का कराया पुनर्मिलन

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राष्ट्रीय लोक अदालत में निस्तारित प्रकरणों में 292523234 रूपये से अधिक के अवार्ड पारित-

हनुमानगढ़।( जसविंदर सिंह ब्यूरो चीफ) राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, जयपुर के निर्देशानुसार एवं श्री तनवीर चौधरी, अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (जिला एवं सेशन न्यायाधीश) हनुमानगढ़ के निर्देशन में हनुमानगढ़ जिला में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया। राष्ट्रीय लोक अदालत की शुरूआत तनवीर चौधरी, जिला एवं सेशन न्यायाधीश, आशोक कुमार टाक, पारिवारिक न्यायाधीश, रवि प्रकाश सुथार, एडीजे सं. 01, श्याम कुमार व्यास , एडीजे सं. 02, सुनीता बेड़ा सज्जन, सीजेएम, शिवचरण मीना, सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, सुश्री सीमा गोयल, एमजेएम, अविनाश चांगल, ग्राम न्यायाधीकारी द्वारा माँ सरस्वती के सम्मुख दीप प्रज्वलन कर की गई। सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण हनुमानगढ़ के शिवचरण मीना ने बताया कि इस राष्ट्रीय लोक अदालत में हनुमानगढ़ न्याय क्षेत्र के न्यायालयों में लंबित राजीनामा योग्य प्रकरण, प्रिलीटीगेशन (बैंक, बिजली, पानी, टेलीफोन) प्रकरण व राजस्व प्रकरणों सहित कुल 91705 प्रकरणों का निस्तारण किया जाकर 292523234/- रूपये का अवार्ड पारित किया गया। इस लोक अदालत में न्यायालयों में लम्बित मुकदमों जैसे दाण्डिक शमनीय अपराध से सम्बन्धित, धारा 138 एनआई एक्ट से सम्बन्धित मुकदमों, मनी रिकवरी के केसेज, घरेलू झगडे राजस्व प्रकरण सिविल से सम्बन्धित प्रकरणों को शामिल किया गया इसके अतिरिक्त प्रिलिटिगेशन प्रकरणों के तहत बैंकों के रिकवरी के मामलो, विद्युत/पानी/भारत संचार निगम लिमिटेड के बिलों से सम्बन्धित मामलों एवं नगरपरिषद से सम्बन्धित मुकदमों को भी शामिल किया गया। इस लोक अदालत के सफलतम आयोजन हेतु जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा विडियो कॉन्फ्रेसिंग एवं भौतिक रूप से समय-समय पर बैठकों, शिविरों आदि का आयोजन किया गया। प्राधिकरण द्वारा पक्षकारान के मध्य प्रिकांउसलिंग व डोर स्टेप कांउसलिंग करवाने हेतु बैंचों का भी गठन किया गया एवं कांउसलिंग अर्थात समझाईश की गई जिसके माध्यम से भी प्रकरणों का निस्तारण संभव हो पाया। लोक अदालत के सफल आयोजन हेतु न्यायपालिका तथा प्रशासन ने संयुक्त रुप से कार्य योजना तैयार की गई। सचिव शिवचरण मीना द्वारा यह भी बताया गया कि लोक अदालत में इस प्रकार का प्रकरणों के निस्तारण होने से न्यायालयों में प्रकरणों का भार कुछ हद तक कम हुआ है तथा आमजन को सस्ते व सुलभ न्याय प्राप्त हुआ।


इसके अतिरिक्त राष्ट्रीय लोक अदालत में अशोक कुमार टाक, पारिवारिक न्यायाधीश द्वारा उनके न्यायालय में गत चार वर्षोें से लम्बित वैवाहिक विवाद प्रकरण में समझाईश/प्रीकाउंसलिंग करवाई गई जो सफल रही जिससे उक्त दम्पती का वैवाहिक जीवन पुनः प्रतिस्थापित हो सका।

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